वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
मोदी सरकार के कैबिनेट का विस्तार (Cabinet Expansion) हुआ है. लेकिन ऐसा लग रहा है कि ये विस्तार नहीं बल्कि नया मंत्रीमंडल गठन हुआ है. इस मंत्रिमंडल फेरबदल या कहें छटनी प्रोग्राम की पांच चौंकाने वाली बातें आपको बताते हैं.
1. बड़े-बड़ों का पत्ता कटा
रविशंकर प्रसाद
हर्षवर्धन
संतोष गंगवार
प्रकाश जावडेकर
निशंक
कुल मिलाकर 12 मंत्रियों को हटा दिया गया है. रविशंकर जो ट्विटर से 'युद्ध' लड़ रहे थे. हर्षवर्धन जिनके मंत्रालय के काम की हर संभव मंच और मुंह से तारीफ की गई कि हमने कोरोना महामारी की आफत को बहुत अच्छे से संभाला तो इन्हें सजा क्यों मिली? क्या मान लिया है कि ये सब ठीक नहीं हो रहा था.
क्या श्रम मंत्री संतोष गंगवार को लॉकडाइन में श्रमिकों की त्राहिमाम का कलंक हटाने के लिए हटा रहे हैं. आमतौर पर जो सरकार हर काम में खुद को चैंपियन बताती है, उसके 12 मंत्रियों का इस्तीफा चौंकाता है.
2.जाति भी पूछो मंत्रियों की
जो सरकार प्रचंड बहुमत से बनी है तो उसे जीडीपी पर ध्यान देना चाहिए जाति पर...हो उल्टा रहा है. चौंकाता है कि बीजेपी कही है कि देश में विपक्ष की ताकत खत्म हो गई है फिर किससे डर है कि यूपी जीतने के लिए सात-सात लोगों को मंत्री बनाया जा रहा है. 10 पहले से थे. माने मंत्रिमंडल में जितनी महिलाएं नहीं उससे ज्यादा तो सिर्फ यूपी से मंत्री से हैं. माने आबादी में यूपी की 16 फीसदी और मंत्रिमंडल में मंत्री 22 फीसदी. इसी तरह कोइरी, लोधी, दलित, कुर्मी, ओबीसी, ब्राह्मण सबका साथ ताकि हो अपना विकास? इलाकों का भी पूरा खयाल रखा गया है.
पूर्वांचल से पंकज चौधरी और अनुप्रिया पटेल तो बुंदेलखंड से भानु प्रताप वर्मा, ब्रज क्षेत्र से SP बघेल हैं तो अवध क्षेत्र से कौशल किशोर और अजय मिश्रा, रूहेलखंड से बीएल वर्मा. गुजरात और कर्नाटक जैसे चुनावी राज्यों का भी उसी तरह ख्याल रखा गया है. तो चौंकाता है कि दिल्ली की कैबिनेट ठीक कर रहे हैं चुनावी गोटी सेट कर रहे है?
3.गठबंधन और गेस्ट का स्वागत है
जेडीयू से लेकर अपना दल तक को जगह और सिंधिया से राणे तक को बर्थ मिली है. चौंकाता है कि जिस जेडीयू और अपना दल को 2019 में जगह नहीं मिली अब उनकी सुनने की क्यों मजबूरी थी?
क्या मुकूल राय ने इतना बड़ा झटका दिया है कि सिंधिया से लेकर राणे और टीएमसी से आए निसिथ प्रमाणिक और एनसीपी से आए कपिल पाटिल तक के लिए जगह निकल गई? हालांकि सिंधिया को मंत्रिपद मिलकर भी क्या मिला ये सवाल है.
नीतीश ने क्या कहा है कि 'राम भक्त हनुमान' चिराग भभक रहे हैं लेकिन पशुपति पारस को लेना पड़ा? चौंकाता है कि बीजेपी दूसरी पार्टियों और दूसरी पार्टियों से आए नेताओं के लिए हृदय में इतनी जगह बना रही है? या जगह बनाने को मजबूर हो रही है?
4. राजीव चंद्रशेखर
मोदी कैबिनेट विस्तार में एक नाम है राज्यसभा सांसद राजीव चंद्रशेखर का. ये नाम चौंका रहा है चूंकि इनका संगठन या ग्राउंड पर बड़ा असर नहीं है. 90 के दशक में कैलिफोर्निया से भारत लौटे बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता चंद्रशेखर. मीडिया हाउसेस से संबंधों को लेकर चर्चा में रहे हैं. साल 2010 में बीजेपी के विजन 2025 कमेटी के संयोजक बनाए गए थे.
5. सुश्री शोभा करंदलाजे
कर्नाटक से ही एक और नाम हैं सुश्री शोभा करंदलाजे. कैबिनेट में इनका आना इसलिए चौंका रहा है क्योंकि ये येदियुरप्पा की करीबी मानी जाती हैं. वही येदियुरप्पा जिनके बारे में लगातार कहा जा रहा है कि उनकी आलाकमान से अनबन चल रही है. इन खबरों के बीच शोभा का दिल्ली आना चौंकाता है, लेकिन अगर आपको चौंका न दें तो फिर मोदी ही क्या?
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