वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
26 अगस्त 2018 को अहमदाबाद के ओढ़व में सरकारी आवासीय योजना की चार मंजिला दो इमारतें ढह गई थी. इमारत की जर्जर हालत पर नगर निगम के घर खाली करने के नोटिस देने के ठीक 2 घंटे बाद ही ये इमारतें ढह गईं, जिसमें 1 व्यक्ति की जान चली गयी और 4 लोग घायल हो गए.
हादसे के एक साल बाद भी 'लो इनकम हाउसिंग कॉम्प्लेक्स' के लोगों को नए घर नहीं मिले हैं. भारी आर्थिक तंगी के कारण वो किराये के मकान में या अपने रिश्तेदारों के यहां रह रहे हैं.
ओढ़व में रहने वाली अनीता पटेल सरकार की 'अनदेखी' से काफी नाराज हैं. उनका कहना है कि-
“सरकार पर हमने भरोसा किया, लेकिन विश्वास करने के बाद भी सरकार ने कोई ध्यान नहीं दिया. इस बात को आज 1 साल हो गए.”अनीता पटेल, निवासी, ओढ़व
यहां के पुराने निवासियों के समर्थन में आई विधायक जिग्नेश मेवाणी की पार्टी राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच का कहना है कि लोगों के पुनर्वास की याचिका पर सरकार ने आंखें मूंद ली हैं. राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच की कार्यकर्ता हेमा सोलंकी का कहना है कि-
“सरकार से उनकी ये भी गुजारिश थी कि हमें एक ऐसी सुविधा मिले कि यहां फ्लैट बने हैं, AUDA के मकान भी बने हैं. अभी अस्थाई रूप से रहने के लिए मिल जाए, लेकिन सरकार की तरफ से उन्हें कोई जवाब नहीं मिला कि वहां शिफ्ट किया जाए, फिर बाद में लोग तंबू में रहने को तैयार हुए तो प्रशासन ने वो भी नहीं करने दिया. उन्होंने कहा कि ये सब गिराए जा सकते हैं. आप यहां भी नहीं रह सकते और आज तक ये लोग अपने हक और अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं.”हेमा सोलंकी, राष्ट्रीय दलित अधिकार मंच
जिन लोगों ने ओढ़व लो हाउसिंग इनकम स्कीम में घर खरीदारों से पॉवर ऑफ अटर्नी के जरिए अपार्टमेंट खरीदे थे, उन्हें लाख रुपए खर्च करने के बाद भी मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. प्रशासन भी इनकी सुध नहीं ले रहा है.
जब क्विंट ने AMC विजय नेहरा से बात की तो उन्होंने कहा कि- 'गुजरात हाउसिंग बोर्ड AMC के अंतर्गत नहीं आता है. हैरानी की बात है कि अर्बन हाउसिंग डेवलपमेंट बोर्ड के प्रिंसिपल सेक्रेटरी मुकेश पुरी का कहते हैं कि वो हाउसिंग सेक्रेटरी से बात करेंगे. अहमदाबाद के कलेक्टर विक्रांत पाण्डे का कहना है कि ओढ़व GHB स्कीम AMC के अंतर्गत आता है न कि कलेक्ट्रेट के. तो साफ है कि सरकारी बाबू ओढ़व की लो इनकम हाउसिंग सोसाइटी के लोगों के पुनर्वास की जिम्मेदारी से मुंह मोड़ रहे हैं.
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