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CAA पूरे देश में लागू: किसे मिलेगी नागरिकता? क्या है ये विवादस्पद कानून? क्यों हुआ था विरोध?

नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) को दिसंबर 2019 में संसद से पारित किया गया था और इसको लेकर पूरे देश में भारी विरोध-प्रदर्शन देखने को मिला.

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Citizenship Amendment Act Explained: केंद्र सरकार  विवादास्पसद कानून, नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) को पूरे देश में लागू कर दिया है. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक नोटिफिकेशन में यह जानकारी दी कि दिसंबर 2019 में संसद से पारित हुए इस कानून को अब लागू कर दिया गया है.

ठीक एक महीने पहले ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने ऐलान किया था कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले CAA को अधिसूचित और लागू किया जाएगा.


आपको आसान भाषा में बताते हैं कि आखिर CAA कानून क्या है? इससे कितने प्रवासियों को नागरिकता मिलेगी? इसका विरोध पूरे देश में क्यों हुआ?

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CAA कानून क्या है?

यह कानून 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा और दो दिन बाद राज्यसभा द्वारा पारित किया गया था. इसे 12 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई.

CAA का उद्देश्य बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से धार्मिक रूप से प्रताड़ित ( religious persecution) होकर 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाइयों सहित गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता देनी है.

हालांकि कहीं भी कानून में या अब जारी किए गए नियमों में धार्मिक रूप से प्रताड़ित शब्द का प्रयोग नहीं है.

CAA के तहत नागरिकता के लिए कैसे करें अप्लाई?

गृह मंत्रालय ने सोमवार, 11 मार्च को ही नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 के तहत नियम अधिसूचित किए हैं. इन नियमों को नागरिकता (संशोधन) नियम, 2024 कहा जाएगा. ये नियम CAA-2019 के तहत पात्र व्यक्तियों को भारतीय नागरिकता प्रदान करने के लिए आवेदन करने में सक्षम बनाएंगे.

नागरिकता के लिए आवेदन पूरी तरह से ऑनलाइन मोड में जमा किए जाएंगे. इसके लिए एक वेब पोर्टल उपलब्ध कराया गया है. इसपर क्लिक करके आप फॉर्म पा सकते हैं.

कितने प्रवासियों को मिलेगी नागरिकता?

गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में इस कानून को "पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के लाखों और करोड़ों गैर-मुस्लिम शरणार्थियों" के लिए राहत लाने वाला बताया था.

2016 में गृह मंत्रालय ने संसद में को आंकड़े पेश किए थे, उसके अनुसार, 31 दिसंबर 2014 तक, सरकार ने भारत में 2,89,394 "राज्यविहीन व्यक्तियों" की पहचान की थी यानी जिनके पास नागरिकता नहीं थी.

इनमें से अधिकांश बांग्लादेश (1,03,817) और श्रीलंका (102,467) से थे. इसके बाद तिब्बत (58,155), म्यांमार (12,434), पाकिस्तान (8,799) और अफगानिस्तान (3,469) हैं. ये आंकड़े सभी धर्मों के राज्यविहीन व्यक्तियों के लिए हैं.

लेकिन ध्यान रहे कि CAA के तहत सिर्फ गैर-मुस्लिम प्रवासियों को भारतीय नागरिकता मिलनी है.

31 दिसंबर 2014 के बाद आए प्रवासियों को कैसे नागरिकता मिलेगी?

इसके अलावा 31 दिसंबर 2014 के बाद आए लोगों को भारत में शरण लेने के लिए पहले के रास्ते ही अपनाने होंगे. यदि उन्हें अवैध अप्रवासी माना जाता है तो वे CAA के माध्यम से नागरिकता के लिए आवेदन नहीं कर सकते, चाहे वे किसी भी धर्म के हों.

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पूरे देश में क्यों हुआ CAA का विरोध?

इस कानून के खिलाफ पूरे देश में विरोध-प्रदर्शन हुए. इसमें 100 से अधिक लोगों की जान गयी. विरोध मुख्य रूप से तीन मुद्दे पर थे.

  • पूर्वोत्तर राज्यों में से अधिकांश को डर है कि यदि लागू किया गया तो यह कानून उनके राज्यों में अप्रवासियों की भीड़ का कारण बनेगा जो उनकी जनसांख्यिकीय, भाषाई और सांस्कृतिक संरचना को बदल सकता है.

  • CAA को NRC से जोड़कर भी देखा गया. चूंकि NRC के तहत पूरे देश के नागरिकों का एक रजिस्टर तैयार होगा और यह पहचान की जाएगी कि कौन भारतीय नागरिक नहीं है. आलोचकों का कहना है कि ऐसे में CAA कानून गैर मुस्लिमों को तो अपने रास्ते भारत का नागरिक बनने का मौका तो देता था लेकिन ऐसा विकल्प मुस्लिम समुदाय से जुड़ें लोगों के पास नहीं था.

  • बाकी भारत में, जैसे केरल, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में, लोगों ने विरोध करते हुए कहा कि इसमें नागरिकता का पैमाना धर्म को बनाया जा रहा है और मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है. नागरिकता देने के इस कानून को संविधान के लोकाचार के खिलाफ बताया गया.

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