बिहार में का बा, त बिहार में छठ बा....
छठी मईबा बा
छठी मईया के बचवा सब बा
ई छठी मईया के कृपा ही बा कि बिहार के लोग छठ के लिए घर पहुंच पाते हैं, छठ के लिए पटना में गंगा घाट तक पहुंच पाते हैं...और दिल्ली में बिहार के लोग काली यमुना में डुबकी लगा पाते हैं....
यकीन नहीं आता तो वीडियो में देखिए दिल्ली से बिहार पहुंचे बिहार के लोग...
देखिए ट्रेन के अंदर किस दुर्गति से सफर कर रहे थे बिहार के लोग...
देखिए किन रास्तों से होकर पटना में घाट तक पहुंचे पटना के लोग...
देखिए यमुना के किस पानी में छठ करने को मजबूर हुए बिहार के लोग..
बिहार के तीन दर्द
साल बीतते जा रहे हैं लेकिन छठ के लिए बिहार में अपने घर पहुंचना बिहारियों के लिए पहाड़ चढ़ने जैसा ही है. क्विंट की एक विशेष रिपोर्ट में दिखा कि किस तरह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर लोगों को दिक्कत हुई. क्विंट के ही एक और वीडियो में दिखा कि छठ के नाम पर कैसी स्पेशल ट्रेनें चलाई गईं. जिनमें किराया ज्यादा था लेकिन सुविधाएं कम और ट्रेन लेट.
जब किसी तरह पटना पहुंच गए तो सामना हुआ, गंदे घाटों से, कम घाटों से, दलदली घाटों से, घाटों तक पहुंचने के मुश्किल रास्तों से.
क्विंट ने अपनी रिपोर्ट में दिखाया कि किस तरह गंगा अब पटना से दूर हो रही है. हर साल 0.14 किलोमीटर दूर हो रही है.
पटना से दूर हो रही गंगा
पटना NIT के प्रोफेसर रामाकर झा जिन्होंने पटना से दूर जा रही गंगा को लेकर काफी काम किया है, कहते हैं-“पिछले कुछ दशकों में इंसानी क्रियाकलापों के कारण गंगा पटना के अधिकांश घाटों और नदी की ओर जाने वाली सीढ़ियों से 2.5-3.5 किलोमीटर तक खिसक चुकी है.''
ये हाल तब है कि नीतीश कुमार ने खुद वादा किया था कि वो गंगा को पटना के करीब लाएंगे, लेकिन हो रहा है उल्टा.
प्रोफ़ेसर रामाकर झा कहते हैं- गंगा पाथवे परियोजना के निर्माण ने निश्चित रूप से गंगा को और आगे खिसका दिया है. कुछ स्थानों में गंगा पाथ वे परियोजना का कार्य प्रारंभ होने के बाद स्थानांतरित भी हुई है, लेकिन जब तक परियोजना का कार्य समाप्त होगा, तब तक नदी शहर से पूरी तरह से दूर जा चुकी होगी.”
दिल्ली में यमुना बेहाल
ये तो हुई पटना की बात लेकिन बिहार के जो लोग छठ के लिए बिहार नहीं जा पाए उनका क्या हश्र हुआ ये भी देखिए..लोग काले पानी में पूजा करने को मजबूर हुए.
ये हाल तब है जब सालों से दिल्ली के नेता छठ के समय यमुना में सियासी अर्घ्य देने पहुंच जाते हैं. लेकिन यमुना मईया का आंचल मैला ही था, काला ही है..
कुल मिलाकर बिहार से बाहर तक बिहारी हैं और बिहारी हैं तो छठ का महापर्व है...इसलिए हर पार्टी, हर सरकार बिहार के इस त्यौहार को साष्टांग करती है, लेकिन जाहिर है उनकी श्रद्धा में खोट है, तभी तो छठी मईया के बच्चों को हर साल इतनी दिक्कते होती हैं...फिलहाल तो ऐसा लगता है कि बिहारियों का कोई नहीं, छठी मईया के सिवा...
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