वीडियो एडिटर- पूर्णेन्दु प्रीतम
2002 के गुजरात दंगों के दौरान नरोदा पाटिया में हुए नरसंहार में आरोपी पूर्व मंत्री माया कोडनानी हाई कोर्ट से बरी हो चुकी हैं. 2012 में ट्रायल कोर्ट ने उन्हें 28 साल की सजा सुनाई थी. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि सभी 11 गवाहों के बयान अलग-अलग थे लिहाजा कोडनानी को रिहा कर दिया गया . अब वो घर वापस आ चुकी हैं. कोडनानी ने क्विंट से एक्सक्लूजिव बातचीत में बताया कि 28 फरवरी 2002 को आखिर हुआ क्या था?
...जब गुजरात जल रहा था
माया कोडनानी ने क्विंट को बताया कि 28 फरवरी 2002 को जब अहमदाबाद और नरोदा पाटिया में दंगे शुरू हुए वो वहां से काफी दूर थीं:
27 फरवरी को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस को आग के हवाले किया गया. अगले दिन यानी 28 फरवरी को गुजरात बंद का ऐलानएक विधायक होने के नाते मैं विधानसभा गई थीमैं वहां सुबह 8.30 से 8.40 तक थी. सत्र खत्म होने के बाद मैं वहीं रुकी रही क्योंकि कुछ विधायकों से मुझे मुलाकात करनी थी. मैं वहां करीब 9 बजे तक रही. तभी मुझे एक कार्यकर्ता का फोन आया जिसने बताया कि गोधरा से कुछ शव सोला अस्पताल ला रहे हैं उसमें हमारे एरिया के भी कुछ लोग हैं. एक विधायक और डॉक्टर होने के नाते मैं तुरंत गांधीनगर से निकल गई. सीधे सोला सिविल अस्पताल गई और एक-डेढ़ घंटा तक वहां रही.माया कोडनानी
‘मैं अमित शाह के साथ थी’
माया कोडनानी के मुताबिक सोला अस्पताल के बाहर एक बड़ी भीड़ इकट्ठी हो चुकी थी. आज के बीजेपी अध्यक्ष और उस समय सरखेज से विधायक अमित शाह भी वहीं मौजूद थे. उन्होंने बताया, “अस्पताल में गुस्से से भरी भीड़ पहले से थी मौजूद थी. भीड़ ने हमें चारों तरफ से घेर लिया. अमित शाह और मुझे पुलिस की गाड़ी में बिठाकर वहां से निकाला गया. अमित शाह बीच में उतर गए. मुझे RTO सर्कल उतारा गया. वहां से मैं सीधे असर्वा सिविल अस्पताल गई जहां घायलों को लाया जा रहा था.”
इसके अलावा कई और अहम खुलासे माया कोडनानी ने इस इंटरव्यू में किए हैं जिसमें उन्होंने राजनीति में लौटने और आगे के रुख पर भी खुलकर बात की है. इंटरव्यू की हर बारीक बात जानने के लिए देखें वीडियो.
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