तकनीक की दुनिया में बेहद चौंकाने वाली बात हो रही है. चीन (China) अपनी ही प्राइवेट टेक कंपनियों (Private Tech Companies) को बर्बाद करने वाले फरमान दे रहा है. ऑनलाइन एजुकेशन वाली कंपनियों को प्रॉफिट के लिए कंपनी नहीं चलाने का आदेश है. आईपीओ (IPO) नहीं ला सकते हैं. विदेशी पूंजी (Foreign investment) बिल्कुल नहीं उठा सकते हैं. ज्यादातर जिन कंपनियों पर हमला हो रहा है वो अमेरिका, हॉन्गकॉन्ग, शंघाई में लिस्टेड हैं और कंज्यूमर इंटरनेट स्पेस में ऑपरेट करती हैं.
अलीबाबा के खिलाफ सरकार की कार्रवाई
पिछले साल नवंबर-दिसंबर की एक बड़ी हेडलाइन याद कीजिए. पिछले साल जैक मा अचानक गायब हो गए थे. उनकी कंपनी का आईपीओ लाने से सरकार ने मना कर दिया था. अलीबाबा के खिलाफ जांच शुरू कर दी गई थी. बाद में जैक मा उस कंपनी से हट गए थे और ऐप स्टोर से उस कंपनी को हटा दिया गया था. अब Didi Chuxing के खिलाफ जांच के आदेश के दिए गए हैं. तो फिनटेक, कंज्यूमर कॉमर्स, ऑनलाइन शॉपिंग, फन और गेम वाली कंपनियां, इन सब पर चीन की तरफ से बहुत बड़ा हमला हो रहा है. दुनियाभर के एक्सपर्ट इस बात पर फिलहाल माथापच्ची कर रहे हैं कि चीन अपनी ही कंपनियों को बर्बाद करने पर क्यों तुला हुआ है.
चीनी कंपनियों के आने वाले 60 IPO पर संकट गहराता जा रहा है. चीनी कंपनियों की कीमत अमेरिका के बाजार में गिर रही है. जिस ऑनलाइन एजुकेशन के बाजार को 100 बिलियन डॉलर का बाजार माना जा रहा था अब उसकी वैल्यूएशन 25 बिलियन डॉलर माना जा रहा है. 2 ट्रिलियन डॉलर वैल्यूएशन कीमत के विदेशी निवेश वाली चीनी कंपनियां असमंजस में हैं.
भारत में भी टेक कंपनियां IPO ला रहीं हैं. लेकिन जितनी कंपनियों की चर्चा है वो कॉपीकैट कंपनियां है. अमेरिका के सिलिकन वैली और चीन का ये सिर्फ विस्तार हैं.
चीन में किन कंपनियों पर शिकंजा नहीं
मिलिट्री
हार्डवेयर
सेमी कंडक्टर
चिप इंडस्ट्री
टेलीकॉम
चीन में किस पर शिकंजा
शॉपिंग
फन
गेम
ई-कॉमर्स
चीन टेक कंपनियों को मानता है कि ये भटकाने वाली, निजी मुनाफा के लिए और रियल इकनॉमी के लिए गैर फायदेमंद हैं.
चीन का जोर अंतरराष्ट्रीय, सेना और आर्थिक ताकत बढ़ाने पर है. इसलिए वो अपनी टेक कंपनियों को बर्बाद करने पर तुला हुआ है. चीन मानता है कि फन, गेम, ई-कॉमर्स, शॉपिंग से देश को फायदा नहीं होगा. वो चाहता है कि बच्चे रिसर्च, इंजीनियरिंग, डिजाइन, नए ईंधन पर ध्यान दें.
चीन नहीं चाहता निजी कंपनियों के पास बिग डेटा हो. सतही बातें नहीं, सीरियस टेक की बातें हों. वहीं भारत में प्राइवेसी की बातें किए बिना निजी कंपनियों को बढ़ावा दिया जा रहा है.
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