प्रोड्यूसर: अंकिता सिन्हा
एडिटर: वीरू कृष्ण मोहन
मंगलवार को बीएमसी बजट पेश करेगी.देश की सबसे अमीर महानगरपालिका का बजट साल 2019-20 के लिए 3,400 करोड़ रुपये से बढ़ाकर करीब 30,692 करोड़ किया गया था. लेकिन नवंबर 2019 तक इसका 50% भी बीएमसी विकास कार्यों पर खर्च नहीं कर पाई. आए दिन ढहते पुल, गड्ढों वाली सड़क की वजह से दुर्घटनाओं की खबर सुनी जाती है. आखिर क्यों? क्या बीएमसी ठीक से अपना काम कर रही है. बजट के हिसाब के जरिये इसे समझिए.
मार्च 2019 में दक्षिण मुंबई में सीएसटी स्टेशन के पास फुट-ओवरब्रिज का एक हिस्सा गिरने से छह लोगों की मौत हो गई थी और 30 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे. इसके बाद स्ट्रक्चरल ऑडिटर और तीन अन्य लोगों की गिरफ्तारी हुई, जिन पर लापरवाही के लिए मामला दर्ज किया गया था.
2019-20 के बजट में, पुल विभाग को 550 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. नवंबर 2019 तक खर्च किया गया सिर्फ 310 करोड़ रुपये.
मुंबई में प्रतिदिन 7,500 मीट्रिक टन कचरे का उत्पादन होता है. 2019-20 में ठोस कचरा प्रबंधन के लिए 239 करोड़ रुपये से अधिक का बजट रखा गया था. नवंबर 2019 तक इसके लिए सिर्फ 35.66 करोड़ रुपये खर्च किए गए. 85 प्रतिशत तक धनराशि का इस्तेमाल नहीं किया गया.
गड्ढे वाली सड़कों ने कई लोगों की जिंदगी छीनी है. बीएमसी के सड़क और यातायात विभाग के पास 2019-20 के लिए 1,471 करोड़ रुपये से अधिक का बजट था. लेकिन इस राशि का सिर्फ 49 प्रतिशत हिस्सा नवंबर तक खर्च किया गया. खर्च की गई राशि करीब 715 करोड़ रुपये थी.
मुंबई के ब्रिटिश युग के ड्रेनेज सिस्टम की वजह से हर साल मॉनसून के दौरान जलभराव होता है. बीएमसी के पास नालियों को ठीक करने के लिए 825 करोड़ रुपये थे. बीएमसी ने लगभग 20 प्रतिशत राशि, जो कि लगभग 659 करोड़ रुपये है, नवंबर 2019 तक खर्च नहीं की.
साल दर साल बजट बढ़ता जा रहा है, क्या उस बजट का बीएमसी सही से इस्तेमाल कर पा रही है?
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