वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
पूरे देश में कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने 24 मार्च को 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित किया था जिसे अब बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया है. लॉकडाउन के कारण कई लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में देश के किसानों पर लॉकडाउन एक कहर बनकर टूटा है. किसानों पर क्या बीत रही है ये क्विंट ने उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में जानने की कोशिश की.
किसानों का कहना है कि उनकी फसल अब कटने के लिए तैयार हो चुकी है, लेकिन लॉकडाउन के चलते वो कटाई के लिए मजदूरों को ला नहीं सकते हैं और न ही गांव वालों की मदद ले पा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में सोनभद्र के किसान अभिषेक कुमार ने खेत में गेहूं लगाया है जो अब कटने के लिए तैयार है. उन्होंने द क्विंट को बताया कि वो फसल काटने के लिए बाहर से लेबर नहीं ला पा रहे हैं और अगर वो ऐसे में हार्वेस्टर से अपनी फसल काटने का निर्णय लेते हैं तो उसमे पशुओं के लिए चारे का इंतजाम नहीं हो पाता है.
‘हम किसानों को बहुत दिक्कत हो रही है, अगर हम किसी तरह गेहूं कटवा भी लेते हैं, तो वो हमारे खेत में ही पड़ा रह जाएगा, क्योंकि प्राइवेट में इसकी खरीदारी हो रही है, न ही इसे सरकार अभी खरीद रही हैअभिषेक कुमार, किसान, सोनभद्र
बनारस के रहने वाले राजेश ने 6 बीघे में पपीता लगाया है, उनका कहना है कि वो पके हुए पपीते को तोड़ भी नहीं सकते हैं, क्योंकि अगर वो इसे तोड़ कर बाजार में बेचने भी जाते हैं तो लॉकडाउन की वजह से पुलिस की सख्ती है, वो मारती है और भगा देती है. राजेश बताते हैं कि उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिल पा रही है.
बनारस के ही अजय कुमार मौर्य ने 10 बीघे में बैगन लगाया है. उनका कहना है कि उनकी फसल सड़ जाएगी क्योंकि बाजार में न तो उन्हें दवाई मिल रही है, और न ही खाद.
शाहजहांपुर के रहने रहने वाले किसान रामकरन ने हमें बताया कि उन्हें लॉकडाउन से बहुत परेशानी हो रही है क्योंकि वो न तो अपनी खेत में फसल ध्यान रख पा रहे हैं और न ही अपने घर का.
कुछ भी नहीं मिल रहा है, बाजार बंद है, घर के लिए चीनी लेने जाते हैं तो वो नहीं मिलती है, दवाई लेने जाओ, खेत के लिए तो वो भी नहीं मिलती है, फसल तैयार हो चुकी है, लेकिन लेबर ढूंढने जाओ तो वो भी नहीं मिल रहे हैं, वो कहते हैं कि वो लॉकडाउन के बाद ही आएंगे.रामकरन, किसान, शाहजहांपुर
इस लॉकडाउन में किसानों की सबसे बड़ी समस्या यही है कि उन्हें कटाई के लिए लेबर नहीं मिल पा रहे. इसका एक साइडइफेक्ट देखिए फतेहपुर के किसान अजय पटेल ने गेहूं लगाया था. कटाई के लिए मजदूर न मिलने पर उन्होंने हार्वेस्टर से फसल कटवाने का फैसला लिया. लेकिन हार्वेस्टर से खेत में आग लग गई और करीब 200 बीघा की फसल जल कर खाक हो गई.
हमने हार्वेस्टर से फसल काटना शुरू ही किया था कि उसमें कुछ दिक्कत आई और उसके बाद खेत में आग लग गई. करीब 200 बीघा जल कर खाक हो चुका है, अब भुखमरी के कगार पर आ गये हैं.अजय पटेल, किसान, फतेहपुर
इन किसानों की सरकार से अपील है कि वो उनके लिए कुछ करे और उनकी मदद के लिए आगे आए. भोपाल के मनोहर जागीरदार ने सरकार से मांग करते हुए कहा कि- 'किसानों की फसल तैयार है, मेरी सरकार से ये अपील है कि इन फसलों को सरकार जल्द से जल्द खरीदे, ताकि किसानों को और दिक्कतों का सामना न करना पड़े और उनकी फसल बर्बाद न हो जाए.'
अभी सरकार की प्राथमिकता कोरोना है. होना भी चाहिए लेकिन शायद किसानों की समस्या भी उतनी ही अहम है. यूपी के किसानों की समस्याओं पर जब क्विंट ने उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री लखन सिंह राजपूत से बात की तो उन्होंने कहा कि किसानों को कृषि यंत्र ले जाने की अनुमति दी गई है और जहां दिक्कत आ रही है, वहां वो निर्देश देकर सब ठीक कराएंगे.
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