मुंबई के कालबादेवी और झावेरी बाजार में सोना व्यापारी महाराष्ट्र सरकार के फैसले का जमकर विरोध कर रहे हैं. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने आदेश दिए हैं कि झावेरी बाजार में चल रहे कारखानों को मुंबई से जल्द बाहर शिफ्ट किया जाए.
इस बाजार में करीब 40 हजार छोटे बड़े सोने को तराशने वाली यूनिट्स हैं, जो संकरी गलियों में चल रहे हैं. कारखानों में फायर नियमों के उल्लंघन की शिकायतें हैं.
व्यापारियों के मुताबिक, देश में बिकने वाली 70% ज्वैलरी मुंबई के इसी इलाके में तैयार होती है. दरअसल, सोन को तराशने के लिए 10 तरह के प्रोसेस से गुजरना होता है. कारखानों में ये सब काम दिनरात किया जाता है.
झावेरी बाजार में करीब 2 लाख कारीगर
झावेरी बाजार में इन कारखानों में देश के अलग-अलग हिस्से से कारीगर आते हैं. व्यापारियों के मुताबिक इनकी संख्या करीब 2 लाख है.
मुंबई के भुलेश्वर में रहने वाले हरिकिशन गोरडिया ने मुख्यमंत्री फडणवीस से शिकायत कर कहा कि झावेरी बाजार और कालबादेवी का परिसर में फायर नियमों की पूरी तरह धज्जियां उड़ाई जा रही हैं. साथ ही यहां बड़े पैमाने पर चल रहे कारखानों से निकलने वाली गैस भी लोगों के सेहत को बड़ा नुकसान पहुंचा रही है.
इसके बाद, मुख्यमंत्री फडणवीस ने बीएमसी से कहा है कि झावेरी बाजार में चल रहे कारखानों को नोटिस देकर अगले 3 महीने में शिफ्ट करने का काम पूरा करें.
2001 में हुआ था बड़ा हादसा
2001 में इसी इलाके में एक कारखाने में आग लग गई थी जिसमें 25 लोगों की मौत हो गई थी. इसलिए भी सरकार इस बात को लेकर गंभीर दिख रही है कि आने वाले दिनों में अगर इस तरह की कोई घटना होती है तो बड़ा नुकसान हो सकता है.
पिछले कुछ दिनों में कमला मिल्स कंपाउंड और दूसरी जगहों पर आग लगने की घटनाओं के बाद सरकार ने कई कड़े फैसले लिए हैं.
हालांकि, झावेरी बाजार में सोना व्यापारी संघ के कुमार जैन ने द क्विंट से बातचीत में कहा कि सरकार के लिए यहां से कारोबार शिफ्ट करना मुश्किल होगा.
शिफ्ट करने से पहले सरकार को सभी तरह की सुविधा और इंफ्रास्ट्रचर देना होगा. इसके बाद ही यहां से कारोबार को शिफ्ट करने पर विचार हो सकता है.
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