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लॉकडाउन: अहमदाबाद के मॉल में सोशल डिस्टेंसिंग से साथ रह रहे मजदूर

अहमदाबाद के मॉल ने दी प्रवासी मजदूरों को पनाह

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इब्राहिम

देशभर में कोरोना वायरस की वजह से 24 मार्च को 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया गया था जिसे बढ़ाकर 3 मई तक कर दिया गया है. लॉकडाउन की वजह से कई शहरों में प्रवासी मजदूर फंसे हैं, न तो उनके पास रहने के लिए घर है और न ही खाना. ऐसे में गुजरात के अहमदाबाद में एक मॉल ने प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए हाथ बढ़ाया है. शहर के एसजी हाईवे पर बने इस्कॉन मॉल ने नगर निगम की मदद से शहर में रह रहे कई प्रवासी मजदूरों को पनाह दी है.

फिलहाल, इस्कॉन मॉल में करीब 150 के प्रवासी मजदूर रह रहे हैं. मॉल अधिकारी का कहना है कि अगर स्थिति और बिगड़ती है तो उनके पास 1000 लोगों को रखने की जगह है.

मॉल इन प्रवासी मजदूरों को सुबह के नाश्ते और शाम की चाय के साथ दो वक्त का खाना और पानी दे रहा है, इनके रहने की भी व्यवस्था मॉल में की गई है.
नीरव, मॉल मैनेजर/ वालंटियर

वडोदरा के रहने वाले प्रवासी मजदूर विजय अपने घर जाना चाहते हैं, उनका कहना है कि जब से लॉकडाउन शुरू हुआ है उन्होंने अपने परिवार से बात नहीं की है. क्योंकि उनके पास फोन नहीं है और न ही उन्हें घर का नंबर याद है, लेकिन इस जगह थोड़े टाइम रुक कर उन्हें थोड़ा आराम है.

यहां शांति है, हम यही सोते हैं नहाते हैं,, खाते हैं और वक्त बिताते हैं
विजय, प्रवासी मजदूर
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राजेश अहमदाबाद में पिछले 10-15 साल से मजदूरी कर रहे हैं और झुग्गी में रहते हैं लेकिन लॉकडाउन के शुरू होने के बाद अहमदाबाद नगर पालिका ने उन्हें मॉल में शिफ्ट होने के लिए कहा क्योंकि उनका घर बहुत भीड़भाड़ वाली जगह पर था.

उन्होंने मुझे बताया कि वो सुरक्षित नहीं है और वो मुझे उससे सुरक्षित जगह पर शिफ्ट कर रहे हैं, उन्होंने पहले हमारा इंतजाम किया और उसके बाद हम यहां आ गये.
राजेश

मॉल में रह रहे प्रवासी मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग के हिसाब से रहने के लिए कहा गया है, नगर पालिका ने उनके लिए मोबाइल टॉयलेट का इंतजाम मॉल के बाहर किया है.

हम यहां साथ रह रहे हैं लेकिन दूरी बनाकर ही रह रहे हैं, हमारे सोने के बिस्तर एक दूसरे से 4- 5 मीटर की दूरी पर हैं, हमसे कई बार गल्तियां भी होती हैं लेकिन हम हर नियम का पालन करते हैं.
राजेश, प्रवासी मजदूर

मॉल के एक एरिया में सुपर मार्केट जरूरी सामान के लिए काम कर रहा है लेकिन इन मजदूरों को उस क्षेत्र में जाने की मनाही है.

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