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'हमें वापस भेजा तो वो मार देंगे', भारत-म्यांमार बॉर्डर से रिपोर्ट

सेना की कार्रवाई से बचने के लिए हजारों लोग मिजोरम में शरण लिए हुए हैं

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हम सभी म्यांमार सरकार के अंडरकाम करने वाले पुलिसकर्मी हैं. सेना ने हमें अपने राज्य में अपने लोगों को गोली मारने के लिए मजबूर किया. हम अपने लोगों को चोट नहीं पहुंचाना चाहते थे इसलिए, हम आश्रय के लिए मिजोरम आए.
म्यांमार पुलिस
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म्यांमार में सेना की कार्रवाई से बचने के लिए, म्यांमार के हजारों नागरिक सीमा पार कर मिजोरम पहुंच गए हैं. और उनमें से कई पुलिस कर्मी हैं. Tiau नदी दोनों देशों और मिजोरम के चम्फाई जिले के बीच की सीमा को चिह्नित करती है, और यहीं से शरणार्थी बड़ी संख्या में आते हैं.

इनमें से कई म्यांमार पुलिसकर्मी हैं.

हमें अपने ही लोगों को सड़कों पर विरोध करने पर पकड़ने के लिए कहा गया था. हमें उन पर गोली चलाने के लिए भी कहा गया था... हम उनके आदेश का पालन नहीं कर सकते. इसलिए, हमारे पास एकमात्र विकल्प म्यांमार छोड़ना ही था.
म्यांमार पुलिस

मिजो से नैतिक, भाषा और सांस्कृतिक समानता की वजह से मिजोरम सरकार ने शरणार्थियों को राज्य में शरण लेने की दी अनुमति है.

वो (म्यांमार रिफ्यूजी) हमारे भाई हैं. उन्हें म्यांमार वापस भेजने का मतलब है उन्हें मारना. मानवता के लिहाज से मिजोरम के लोग शरणार्थियों को वापस भेजना स्वीकार नहीं करेंगे, जबतक म्यांमार में शांति और सामान्य स्थिति बहाल नहीं हो जाती.
के वनलालवेना, MNF, मिजोरम

इन शरणार्थियों के प्रति  राज्य की नीति केंद्र से अलग है. केंद्र सरकार इन शरणार्थियों के यहां आने के खिलाफ है.

इन शरणार्थियों के साथ मिजो लोग खड़े हैं. उन्हें विश्वास दिला रहे हैं कि वो राज्य में सुरक्षित हैं. यहां तक कि उनके लिए फंड भी इकट्ठा कर रहे हैं.

मिजोरम सरकार के तरफ से कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई है लेकिन कुछ अनुमान के मुताबिक राज्य में करीब 3,000 म्यांंमार शरणार्थी  शरण लिए हुए हैं.

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