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प्रयागराज कुंभ में पहली बार किन्नर अखाड़े का ‘दंगल’

कुंभ में इस बार किन्नरों को खास जगह मिली है.

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वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

वीडियो एडिटर: संदीप सुमन/वरुण शर्मा

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कुंभ में धर्म और संस्कृति के अलग-अलग रंग दिखाई पड़ने लगे हैं. प्रयागराज कुंभ की जो सबसे खास बात होती है वो है साधुओं का जमावड़ा साधुओं के रंग और ढंग. लेकिन इस बार कुछ अलग भी है सब कुछ पुराने जैसा नहीं है. प्रयागराज कुंभ में शामिल हो रहे किन्नर अखाड़े की संन्यासिनी से खास बातचीत की.

प्रयागराज कुंभ में पहली बार किन्नर अखाड़े ने किया शाही स्नान लाव-लश्कर के साथ पहुंचे संगम लेकिन इस जीत के पीछे बड़ी कहानी है.

इतिहास का हिस्सा बनने में कौन उत्साहित नहीं होगा, मुझे कभी नहीं लगा कि इस जन्म में मैं धर्म में भी आऊंगी, मुझे कभी नहीं लगा कि जब मैंने इस जन्म में साड़ी पहनी और समाज में गई कि मेरा कोई वजूद रहेगा कि मेरा मनुष्य होने का वजूद जिस समाज ने छीन लिया, उस समाज ने मुझे सिर माथे पर बैठाया उसी समाज ने मुझे दुलारा, उसी समाज ने मुझे सम्मान दिया, हर शब्द फीके पड़ जाते हैं शब्दकोश कम पड़ जाता है, भावना प्रकट करने के लिए एक ही बात है हर इच्छा प्रबल है और प्रभु हमेशा उन्हीं के साथ रहते हैं जिन्हें वो परीक्षाओं में उतार देते हैं, जैसे सोना तपकर कुंदन होता है
लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी, महामंडलेश्वर, किन्नर अखाड़ा

प्रयागराज कुंभ में किन्नरों का रास्ता आसान नहीं था, संन्यासिनी बनने के लिए इन किन्नरों ने समाज से बड़ी लड़ाई लड़ी है. इससे पहले उज्जैन सिहंस्थ में किन्नरों का अखाड़ा पहली बार कुंभ में शामिल हुआ था

हमें यहां बहुत सारी चीजें झेलनी पड़ीं, बहुत सारी तकलीफें होने लगी, 6 तारीख को पेशवाई था उससे दो दिन पहले हमारा प्लेस कैंसिल हो गया, फिर परमिशन कैंसिल करने की बातें हो रही थीं तो रात-रात भर हम जागेे, डीएम ऑफिस या सभी लोगों से मिलकर बात करने लगे फिर हमारे जो कुछ प्लेसेज थे हमने उसे कुछ शॉर्ट किया, शॉर्ट जगह से निकाली है, ये सारी अटकलें होती रही हैं, होती रही हैं
पवित्रता पीठाधीश्वर, किन्नर अखाड़ा

देशभर में किन्नरों की आवाज बनकर उभरी लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने संघर्ष के जरिये अपने समाज को नया मुकाम दिलाया. वोबताती हैं कि उन्हें जिंदगी में बहुत सारे पड़ाव देखे हैं, मॉडल को-ऑर्डिनेटर रही, सोशल एक्टिविस्ट रही. एक्ट्रेस रही लक्ष्मीनारायण ने रिएलिटी शोज भी किए हैं, साथ ही वो लेखक रही और अब आचार्य महामंडलेश्वर हैं, वो कहती हैं.

तो क्या मैं वही लक्ष्मी हूं, पर वही लक्ष्मी लक्ष्मी ही रहेगी, लक्ष्मी में अगर कुछ गलत होगा तो इसमें भी आवाज उठाने में पीछे नहीं रहूंगी, मेरे मस्तक में बहुत सारी लकीरों में नाम और तमगे लगे हैं पर मेरे हिसाब से मैं भारतीय हूं, सनातनी हूं, मुझे गर्व है कि मैं इस भूतल पर पैदा हुई, मुझे गर्व है कि मैं किन्नर पैदा हुई, मुझे गर्व है कि मेरी लैंगिकता किन्नर है और इस लैंगिकता का सम्मान है मेरे लिए
लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी, महामंडलेश्वर, किन्नर अखाड़ा

नागाओं के साथ ही किन्नर बने कुंभ के आकर्षण किन्नरों के शाही स्नान पर हर किसी की नजर थी. व वे किन्नर जो शाही स्नान के लिए सपने सजाए थे.

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