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COVID-19: टेस्टिंग से लेकर खर्चे तक, जानिए अपने सभी सवालों के जवाब

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 17 मार्च तक कोरोनावायरस के 137 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं

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स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 17 मार्च तक कोरोनावायरस के 137 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं. जैसे-जैसे पॉजिटिव मामलों की संख्या बढ़ती जा रही है, लोगों में इसकी टेस्टिंग को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं- क्विंट फिट ने आपके कुछ सवालों के जवाब देने की कोशिश की है.

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कहां पर कराया जा सकता है COVID-19 का टेस्ट?

अभी सिर्फ सरकारी प्रयोगशालाओं को ही प्राइमरी टेस्टिंग करने की अनुमति है, लेकिन अब सरकार टेस्टिंग के लिए इसकी संख्या दोगुनी करने की व्यवस्था कर रही है प्राइवेट लैब में भी ये सुविधाएं दी जाएंगे. स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक, करीब 60 मान्यता प्राप्त निजी लैब में जल्द ही टेस्टिंग सुविधा की अनुमति मिल सकती है. अभी टेस्ट 72 सरकारी लैब में किया जा रहा है, जो भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) संचालित कर रहा है.
अगर आपको इस टेस्ट की जरूरत पड़ती है तो राज्य सरकारों की तरफ से जारी हेल्पलाइन नंबर या स्वास्थ्य मंत्रालय के केंद्रीय हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करना होगा. वो आपको नजदीकी टेस्टिंग सुविधा के बारे में बता देंगे.

1075 कोरोनावायरस के लिए हेल्थ मिनिस्ट्री का टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर है

COVID-19 का टेस्ट कराने में कितना खर्चा होता है?

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 17 मार्च तक कोरोनावायरस के 137 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं

कितने तरह के टेस्ट हैं? वे कैसे किए जाते हैं?

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 17 मार्च तक कोरोनावायरस के 137 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक 17 मार्च तक कोरोनावायरस के 137 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं

प्राइमरी और सेकेंडरी टेस्ट में कितना समय लगता है?

प्राइमरी टेस्टिंग में करीब 2-4 घंटे लगते हैं, और 31 लैब में जहां इसकी सेकेंडरी टेस्टिंग हो रही है, वहां 3-4 घंटे लगते हैं. हालांकि, प्रक्रिया में तब ज्यादा समय लग जाता है अगर आपकी जिस लैब में टेस्टिंग की जाती है उसमें सेकेंडरी टेस्टिंग सुविधा नहीं होती है, क्योंकि तब सैंपल को NIV या सेकेंडरी टेस्टिंग सुविधा वाली किसी दूसरी लैब में भेजा जाता है.

भारत में COVID-19 टेस्टिंग की स्ट्रेटजी क्या है?

मौजूदा समय में, भारत सीमित और विशिष्ट प्रोटोकॉल का पालन कर रहा है और केवल हाल ही में विदेश यात्रा से लौटे बीमारी के लक्षण वाले लोगों का टेस्ट किया जा रहा है.

ICMR के अनुसार, चूंकि अभी तक वायरस का कोई कम्युनिटी संक्रमण नहीं है, इसलिए निगरानी में रखे जाने वाले मुख्यतः ऐसे लोग हैं, जिन्होंने पिछले 14 दिनों में हाई-रिस्क वाले देशों की विदेश यात्रा की है और जिन लोगों का ऐसे लोगों के साथ संपर्क रहा है. इन लोगों को 14 दिनों के लिए सेल्फ-क्वारंटाइन की सलाह दी जाती है, और जब उनमें कोई लक्षण दिखता है तो लैब में टेस्टिंग की जाती है.

ICMR के महानिदेशक बलराम भार्गव कहते हैं, “टेस्टिंग प्रोटोकॉल में जरूरत के मुताबिक बदलाव किया जा सकता है. अगर हालात को देखते हुए जरूरी हुआ तो एक हफ्ते के भीतर टेस्टिंग के तरीके में बदलाव किया जाएगा.”

सिर्फ उन्हीं लोगों का क्यों टेस्ट किया जा रहा है जो विदेश यात्रा से लौटे हैं?

ऐसा इसलिए है क्योंकि अब तक कोई कम्युनिटी संक्रमण नहीं है.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय और ICMR दोनों का कहना है कि चूंकि भारत में सभी मरीज बाहर से आए हैं, इसलिए उन लोगों की स्क्रीनिंग पर ध्यान केंद्रित किया गया है, जिन्होंने विदेश यात्रा की थी और जो लोग उनके संपर्क में आए थे.

डॉ भार्गव इस वायरस के हमले की व्याख्या करते हुए बताते हैं कि यह 4 चरणों में आता है.

स्टेज-1 बाहर से आए मरीज हैं. स्टेज-2 स्थानीय फैलाव है. स्टेज-3 सामुदायिक फैलाव है. स्टेज-4 महामारी है. हम इस समय स्टेज-2 पर हैं और जब तक हम इस स्टेज पर हैं, तब तक बहुत ज्यादा चिंता की बात नहीं है.
डॉ बलराम भार्गव, ICMR महानिदेशक

डॉ भार्गव का कहना है कि हमने तेजी से कार्रवाई शुरू कर दी है- जैसे स्कूल, विश्वविद्यालय, सिनेमा हॉल और तमाम चीजें बंद करना- स्टेज-2 पर यह काफी है. इटली और चीन जब स्टेज-4 पर थे, तब उन्होंने सबसे कड़े उपाय अपनाए और राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन का सहारा लिया, इसलिए हमने सही वक्त पर कदम उठाया है.

टेस्ट कौन कर सकता है? क्या मैं किसी प्राइवेट लैब में टेस्ट करा सकता हूं?

अभी तक, केवल सरकारी लैब कोरोनावायरस की टेस्टिंग कर रही हैं. ICMR की डॉ निवेदिता गुप्ता के मुताबिक, “हमें अभी निजी लैब की जरूरत नहीं है क्योंकि मौजूदा बुनियादी ढांचे का भी बहुत न्यूनतम इस्तेमाल किया जा रहा है.”

ICMR और NIV कॉमर्शियल टेस्टिंग किट का इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं और अभी तक, भारत में बनाई टेस्टिंग सामग्री इस्तेमाल की जा रही है, हालांकि जर्मनी से भी किट आयात की जा रही है. ICMR का कहना है कि फिलहाल पर्याप्त टेस्टिंग स्टॉक है.

क्या मेडिकल बीमा पॉलिसी COVID-19 को कवर करती हैं?

इंश्योरेंस रेग्युलेटरी एंड डेवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (IRDAI) ने 4 मार्च को सभी बीमा कंपनियों को क्लेम में नोवल कोरोनोवायरस के इलाज के दौरान अस्पताल में भर्ती होने या चिकित्सा खर्च को शामिल करने का निर्देश दिया है.

ICMR कम्युनिटी ट्रांसमिशन के लिए कैसे टेस्ट करेगा?

कम्युनिटी ट्रांसमिशन एक बड़ी चिंता का मुद्दा है क्योंकि विदेशों से मिली रिपोर्टों से पता चलता है कि वायरस अक्सर बिना लक्षण या मामूली लक्षणों के साथ लोगों को संक्रमित कर सकता है.

ICMR विदेश नहीं गए फ्लू के लक्षणों वाले मरीजों के निश्चित क्रम के सैंपल ले रहा है, ताकि कम्युनिटी ट्रांसमिशन का पता लगाया जा सके. यह 15 फरवरी से शुरू हुआ है, जिसके तहत 51 लैब में से हर एक में 10 रैंडम सैंपल की टेस्टिंग की उम्मीद थी. चूंकि वायरस काफी आक्रामक रूप से आगे बढ़ा है, ICMR ने इसे हर हफ्ते 20 सैंपल तक बढ़ा दिया है. तब से, इस अभ्यास का दायरा बढ़ाया गया है.

डॉ निवेदिता गुप्ता कहती है, “रैंडम सैंपल्स में कोई भी पॉजिटिव केस मिलता है तो हमारी मौजूदा टेस्टिंग स्ट्रेटजी पूरी तरह बदल जाएगी.”

मुझे COVID-19 का टेस्ट कब कराना चाहिए?

अगर आपको सूखी खांसी, सांस लेने में मुश्किल, बुखार और थकान जैसे कोई लक्षण हैं, तो बेहतर होगा कि सीधे डॉक्टर के पास जाएं और टेस्ट कराएं.

डॉ निवेदिता गुप्ता का कहना है कि हर कोई- यहां तक कि जिसमें लक्षण नहीं हैं- दहशत में है, लेकिन टेस्टिंग करने के लिए जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. डॉ निवेदिता, कहती हैं, “मकसद यह है कि हमें अंधाधुंध टेस्ट कराने से बचना चाहिए,” हमें तर्कसंगत होने की जरूरत है.

डॉ निवेदिता गुप्ता कहती हैं, “कोई लक्षण नहीं दिखने वाले व्यक्ति को शुरुआत में हाई वायरल नहीं हो सकता है, लेकिन 14-दिन क्वारंटाइन अवधि के अंत में उसमें खतरनाक लक्षण विकसित हो सकते हैं. इसलिए हम फिलहाल केवल लक्षण वाले मरीजों को देख रहे हैं. इस तरीके से हम बीमारी को तेजी से फैलने से रोकने के लिए उनके करीबी संपर्कों को भी खोज सकते हैं.”

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