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अरे भई! मयंक अग्रवाल को सेलेक्टर्स टीम इंडिया में लेते क्यों नहीं?

घरेलू टूर्नामेंट के हीरो मयंक अग्रवाल को श्रीलंका जाने वाली टीम में क्यों नहीं चुना?

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मयंक अग्रवाल, वो बल्लेबाज जिसने इस सीजन रणजी ट्रॉफी में सबसे ज्यादा रन बनाए, एक ट्रिपल सेंचुरी समेत ठोके 5 शतक और सीरीज में बल्लेबाजी औसत रहा 100 के पार. साथ ही विजय हजारे वनडे टूर्नामेंट में बनाए सबसे ज्यादा रन. 8 में से 7 मैचों में ठोके 80 से ज्यादा रन. तोड़ डाला सचिन तेंदुलकर का 15 साल पुराना रिकॉर्ड, विजय हजारे में बल्ले ने उगले कुल 723 रन और वर्ल्ड कप 2003 में सचिन के 673 रनों के रिकॉर्ड को पछाड़ते हुए किसी भी लिस्ट-ए टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने के मामले में सबसे आगे पहुंचे. सिर्फ इतना ही नहीं एक डोमेस्टिक सीजन में 2000 से ज्यादा रन बनाने वाले पहले और इकलौते खिलाड़ी....

phew.......ताली तो बनती है......और अब थोड़ी और ताली बजाइए.... किसके लिए??

हमारे सेलेक्टर्स के लिए....

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क्योंकि शायद अब उन्होंने टीम इंडिया में प्रदर्शन के आधार पर खिलाड़ियों को मौका देना छोड़ दिया है. मुझे करेक्ट कीजिएगा अगर मैं गलत हूं तो.... मार्च में टीम इंडिया श्रीलंका और बांग्लादेश जैसी थोड़ी कमजोर टीमों के खिलाफ ट्राईसीरीज खेलने जा रही है. उस टीम में न कोहली हैं, न धोनी हैं, न पांड्या, न बुमराह और न ही भुवनेश्वर कुमार. ऐसे में सेलेक्टर्स ने बैंच स्ट्रैंथ आजमाने के लिए युवा खिलाड़ियों को मौका देने के बारे में सोचा लेकिन वो घरेलू क्रिकेट के बेस्ट परफॉर्मर को ही मौका देना भूल गए. मयंक अग्रवाल को श्रीलंका जाने वाली फ्लाइट का टिकट नहीं मिला है.

अब थोड़ा गौर कीजिएगा... सेलेक्टर्स ने साउथ अफ्रीका वाली टी20 टीम में 5 नए चेहरों को मौका दिया है. वॉशिंगटन सुंदर, दीपक हुड्डा, मोहम्मज सिराज, विजय शंकर और ऋषभ पंत टीम में आए हैं. जरूर इन खिलाड़ियों को उनके प्रदर्शन के आधार पर ही मौका दिया गया होगा. तो भैया मयंक अग्रवाल ने किसी का क्या बिगाड़ा है? कप्तान साहब तो खुद कहते हैं कि टीम में सेलेक्शन हालिया फॉर्म पर होता है यानी अगर आप लगातार अच्छी-अच्छी, बड़ी-बड़ी पारियां खेल रहे हैं तो टीम में आपका सेलेक्शन ऑटोमेटिक है. तो ऐसे में हाल ही में खत्म हुई विजय हजारे ट्रॉफी में 81, 140, 89, 102 और 90 जैसे स्कोर बनाने वाले मयंक अग्रवाल को सेलेक्टर्स ने क्यों इग्नोर किया?

हो सकता है कि एक जवाब ये आए कि मयंक अग्रवाल तो ओपनर हैं और टीम में पहले से ही इतने ओपनर हैं तो उनकी जगह कहां बनाते लेकिन ज्यादा ऑप्शन रखने से दिक्कत क्या है? क्यों नहीं शिखर धवन को आराम देकर मयंक अग्रवाल को मौका दिया गया? किसी अच्छे खिलाड़ी को मौका न देना कहां तक सही है?

और ऐसा भी नहीं कि मयंक सिर्फ ओपनिंग पर बल्लेबाजी करते हैं. रणजी में उन्होंने दिल्ली के खिलाफ 176 रन वन डाउन आकर बनाए थे. लेकिन...लेकिन....शायद दिक्कत ये है कि टीम मैनेजमेंट पहले से ही ओपनिंग के लिए रोहित, धवन, मुरली विजय, केएल राहुल, और रहाणे में कंफ्यूज रहती है. ऐसे में मयंक को बुलावा कहीं और सिरदर्द न बढ़ा दे....आपको क्या लगता है?

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