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मुनव्वर राना की जुबानी, जौन एलिया की कहानी

मशहूर शायर मुनव्वर राना से जानिए युवाओं के बीच आख़िर क्यों इतने लोकप्रिय हैं जौन एलिया

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज/अभिषेक शर्मा

“अगर मुझसे पूछा जाए कि हिजरत का कोई ऐसा नमूना दिखा दीजिए, जिससे ग़म आज तक झलकता हो, कोई ऐसी आंखें बताइये जिससे खून आज तक टपकता हो, जिनकी आंसूओं से आजतक इस मुल्क की मिट्टी की महक आती हो, तो उनके इंतेकाल के बाद भी हम यही कह सकते हैं कि वो आंखें सिर्फ़ और सिर्फ़ जौन एलिया की थीं”

मशहूर शायर मुन्नवर राना बताते हैं कि जौन एलिया की शायरी उनका दर्द था. उनकी शायरी उनकी टूट-फूट थी. उनकी शायरी वो उदासी थी जिसे वो अपने चेहरे पर मले रहते थे. उनकी शायरी वो उजाला थी जो अंधेरे के तरफ़ चला करती थी और अंधेरे को उजाले में बदल देती थी लेकिन ख़ुद चिराग़ तले अंधेरा की तरह रहती थी.

जौन एलिया जब भी कराची से दिल्ली आते थे, तो उनकी निगाहें सिर्फ अमरोहा की गलियां ही ढूंढती थी. अमरोहा पहुंचते ही वो वहां की मिट्टी को चूमते थे.

जॉन एलिया को ज़िंदगी में तो उतनी शोहरत नहीं मिली, शायद इसकी वजह उनका शराब में डूबे रहना था, उनका सच बोलना था, हिंदुस्तान से मोहब्बत करना था. लेकिन मरने के बाद जौन एलिया ऐसा नशा बनकर उभरे कि हर नौजवान जो शायरी शुरू करता है, जो शायरी पसंद करता है, उसे सिर्फ़ एक ही नाम याद आता है और वो नाम है जौन एलिया.
मुनव्वर राना
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14 दिसंबर 1931 को यूपी के अमरोहा में जन्मे जौन एलिया को आज़ादी के 10 साल बाद यानी 1957 में ही हिंदुस्तान छोड़कर कराची जाना पड़ा. आठ साल की उम्र से ही शायरी की शुरुआत कर दी थी, लेकिन पहला संग्रह तब छपा जब वो 60 साल के थे.

‘शायद’,’यानी’,’गुमान’,’लेकिन’ और गोया’ उनके प्रमुख संग्रह हैं.

1970 में लेखिका और पत्रकार जाहिदा हिना से शादी हुई लेकिन 1984 में तलाक़ हो गया. 8 नवंबर 2002 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया. आज के दौर में वो सबसे ज़्यादा पढ़े जाने वाले शायरों में शुमार हैं.

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