मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव का प्रचार जोरों पर चल रहा है. बुधनी सीट हाईप्रोफाइल सीट है, जहां से सीएम शिवराज सिंह चौहान चुनाव लड़ रहे हैं. कांग्रेस की तरफ से अरुण यादव, शिवराज सिंह को टक्कर दे रहे हैं. बुधनी में शिवराज सिंह चौहान की जगह उनके बेटे कार्तिकेय ने प्रचार का मोर्चा संभाला है.
क्विंट से खास बातचीत में कार्तिकेय ने बेबाकी से दिए सारे सवालों के जवाब
मोर्चा किस तरह से संभाला है,अरुण यादव कितनी बड़ी चुनौती हैं?
मोर्चा उनके बेटे ने संभाला है ऐसा नहीं है मोर्चा यहां के कार्यकर्ताओं ने संभाला है, और उनमें से एक कार्यकर्ता कार्तिकेय चौहान है. हम माननीय अरुण यादवजी की बात करते हैं, वो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं, मैं और बीजेपी का हर कार्यकर्ता उनका सम्मान करता है. वो आए हैं हम उनका स्वागत करते हैं, लेकिन पूरी गंभीरता के साथ बीजेपी के कार्यकर्ता लड़ेंगे.
चुनाव प्रचार के लिए क्या होगी रणनीति?
यहां तो महिलाएं या बुजुर्ग कोई वर्ग हो हमें यही बोलता है कि आप तो काम करते रहो, संघर्ष करते रहो, हम आपके साथ हैं. जहां तक आधुनिक तरीकों का सवाल है, मेरे खयाल से कोई तरीका पुराना या घिसा-पिटा नहीं होता. जो ट्रेडिशनल तरीका है घर-घर जा कर आशीर्वाद लेना ये सबसे बेहतर तरीका है. जहां तक युवाओं का सवाल है, उनको जोड़ने के लिए नुक्कड़-नाटक जैसे तरीकों को भी इस्तेमाल में लाना चाहिए.
शिवराज सिंह चौहान की विरासत को संभालने का कितना दबाव है?
कई बार लोग ये कहते हैं कि मैं परिवारवाद का एक नतीजा हूं लेकिन वो ये नहीं समझ पाते कि जो चौहान नाम है, उसका बोझ काफी भारी है. अगर मैं आगे सेवा में आता हूं जनता की, चाहे किसी भी रूप में, चाहे वकील के रूप में चाहे, नेता के रूप में, तो निश्चित रूप मेरी जिम्मेदारी बढ़ जाती है. लोग मुझसे वैसी ही उम्मीद रखते हैं जैसी मेरे पिताजी से रखते हैं और मैं उन उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करूंगा.
पनामा पेपर को लेकर राहुल गांधी के आरोपों पर अब आगे क्या?
जहां तक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का सवाल है. हम उनका सम्मान करते हैं, लेकिन जिस प्रकार के बयान वो देते हैं, उससे कभी-कभी मुझे आश्चर्य होता है कि इतनी बड़ी पार्टी और उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष ऐसे बयान देते हैं, तो लगता है कि कांग्रेस के कार्यकर्ता किस प्रकार के नेतृत्व को फॉलो कर रहे हैं. जब कांग्रेस के कार्यकर्ता ऊपर देखते होंगे तो क्या सोचते होंगे? उनके नेता कौन हैं, ऐसे बयान देकर न केवल वो हमें तकलीफ पहुंचाते हैं, बल्कि अपनी छवि को भी खंडित करने का काम करते हैं .
कांग्रेस के घोषणा पत्र में आरएसएस के खिलाफ ऐलान का क्या असर होगा?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एक राष्ट्रवादी विचारधारा वाले लोगों का संगठन है.घोषणा पत्र में अगर ऐसे पॉइंट्स सामने आते हैं तो मैं मनाता हूं कि ये राष्ट्रवाद की बेइज्जती करना है. स्वयंसेवक संघ के नेता हैं. जो लीडर हैं, कार्यकर्ता हैं, उन्होंने अपना जीवन देश के नाम समर्पित किया है, और चाहे वो कोई भी पार्टी हो उन्हें एक समान नजरों से ऐसे राष्ट्रसेवकों को उन्हें देखना चाहिए. हम इसका पूरी तरह विरोध करते हैं. कांग्रेस के घोषणा पत्र में संघ से जुड़ी बात है निश्चित रूप से उन्हें इसका खामियाजा भुगतना होगा.
मध्य प्रदेश में 28 नवंबर को 230 सीटों पर चुनाव होने हैं, माना जा रहा है कि ये चुनाव सीधा बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर है.
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