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द नीलेश मिसरा शो: डियर शाहरुख खान जी, ये चिट्ठी आपके लिए है...

हिंदुस्तान में फेयरनेस क्रीम के बदले जहर भी बेचा जाता है...

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प्यारे शाहरुख खान जी, मेरा नाम है नीलेश मिसरा. कहानियां सुनाता हूं. मेरी ढाई साल की बेटी वैदेही जरा सी है, लेकिन बहुत सवाल पूछने लगी है. आज वैदेही और मैं साथ-साथ घूमने गये थे. उसे दुनिया के अलग-अलग चेहरों से रूबरू कराना अच्छा लगता है मुझे. हम बैठे थे कि पीछे कहीं एक गाना बजने लगा…

यशोमती मैया से बोले नंदलाला

राधा क्यूं गोरी, मैं क्यूं काला

यशोमती मैया से बोले नंदलाला

राधा क्यूं गोरी, मैं क्यूं काला

फिर मैंने वैदेही को एक कहानी सुनाई ‘एक परी कथा एक फेरी टेल’

प्लीज एक कॉफी का प्याला ले लीजिये और पालथी मारकर बैठ जाइए.

चलिए सुनाता हूं कहानी...

एक बार की बात है. एक राजकुमारी थी. एक सांवली, सलोनी राजकुमारी और यही सवाल उसके सामने बचपन में स्कूल से लेकर सिंगिंग क्लास तक, मम्मी की रसोई से लेकर रेडियो की मीडियम वेव फ्रीक्वेंसी तक, हजारों बार दुनिया से गा-गाकर पूछा गया था, बताइए भाई, राधा क्यूं गोरी मैं क्यूं काला?

प्यारे शाहरुख खान जी, आपने भी सुना होगा ये भजन. करोड़ों लोग रेडियो पर, टीवी पर, फिल्मों में जो देखते हैं, जो सुनते हैं, उससे उनकी सोच बनती है, बदलती है. अरे मैं आपको क्या बता रहा हूं ये सब. इस देश में कम से कम तीन पीढ़ियों ने आपको अपने दिल में, अपनी सोच में बसाया हुआ है.

करोड़ों लड़कों और लड़कियों के दिल-ओ-दिमाग पर आप कैसा धुआंधार, कितना गहरा असर डालते हैं, लेकिन आज किसी अलग किस्म के असर की बात कहने जा हा हूं. थोड़ी सी गुस्ताखी कर रहा हूं. आपको एक खत लिखने जा रहा हूं, आपसे एक गुजारिस करने के लिए और ये बताने के लिए कि शायद आप ना जानते हों...

आप और आपके बाद आये बहुत से मशहूर एक्टरों से कैमरे के सामने विज्ञापन करवाने वाली, गोरेपन और खूबसूरती का व्यापार करने वाली कई कंपनियां करोड़ों लड़कों और लड़कियों के सेल्फ कॉन्फिडेंस, आत्मसम्मान पर पर गहरा आघात कर रही हैं और इनके बनाये बाजार के कारण कई और कम्पनियां अब सरकारी अधिकारियों की मिलीभगत के साथ गोरेपन बेचने का धंधा क्रिमिनल, गैर कानूनी ढंग कर रही हैं.

आपके गोरी निखरी और बेदाग त्वचा ही आपकी खूबसूरती की सबसे बड़ी पहचान है. बेटे कल तुम्हें लड़के वाले देखने आ रहे हैं. पर मां मेरी त्वचा... ऐसी लड़कियों को सुंदर बनाना है, तो वेदों के जमाने में नहीं रह सकते... एकमात्र ऐसा फेयरनेस ट्रीटमेंट है जो आपको गोरा बनाता है.

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राजकुमारी दुनिया के तौर-तरीके नहीं जानती थी, इसलिए वो खुश थी, लेकिन जैसे-जैसे वो बड़ी हुई राजकुमारी को जताया जाने लगा कि वो औरों से कुछ अलग है. राजकुमारी की आंखों के सामने से जैसे एक पर्दा हट रहा था और एक नई दुनिया खुल रही थी. एक ऐसी दुनिया, जिसमें दो तरह के लोग रहते थे जो धूप और साये के दो रंगों में बटे थे.

पीठ पीछे बहुत सुना कि लोग मेरे बारे में ऐसा बोलते हैं कॉम्प्लेक्शन को लेकर, नाम रख दिए जाते थे बोलते थे, वो देखो काली माई जा रही है. एक मेरी रिलेटिव थी, जो मेरी शादी व्याह की होती तो बोलती अगर लड़की गोरी है, तो शादी चुटकियों में हो जानी है, अगर रंग साफ नहीं है, तो नहीं होगी.

प्यारे शाहरुख खान जी, एक वक्त था, जब सांवलेपन से जुड़ी काना-फूसी सिर्फ घर की चार दीवारी में, मोहल्ले की गलियों और छज्जों में, दूर के रिश्तेदारों के प्रपंच में, मेट्रिमोनियल कॉलम में गोरी वधुओं के जिक्र में और नानियों और दादियों की नसीहतों में ही होती थी. लेकिन पांच-सात सालों में गोरेपन का महिमामंडन ग्लोरिफिकेशन अचानक काना-फूसी से बढ़कर टीवी, रेडियो और होर्डिंग पर पहुंच गया और दुनिया चीख चीखकर हर सांवले व्यक्ति को बताने लगी, जताने लगी कि सबको पता है तुम बेकार हो, हारे हुए हो..

माफ कीजिएगा शाहरुख खान जी लेकिन इन आवाजों में आपकी आवाज, आपके साथी कलाकारों की आवाज सबसे बुलंद थी.

  • अगर आप अपने सांवले रंग से निराश हैं, तो अब सांवले रंग को कह दीजिये अलविदा और पाइए फूलों सी कोमल गहरी त्वचा.
  • अब आपके गोरे होने के सपने को सच करने का समय आ गया है. अब सिर्फ तीन हफ्तों में गोरा बनाएं...

छोटी सोच के लम्बे पड़ते साये थे राजकुमारी की दुनिया में. राजकुमारी देख रही थी कि बाहर की दुनिया तेजी से बदल रही है. अचानक जैसे जादू से सैकड़ों क्रीम की ब्रांड पैदा हो गई हैं. ब्यूटीपार्लर में बिना नाम की शीशियों में जहरीला गोरापन बिकने लगा. बड़ी-बड़ी कम्पनियां कानून तोड़ते हुए इन दवाओं को कास्टमेटिक के नाम पर बेचने लगी. केमिस्ट की दुकान पर ये आसानी से कानून तोड़ते हुए बिना डॉक्टर का पर्चा दिए मिलने लगी क्योंकि गोरा होना था उनको किसी भी शर्त पर, किसी भी कीमत पर.

कहीं न कहीं से आ गया था कि ये फीलिंग मेरे अंदर कि मुझे गोरा होना है... गोरा नहीं होउंगी तब तक अच्छा नहीं दिखूंगी. अच्छी नही दिखूंगी तो मेरा लाइफ में कुछ नही होगा. ऐड आते थे न वो कि चार हफ्तों में गोर हो जाइए. ये लगभग कक्षा आठ-नौ से शुरू हो गया. ऐड में देखते कि लड़कियां गोरी हो जाती तो पापा से बोलते पापा वो वाली क्रीम ले आना. पापा भी ले आते लो लगाओ वो चार हफ्ते क्या चार साल लगाते रहे लेकिन कोई फर्क तो पड़ता नहीं था.

कुछ गोरेपन की क्रीमें दिमाग पर असर करती हैं... आपके सेल्फ स्टीम पर, आपके कॉन्फिडेंस को, आपके आत्मविश्वास को अपना गुलाम बना लेती हैं और कुछ क्रीमें इससे भी बद्तर सीधे आपके चेहरे को बिगाड़ने लग जाती हैं.

कानून की इजाजत से, सरकार की आंखों के सामने स्किन क्रीम बनाने वाली कई-कई कम्पनियां एक ड्रग एडिक्ट की तरह, एक नसेड़ी की तरह लोगों को अपना गुलाम बना रही हैं और आपको शायद पता ही नहीं शाहरुख खान जी ये कहानी आपने नहीं शुरू की थी... ये कहानी आप पे खत्म भी नहीं होगी, लेकिन करोड़ों लड़कियों का कांफिडेंस मर चुका है क्योंकि आपने और आपके साथी कलाकारों ने इस कहानी में अपनी आवाज जोड़ दी है.

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गोरेपन की क्रीम ने बिगाड़ी हालत

पिछले चार-पांच सालों से बड़ी अजीब सी सिचुएशन फेस कर रहे हैं ऐसी बीमारियां जो छोटी- मोटी स्किन की बीमारियां मानी जाती थी.. जैसे आम दाद हो गई, खुजली हो गई या कोई बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो गया ये चीजें ठीक ही नहीं हो रही हैं. जो ट्रीटमेंट को रेस्पोंस करना चाहिए उसका दोगुना, तीन गुना ट्रीटमेंट दिया जा रहा है फिर भी नहीं रेस्पोंड कर रही हैं. और सिर्फ इन्फेक्शनस तक ही सीमित नहीं था, लोग आ रहे थे ऐसे-ऐसे भयानक केस को लेकर जो हम लोगों ने पहले कभी देखे ही नहीं थे, जो कि आम लोगों को होने नहीं चाहिए थे.

कुछ गोरेपन की क्रीमें सब नहीं लेकिन वो कुछ गोरेपन की क्रीमें फ्रोड होती हैं उनमें खतरनाक दवाइयां होती हैं, जिनका कि एक साइड इफेक्ट होता है कि उनको लगाने पर आपकी स्किन कुछ गोरी दिखेगी लेकिन वो पांच दस और बीमारियां जो पैदा करेंगी, वो डेफिनेटली होंगी अगर आपने उनको लगाया तो आपकी स्किन इतनी ज्यादा काली हो जाएगी या उसमें इतने ज्यादा मुहासे या दाने निकलने लगेंगें या धूप में जाने पर इतनी बुरी तरह जलन होने लगेगी कि आपको मजबूरन वापस उसी क्रीम पर जाना होगा. हमारे पास ऐसे मरीज हैं जो जानते हैं ये क्रीम उनकी त्वचा को बर्बाद कर रही हैं लेकिन छोड़ नहीं सकते. It’s like an addiction, an addiction not like an addiction.

क्रीम के रूप में धड़ल्ले से बिक रहा जहर

कितना आसान है हिन्दुस्तान में जहर बेचना, लेकिन राजकुमारी को कहां मालूम होगा कि उसके घर तक पहुंचने वाला उसके चेहरे पर लीपा जाने वाला जहर कितनी आसानी से बनाया जा सकता है. देश के किसी भी कोने में ड्रग कंट्रोल के सरकारी दफ्तर में किसी एक आदमी को रिश्वत देकर कागज का टुकड़ा ले लीजिये फिर सारे देश में खुल्लम खुल्ला कहीं भी जहरीली दवाएं बेचिए ..सरकारी छत्र-छाया में.

प्यारे शाहरुख खाने जी, आपको पता है शेड्यूल एच नाम की एक लिस्ट होती है इसमें जो दवाएं होती हैं उनको बिना डॉक्टर का पर्चा दिए खरीदा ही नहीं जा सकता… लेकिन ये दवाएं, ये स्टीरॉइड्स गोरेपन का दावा करने वाली कई क्रीमों में धड़ल्ले से बिक रही है, खरीदी जा रही हैं...क्या लड़के, क्या लड़कियां, ये अब अपने मन से ऐसी दवाएं खरीदते हैं, क्योंकि आप जैसे किसी कामयाब सेलीब्रेटी ने उनको बता दिया है कि आप जैसा बनना है, कामयाब होना है, तो बस यही एक रास्ता है.

ये जहर उसके शरीर में उसके जहन में घुल रहा है ये बात राजकुमारी भी जानती है लेकिन वो मजबूर है आखिर आप लोगों ने ही तो सिखाया है शाहरुख खान जी कि अगर गोरा नहीं होंगें तो जियेंगे कैसे? इसलिए सबकुछ जानते हुए भी राजकुमारी क्रीम लगाना कभी बंद नही करेगी. गोरेपन का व्यापार करने वाली कम्पनियां ये जहर बेचती रहेंगी.

कैसी लगी ये कहानी शाहरुख खान जी, इस राजकुमारी को नहीं जानते होंगे आप, कभी नहीं मिले होंगे लेकिन इस कहानी को लिखने में थोड़ी भूमिका आपकी भी है.

क्या कहें इस राजकुमारी से हम शाहरुख खान जी कि जब आप गोरेपन को कांफिडेंस के रूप में बेचें तो कॉफी शॉप का टीवी देखते हुए, दोस्तों के साथ बैठे हुए अपने शॉल से अनजाने में अपना चेहरा तीन सेंटीमीटर और ढक ले. क्रीम लगाने के कुछ हफ्तों बाद बाथरूम में सीसे के सामने रोज चेहरा देख के कि शायद शायद आज रंग थोड़ा सा हल्का हो गया. हां हां दिख तो रहा है थोड़ा हल्का.. नहीं क्या कहे ढ़ाई साल की अपनी बेटी से ये कैसी दुनिया में बड़ा कर रहे हैं हम उसे क्या कहेंगें आप अपने बच्चों से शाहरुख खान जी कि कैसी दुनिया में बढ़े हो रहे हैं वो.

जब आप इन फेयरनेस प्रोडक्ट के विज्ञापन करते हैं तो पता नहीं आपके दिमाग में ये ख्याल आता होगा कि नहीं कि आप एक पूरी जेनरेशन एक पूरे समाज के एक पूरे तबके के दिमाग में ये बायस, ये प्र्यूजिडिस, ये इन्फीरियोरिटी कॉम्प्लेक्स भर रहे हैं कि एक खास रंग के दिखने वाले लोगों को ही कामयाब होने का हक है.

अगर इसे कोई बदल सकता है तो वो आप ही हैं.

कह दीजिये इस मुल्क से, कह दीजिये अपने करोड़ों चाहने वालों से कि अगली बार जब पापा मम्मी अपनी बेटी से कहें कि बेटा अब लड़के वालों से बात शुरू हो रही है किसी स्किन स्पेशलिस्ट को दिखा लो न तो बोलें उनके भाई कि नहीं करवानी है ऐसे घर में शादी जहां किसी का रंग देख कर जिंदगी का फैसला होता है.

कह दीजिये इन टीवी और रेडियो चैनल चलाने वालों से कि जाएं पैसा, सरिया आयर सीमेंट बनाने वालों के विज्ञापन से कमा लें... भगवान के लिए गोरेपन की क्रीम का विज्ञापन लेना बंद कर दें और कह दीजिये इन सांवली लड़कियों और लड़कों से कि क्या बकवास है ये?

दुनिया तुम्हे कम कहती है, बदसूरत कहती है, हारा हुआ कहती है और तुम मान लेते हो.. पलट कर झापड़ क्यूं नहीं रसीद करते दुनिया को कि मैं ऐसी ही हूं, मैं ऐसा ही हूं .. और अपने दम पर आगे बढ़ना है ..अपने रंग के बल पर नहीं.

शाहरुख खान जी नई कहानी लिखते हैं

तो चलिए प्यारे शाहरुख खान जी, चलिए एक नई फेयरी टेल लिखते हैं...नई राजकुमारियां गढ़ते हैं... जिंदगी से भरी लड़कियां...ऐसे राजकुमार, ऐसी राजकुमारियां जिनका रंग गोरा नहीं है, काला भी नहीं, ना भूरा, ना गेहुंआ... जिनका वजूद, जिनका अस्तित्व, किसी रंग का मोहताज नहीं है, जिनकी खूबसूरती को किसी के स्टांप, किसी के ठप्पे की जरूरत नहीं है. जिनकी कामयाबी या नाकामी की शर्तें कोई कम्पनी तय नहीं करती… जिनका शरीर किसी फैक्ट्री से निकला प्रॉडक्ट, किसी मशीन का पुर्जा, कोई सांचे में ढाला हुआ मॉडल नहीं है, जिनके बालों की लंबाई, जिनकी कमर की गोलाई, जिनका वजन, जिनकी हाईट, जिनका रंग… दुनिया एक मुनीम बनकर अच्छे या खराब, सुन्दर या बदसूरत के कॉलम में नहीं डालती.

तो शाहरुख खान जी, सुनाएंगे ना किसी दिन हमें ऐसे ही किसी राजकुमारी की कहानी? इंतजार करूंगा... मैं भी और मुझ जैसे भारत के करोड़ों-करोड़ आम लोग भी.

अभी मैं चल पड़ा हूं किसी और सफर पर, किसी और मंजिल की ओर कोई और कहानी तलाशने... हिन्दुस्तान को थोड़ा और समझने.

मुझे अपनी और अपने आस-पास की कहानियों से जोड़िये, लिख भेजिए ऐसे लोगों के बारे में ऐसे मुद्दों के बारे में, जिसे आप सब के साथ शेयर करना चाहता हूं. मुझे ईमेल करिए, मेरे फेसबुक पर जाइये, ट्विटर को टटोलिये, खत भेजिए, टेलीग्राम भेजिए मैं कहता हूं कबूतर के पांव छल्ला लगाके कुछ संदेश भेजिए, लेकिन मुझसे बाते करिये, मुझे किस्से सुनाइये… वरना यही कहते रह जायेंगे कि… ‘क्या ढूंढ़ता है स्टोरीटेलर’

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(लड़कियों, वो कौन सी चीज है जो तुम्हें हंसाती है? क्या तुम लड़कियों को लेकर हो रहे भेदभाव पर हंसती हो, पुरुषों के दबदबे वाले समाज पर, महिलाओं को लेकर हो रहे खराब व्यवहार पर या वही घिसी-पिटी 'संस्कारी' सोच पर. इस महिला दिवस पर जुड़िए क्विंट के 'अब नारी हंसेगी' कैंपेन से. खाइए, पीजिए, खिलखिलाइए, मुस्कुराइए, कुल मिलाकर खूब मौज करिए और ऐसी ही हंसती हुई तस्वीरें हमें भेज दीजिए buriladki@thequint.com पर.)

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