क्विंट की नई पेशकश चुनाव ट्रैकर के साथ हम एक बार फिर आपके सामने हैं. तैयार हो जाइए हमारे साथ चुनावी खबरों पर चर्चा के लिए.
एलेक्टोरल बॉन्ड
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि एलेक्टोरल बॉन्ड पर रोक नहीं लगाएंगे. पार्टियों को सीलबंद लिफाफे में चुनाव आयोग को बताना होगा कि इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा देने वाला डोनर कौन है. लेकिन सीलबंद होने की वजह से आपको या हमको पता नहीं चलेगा कि चंदा किसने दिया.
दूसरी बात अगर ये बीयरर बॉन्ड है तो किसी ने नाम बताया नहीं और पैसे दे दिए फिर पार्टी ने अपने खाते में डाल लिया. क्योंकि उसमें किसी का नाम नहीं है तब किसी का नाम कैसे पता चलेगा. जब खरीदने गए तो स्टेट बैंक को मालूम है कि इसका खरीददार कौन है. जो देने आया है उसकी पहचान मालूम नहीं है. इस पर बहुत बड़ा विवाद हुआ है.
अगर इलेक्टोरल रिफॉर्म , पॉलिटिकल रिफॉर्म , चुनाव से भ्रष्टाचार दूर करने का किसी ने आपसे वादा किया था तो इसका अब तक कोई नतीजा नहीं निकला है. इलेक्टोरल बॉन्ड ये बताता है कि आप लोगों को भ्रमित करना चाहते हैं
आज कल सील कवर का नया चलन है. सुप्रीम कोर्ट सील कवर में एक पक्ष की बात सुनेगा, लोगों को कुछ पता नहीं चलेगा. चुनाव आयोग के पास भी एक बंद लिफाफा जाएगा, जिसमें क्या है, नहीं मालूम.
इलेक्टोरल बॉन्ड की अगली तारीख है 30 मई. तब तक चुनाव खत्म हो जाएंगे. दुनिया का सबसे महंगा चुनाव होने जा रहा है. सीएमएस की स्टडी के मुताबिक करीब 50 हजार करोड़ रुपये इस चुनाव में खर्च होंगे. जितना सफेद में खर्च होगा उसका हिसाब हम लगा पाएंगे, लेकिन जो ब्लैक में खर्च है, वो बेहिसाब है.
सुप्रीम कोर्ट ने क्या किया, क्या नहीं किया हमें मालूम नहीं हो पा रहा है. इसीलिए माया और मिथ्या आज के दो कैच वर्ड हैं
पूर्व जनरलों की राष्ट्रपति को चिट्ठी
शुक्रवार को अचानक एक चिट्ठी आई सोशल मीडिया पर कि 150 के आसपास पूर्व फौजियों ने जिसमें बड़े अधिकारी भी शामिल हैं, उन्होंने राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर कहा है कि सेना का राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. लेकिन सेना का लगातार राजनीतिकरण हो रहा है.
लेकिन चिट्ठी सामने आने के बाद राष्ट्रपति भवन ने कहा कि हमें तो कोई चिट्ठी मिली नहीं. उसके बाद पूर्व जनरल एसएफ रॉड्रिग्ज और एनसी सूरी ने कहा कि हमने ऐसी कोई चिट्ठी साइन नहीं की. इन दोनों के नाम उस चिट्ठी में दिख रहे हैं. चिट्ठी मिली नहीं, साइन नहीं हुई तो क्या ये फेक न्यूज है? क्या ड्राफ्ट लीक हुए?
ये बात नहीं कि ये पूरी तरह से फेक है. क्योंकि मेजर जनरल कक्कड़ ने बताया कि इस चिट्ठी पर उन्होंने साइन किए. कपिल काक ने बताया कि उन्होंने ये चिट्ठी पहले भी चुनाव आयोग को लिखी थी.जिसके बाद चुनाव आयोग ने एक एडवाइजरी जारी कर दी.
मेजर जनरल चौधरी और उनके दोस्त का कहना है कि कुछ लोग दबाव में आ गए होंगे और बाद में खुद को अलग करने का सोच रहे हों.
फौजी रिटायर्ड हो या मौजूदा, वो मौजूदा हालात और राजनीतिकरण से नाराज है. वो अनुशासन में रहते हैं, कुछ बोलते नही हैं.
स्मृति ईरानी की डिग्री
स्मृति ईरानी ने अमेठी लोकसभा सीट से नामांकन के दौरान अपनी हाईएस्ट एजुकेशनल क्वालिफिकेशन वाली कैटेगरी में बीकॉम पार्ट-1 लिखा है. स्मृति ने बताया है कि उन्होंने 1994 में दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ ओपन लर्निंग (कॉरस्पोंडेंस) में इस कोर्स में दाखिला लिया था, लेकिन उन्होंने इसे पूरा नहीं किया. उन्होंने जो जानकारी दी है उसमें लिखा गया है- ''तीन साल का डिग्री कोर्स पूरा नहीं हुआ.''
साल 2004 में स्मृति ईरानी ने दिल्ली की चांदनी चौक सीट से चुनाव लड़ा था. उस वक्त अपने हलफनामे में उन्होंने बताया था कि 1996 में दिल्ली यूनिवर्सिटी (स्कूल ऑफ कॉरस्पोंडेंस) से बीए किया है. इस तरह उन्होंने बताया था कि वह ग्रेजुएट हैं.
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