Chhattisgarh Election Result: छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने अप्रत्याशित जीत दर्ज की है. सभी एग्जिट पोल को गलत साबित करते हुए बीजेपी प्रदेश में सरकार बनाने जा रही है. इसी के साथ छत्तीसगढ़ का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा इसको लेकर चर्चा भी शुरू हो गई है. जानकारों की मानें तो बीजेपी आदिवासी या फिर ओबीसी चेहरे को मुख्यमंत्री बना सकती है. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह इस रेस में पीछे दिख रहे हैं.
चलिए आपको बताते हैं कि बीजेपी का अगला मुख्यमंत्री कौन बन सकता है और इसकी क्या वजह है?
1- अरुण साव
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री की रेस में बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष और सांसद अरुण साव का नाम सबसे आगे चल रहा है. बिलासपुर जिले की लोरमी विधानसभा सीट से अरुण साव ने जीत दर्ज की है. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी थानेश्वर साहू को हराया है.
अरुण साव ओबीसी वर्ग से आते हैं. बीजेपी ने अगस्त 2022 में अरुण साव को पार्टी की कमान सौंपी गई थी. साव को जब ये जिम्मेदारी दी गई थी तब कहा जा रहा था कि पार्टी, कांग्रेस के हावी होते छत्तीसगढ़ियावाद का जवाब लेकर आई है. पार्टी की ये फैसला चुनाव में सही साबित हुआ है. अरुण साव के नेतृत्व में बीजेपी ने जीत दर्ज की है.
देश में ओबीसी पॉलिटिक्स और 2024 लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी अरुण साव को मुख्यमंत्री बना सकती है. अरुण साव के जरिए बीजेपी ये संदेश देने की भी कोशिश करेगी की वो ओबीसी हितैषी है.
चुनाव के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने भी कई बार ओबीसी मुख्यमंत्री का मुद्दा भी उठाया था. चुनावी रैलियों में राहुल गांधी ने इसको लेकर बीजेपी पर निशाना भी साधा था. साथ ही ओबीसी के नाम पर जातिगत जनगणना करवाने का भी वादा किया था.
2- विष्णुदेव साय
मुख्यमंत्री की रेस में दूसरा नाम विष्णुदेव साय का आता है. कुनकुरी विधानसभा क्षेत्र से उन्होंने जीत दर्ज की है. साय ने 25 हजार से ज्यादा वोटों से कांग्रेस प्रत्याशी यूडी मिंज को हराया है. विष्णुदेव साय छत्तीसगढ़ में बीजेपी के बड़े आदिवासी नेताओं में से एक हैं.
2020 में उन्हें प्रदेश बीजेपी का अध्यक्ष नियुक्त किया था. साय तीन बार प्रदेश अध्यक्ष का कमान संभाल चुके हैं. साल 1999 से 2014 तक वो रायगढ़ से सांसद रहे और मोदी सरकार-1 में केंद्रीय मंत्री भी रहे.
आदिवासी चेहरा होने की वजह से विष्णुदेव साय को मुख्यमंत्री बनाने की संभावना है. 2024 लोकसभा चुनावों के मद्देनजर पार्टी ऐसा कर सकती है. छत्तीसगढ़ में आदिवासियों की 2.5 करोड़ से ज्यादा आबादी है. वहीं 34 फीसदी आदिवासी वोटर्स हैं. विधानसभा चुनाव में आदिवासियों के लिए 29 सीटें आरक्षित की गई हैं. वहीं लोकसभा की 11 सीटों में से 4 सीटें आरक्षित हैं. ऐसे में 2024 लोकसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी आदिवासी चेहरे को मुख्यमंत्री बना सकती है.
विष्णुदेव साय को आरएसएस का भी करीबी माना जाता है. इसके साथ ही वो पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के भी करीबी हैं.
3- रेणुका सिंह
डॉक्टर रेणुका सिंह भी मुख्यमंत्री की रेस में हैं. वो आदिवासी समाज से आती हैं. BJP ने रेणुका को कोरिया जिले की भरतपुर सोनहत सीट से मैदान में उतारा था. रेणुका केंद्र सरकार में राज्यमंत्री हैं और साल 2003 में पहली बार विधायक निर्वाचित हुई थीं. इसके साथ उन्होंने छत्तीसगढ़ BJP की महिला मोर्चा में महामंत्री के रूप में काम भी किया हुआ है.
बीजेपी ने राष्ट्रपति चुनाव में द्रौपदी मुर्मू को आगे करके आदिवासी कार्ड खेला था. ऐसे में एक बार फिर बीजेपी छत्तीसगढ़ में ये प्रयोग कर सकती है.
4- ओपी चौधरी
छत्तीसगढ़ में पूर्व IAS ओपी चौधरी भी मुख्यमंत्री की रेस में हैं. ओपी चौधरी को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का बेहद करीबी माना जाता है. इसी के कारण पूर्व आईएएस को राजनीति में उतारा गया है. 22 साल की उम्र में IAS बनने वाले ओपी चौधरी बीजेपी के तेज तर्रार नेताओं में से एक हैं.
बीजेपी ने इस बार ओपी चौधरी की सीट भी बदल दी. उन्हें रायगढ़ से चुनावी मैदान में उतारा गया है. रायगढ़ में चुनाव प्रचार करने पहुंचे अमित शाह ने कहा था कि आप चौधरी को चुनाव जीता दें. इन्हें मैं बड़ा आदमी बना दूंगा. बड़ा आदमी बनाना मेरा काम है.
बता दें कि ओपी चौधरी रायपुर के कलेक्टर रह चुके हैं. साल 2018 में वो खरसिया विधानसभा सीट से चुनाव लड़ थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
5- विजय बघेल
छत्तीसगढ़ में विजय बघेल के नाम की भी चर्चा है. वो दुर्ग लोकसभा सीट से सांसद हैं. बघेल सीएम भूपेश बघेल के भतीजे हैं. पार्टी ने चाचा-भतीजे को पाटन सीट से आमने-सामने उतारा था. यह पहली बार नहीं है जब विजय बघेल और भूपेश बघेल चुनावी मैदान में आमने सामने आए हैं. दोनों 2003, 2008 और 2013 में भी आमने सामने थे. इसमें 2003 और 2013 में भूपेश बघेल जीते थे और 2008 में विजय बघेल की जीत हुई थी.
6- रमन सिंह
मध्य प्रदेश, राजस्थान की तरह छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव भी PM मोदी के चेहरे पर लड़ा गया. पार्टी की तरफ से सीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा नहीं की गई है. रमन सिंह 3 बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. ऐसे में मुख्यमंत्री के रूप में पार्टी उन्हें फिर से मौका दे सकती है.
बहरहाल, बीजेपी अपने चौंकाने वाले फैसलों के लिए जानी जाती है. अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री पद के लिए इनमें से किस नाम पर मुहर लगती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)