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भीमा कोरेगांव हिंसा के चश्मदीद ने जांच पर खड़े किए सवाल

पुणे पुलिस ने UAPA कानून का गलत इस्तेमाल किया- चश्मदीद

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वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज और विशाल कुमार

1 जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में हुई हिंसा के चश्मदीद और रिपब्लिकन युवा मोर्चा के अध्यक्ष राहुल दांबले हाल ही में हुई पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी से खासे हैरान हैं. इसके अलावा इस मामले में चल रही जांच पर भी उन्होंने क्विंट से लंबी बात की.

भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की जांच कर रहे जेएन पटेल आयोग के सामने राहुल दांबले ने सबसे पहले शपथपत्र दाखिल किया. इस आयोग को हिंसा की जांच के लिए गठित किया गया था.

पुणे के दांबले भीमा कोरेगांव मामले के चश्मदीद हैं. वो हिंसा पीड़ितों को आयोग के सामने एफिडिवेट दाखिल करने और उन्हें जोड़ने में भी अहम भूमिका निभा रहे हैं.

भीमा कोरेगांव में 1 जनवरी 2018 को भड़की हिंसा में एक की मौत हुई थी और कई जख्मी हुए थे. यहां, 200 साल पहले पेशवाओं पर दलितों की जीत का जश्न मनाया जा रहा था. दांबले को जांच आयोग और पुणे पुलिस दोनों को लेकर फिक्र है.

बीते 7 महीने से भीमा कोरेगांव हिंसा के पीड़ित इंसाफ के लिए लड़ रहे हैं. FIR में 1500 दंगाइयों के नाम हैं. अब तक पुलिस ने 10 फीसदी को भी गिरफ्तार नहीं किया है. कई पीड़ितों को ऊंची जाति के लोगों ने पीटा, उनकी दुकानें जला दीं फिर भी FIR दर्ज नहीं हुई. 
राहुल दांबले, अध्यक्ष, रिपब्लिकन युवा मोर्चा

पुणे पुलिस को लगता है कि 31 दिसंबर 2017 को आयोजित एल्गार परिषद की वजह से ही भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़की. 1 जनवरी 2018 को कोरेगांव में हुए दलित जश्न के दौरान आरोप है कि भगवा झंडे उठाए कुछ संगठनों ने दलितों पर हमला किया.

दांबले के मुताबिक, वो किसी भी रूप में एल्गार परिषद का हिस्सा नहीं थे, फिर भी जून में उन्हें पुलिस की ओर से नोटिस भेजा गया.

एल्गार परिषद की आयोजन समिति से मेरा कोई लेना देना नहीं था, फिर भी पुणे पुलिस ने मुझे नोटिस भेजा. हम जैसे लोगों को निशाना बनाने और दबाव डालने के लिए पुणे पुलिस UAPA (Unlawful Activities (Prevention) Act) का गलत इस्तेमाल कर रही है. 
राहुल दांबले, अध्यक्ष, रिपब्लिकन युवा मोर्चा

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