BCCI वाले एक तो देर से आए और ऊपर से दुरुस्त भी न आए. BCCI ने अपनी पे इक्विटी पॉलिसी के तहत महिला क्रिकेटरों को पुरुष क्रिकेटरों के बराबर मैच फी देने का फैसला लिया है. BCCI बोर्ड सेक्रेट्री जय शाह ने इसपर कहा कि ये लैंगिक समानता की दिशा में एक कदम है. इस फैसले को तमाम दिग्गज भी ऐतिहासिक बता रहे हैं... लेकिन जरा रुकिए. जिस फैसले को पहाड़ बताया जा रहा है वो केवल ढेला भर है.
भारत में क्रिकेट खिलाड़ियों को तीन हिस्सों में बोर्ड से पैसा मिलता है. मैच फी, सलाना कॉन्ट्रैक्ट और बोर्ड के सलाना रेवेन्यू से एक हिस्सा.
अब इन तीनों कदमों की बराबरी करने की जगह, BCCI ने केवल एक के आगे टिक मार्क लगा दिया है. मैच फी अब पुरुष और महिला क्रिकेटरों को बराबर मिलेगी, यानी अब महिला खिलाड़ियों को भी टेस्ट के लिए 15 लाख, वनडे के लिए 6 लाख और हर T20 के लिए 3 लाख रुपए मिलेंगे. ये अच्छी बात है, लेकिन महिला खिलाड़ियों को ये पैसे मिलें, इसके लिए मैचों का होना भी जरूरी है.
पिछले एक साल में हमारी महिला क्रिकेट टीम ने एक भी टेस्ट मैच नहीं खेला है. और तो और, पिछले आठ सालों में महिला खिलाड़ियों ने केवल दो टेस्ट मैच खेले हैं. तो खिलाड़ियों को बराबर पैसे देकर क्या फायदा जब उन्हें ये हासिल करने के मौके ही नहीं दिए जाएंगे?
और कमाई के बाकी दोनों जरियों का क्या? BCCI ने उसमें जरा भी बदलाव नहीं किया है.
खिलाड़ी के लिए BCCI से कमाई का सबसे बड़ा जरिया सलाना कॉन्ट्रैक्ट होता है. सलाना कॉन्ट्रैक्ट की राशि में महिला और पुरुष टीम के बीच की खाई इतनी बड़ी है कि आप जानकर हैरान हो जाएंगे.
पुरुष टीम के A+ ग्रेड के खिलाड़ी का सलाना कॉन्ट्रैक्ट 7 करोड़ रुपये का है. ग्रेड A के खिलाड़ी का 5 करोड़, ग्रेड B खिलाड़ी का 3 करोड़ और ग्रेड C खिलाड़ी का 1 करोड़ रुपये है. कई लोगों की तरह आपको भी लगता होगा कि ग्रेड A की महिला खिलाड़ियों को भले 5 करोड़ न मिलें, लेकिन कम से कम 1 करोड़ तो मिलते ही होंगे. नहीं!
हरमनप्रीत कौर जैसे महिला क्रिकेट टीम के ग्रेड A खिलाड़ी का सलाना कॉन्ट्रैक्ट पुरुष टीम के ग्रेड C खिलाड़ी का भी आधा है. मतलब कि कौर या स्मृति मंधाना जैसी ग्रेड A महिला खिलाड़ियों को कुलदीप यादव और वॉशिंग्टन सुंदर जैसे ग्रेड C पुरुष खिलाड़ियों से आधी रकम मिल रही है.
भारत की महिला क्रिकेट टीम की कप्तान को सलाना कॉन्ट्रैक्ट से केवल 50 लाख रुपये मिलते हैं, और पुरुष टीम के कप्तान को 7 करोड़ रुपये.
इसके अलावा, बोर्ड के सलाना रेवेन्यू से भी महिला क्रिकेटरों को मिलने वाली राशी ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. BCCI को अपने सलाना रेवेन्यू का एक हिस्सा खिलाड़ियों को देना होता है... इसमें से 26 परसेंट का बंटवारा होता है, जिसमें 13 परसेंट पुरुष क्रिकेटरों को मिलता है. इसके बाद 10.3 परसेंट घरेलु क्रिकेटरों को, और बचा 2.7 परसेंट महिला क्रिकेटरों और जूनियर खिलाड़ियों के बीच बांटा जाता है.
क्या इसमें आपको जेंडर इक्वैलिटी नजर आती है?
और जिस कदम पर BCCI इतनी तारीफ बंटोर रहा है, ऐसा करने वाला वो पहला बोर्ड भी नहीं है. पुरुष और महिला क्रिकेटरों को समान फी देने की शुरुआत इसी साल न्यूजीलैंड ने जुलाई में की थी. न्यूजीलैंड की खास बात ये है कि वो अपनी इंटरनेशनल और घरेलू, दोनों खिलाड़ियों को सभी फॉर्मैट में पुरुषों के बराबर ही फी दे रहा है. बराबरी ये है.
तो प्लीज, BCCI के इस कदम पर लैंगिक समानता का चोला मत उढ़ाइए. महिला खिलाड़ियों को भी सेम मैच फी देना अच्छा कदम है, लेकिन उससे और अच्छा तब होगा जब आप उन्हें खेलने के मौके दें. उनके मैच कराएं... और साथ ही, उनके सलाना कॉन्ट्रैक्ट में भी बराबरी आए.
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