वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
अमेरिका ने वैक्सीन पर पेटेंट का अधिकार छोड़ने का ऐलान कर दिया है. कोरोना के खिलाफ जंग में ये कितना बड़ा मील का पत्थर है, और इसका फायदा उठाने के लिए भारत को क्या करना होगा, इसे समझने के लिए क्विंट के एडिटोरियल डायरेकटर संजय पुगलिया ने बात कि ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर से.
अमिताभ बेहर का मानना है कि बाइडेन प्रशासन ने वैक्सीन पेटेंट अधिकार छोड़ने का का ऐलान कर ऐतिहासिक फैसला किया है, क्योंकि उन्होंने मुनाफे की जगह जिंदगी को चुना है. ये सबको वैक्सीन और जल्दी वैक्सीन की राह में बड़ा दिन है. बाइडेन प्रशासन ने एक तरह से फार्मा कंपनियों की हेकड़ी निकाली है. ऐसे ही अधिकार HIV वायरस के इलाज में नहीं छोड़े गए और लाखों की मौत हो गई. ऐसे समय में जब मानवता ही खतरे में है तो कोई मौत के आगे मुनाफे को कैसे रख सकता है. अमेरिका के पेटेंट छोड़ने के बाद कई देश जो नहीं मान रहे थे, उन्होंने भी अपनी सहमति देना शुरू कर दिया है.
“जब फार्मा कंपनियों ने टैक्सपेयर के पैसे से कोरोना वैक्सीन डेवलप की है, तो कैसा पेटेंट अधिकार?”अमिताभ बेहर, ऑक्सफैम इंडिया CEO
बेहर बताते हैं कि दरअसल पूरी दुनिया में वैक्सीन असमानता है. कुछ देशों के पास आबादी का पांच गुना वैक्सीन है तो कुछ देशों के पास आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं. पिछले साल अक्टूबर से ही 100 से ज्यादा देश, खासकर भारत और साउथ अफ्रीका ने पेटेंट अधिकार हटाने को लेकर मांग की थी, लेकिन फार्मा कंपनियां इसे रोक रही थीं. अमेरिका के अधिकार छोड़े के बाद भी ये कंपनियां जोरदार विरोध करेंगी, लेकिन समझने वाली ये है कि हो सकता है मौजूदा वैक्सीन का एक साद नए वैरिएंट पर असर ही ना हो. तो एक ही रास्ता है कि अभी तुरंत मास प्रोडक्शन करें.
पेटेंट हटने का कैसे फायदा उठाए भारत?
अमिताभ की सलाह है कि हमें युद्ध स्तर पर तैयारी शुरू कर देनी चाहिए. हर फार्मा जो उत्पादन कर सकती है, उन्हें इसपर लगाना चाहिए. एशिया और अफ्रीका के देश हमें बड़ी उम्मीद से देख रहे हैं. अगर हम उत्पादन बढ़ा पाए तो हम खुद के साथ इनका भी भला कर पाएंगे
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