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बजट 2018: ‘जेटली जी कम से कम इतना तो जरूर करिए’

वित्तीय घाटे को कम करना सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती

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वित्तमंत्री अरुण जेटली करीब 22 लाख करोड़ रुपए का बजट पेश करेंगे लेकिन इसमें आपको क्या मिलेगा? आम लोग इसी बात से परेशान हैं कि लाखों करोड़ों रुपए के बजट में उनके हिस्से में क्या आएगा?

जेटली और सरकार दोनों के लिए जरूरी है कि वो लोगों को राहत देने के लिए बजट बनाए. क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले ये मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट होगा अगली बार तो चुनाव ही आ जाएंगे.

बजट 2018 में सबसे जरूरी क्या?

मॉर्गन स्टैनली के मैनेजिंग डायरेक्टर रिधम देसाई के मुताबिक वित्तीय घाटे पर सबकी नजर रहेगी.

पिछले तीन साल से मोदी सरकार ने लगातार वित्तीय घाटे को कम किया है. 2014 में वित्तीय घाटा 5% से ऊपर था. 2017-18 में वित्तीय घाटा 3.2% का अनुमान था.
रिधम देसाई, मैनेजिंग डायरेक्टर, मॉर्गन स्टैनली

रिधम देसाई के मुताबिक जीएसटी की वजह से सरकार की आमदनी पर असर पड़ा है. इससे वित्तीय घाटा बढ़ सकता है. यही नहीं, 2017-18 में सरकारी खर्च 9% से बढ़ा था और अगले एक साल में ये खर्च 15% से बढ़ेगा.

बजट में कहां खर्च करेगी सरकार?

रिधम देसाई के मुताबिक, बजट में सरकार का ध्यान इंफ्रास्ट्रक्चर और ग्रामीण क्षेत्रों पर होना चाहिए.

रेलवे, हाईवे और पावर में ज्यादा निवेश की जरूरत है. साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में भी सरकार को निवेश बढ़ाएगी.

आम जनता के लिए बजट में क्या?

जनता को हमेशा उम्मीद रहती है कि टैक्स में ज्यादा से ज्यादा कटौती हो. लेकिन रिधम देसाई के मुताबिक, टैक्स में ज्यादा कटौती की उम्मीद नहीं है. इस साल सरकार खर्च पर ज्यादा ध्यान देगी इसलिए ज्यादा टैक्स कटौती की उम्मीद न के बराबर है.

वहीं, बजट से पहले हर बार की तरह इस बार भी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगने की अफवाहें हैं. रिधम देसाई के मुताबिक, शेयर बाजर में निवेशकों पर राहत बरकरार रहेगी और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस टैक्स लगने की उम्मीदें कम हैं.

निवेशकों को सलाह

रिधम देसाई के मुताबिक, आने वाले कुछ समय में ग्लोबल बाजार की रफ्तार धीमी होगी. इसका असर भारतीय बाजारों पर भी पड़ेगा. इसलिए छोटे निवेशकों के लिए जरूरी है कि वो SIP के जरिए निवेश करें

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