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चीन में कोरोना का कोहराम, भारत में लौटने वाला है 'मास्क युग'? एक्सपर्ट से समझिए

CoronaVirus: कोरोना में मास्क की बड़ी भूमिका नहीं, जैसे पहले थी. सरकार को जरूरत है लगातार जीनोम सिक्वेंसिंग करने की

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चीन (China) में कोरोना (Covid 19) का कहर है, सोशल मीडिया के जरिए मिल रही खबरें चिंताजनक है. भारत सरकार (Corona Update India) भी अलर्ट पर है क्योंकि ओमिक्रॉन (Omicron) का एक सब वेरिएंट BF.7 के भारत में भी चार मामले दर्ज हुए हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने भी कोरोना को लेकर हाई लेवल मीटींग की और अब हर तरफ चर्चा शुरू हो गई है कि क्या बड़े स्तर पर कोरोना (Coronavirus) फिर सताएगा? क्या लॉकडाउन (Lockdown) लग जाएगा? क्विंट हिंदी के साथ बातचीत में पब्लिक हेल्थ पॉलिसी एक्सपर्ट डॉ चंद्रकांत लहरिया (Dr Chandrakant Lahariya) ने ऐसे ही, सवालों के जवाब दिए हैं.

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इस समय क्या भारत को डरना चाहिए?

डॉ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि, "भारत को इस समय डरने की जरूरत नहीं है. चीन में कोरोना फैलने की अलग वजह है. चीन में अब भी कई लोगों कोरोना से खतरा है. भारत में लगभग 90 फीसदी आबादी को पहले ही इंफेक्शन हो चुका है. वहीं चीन में इस्तेमाल हो रही है वैक्सीन तुलनात्मक रूप से कम प्रभावी है उसकी एफिकेसी कम है."

उन्होंने कहा कि, वैक्सीन लगाने का सही समय तब होता है जब लगभग हर व्यक्ति वायरस से संक्रमित हो चुका है. भारत में सही समय पर वैक्सीन दी गई है. नेचुरल इंफेक्शन होने के बाद भारत में वैक्सीन दी गई इसलिए भारत काफी सुरक्षित है. वहीं चीन ने जीरो कोविड पालिसी को हटाने में सावधानियां नहीं बरतीं, प्रतिबंधों को एकदम से हटाया गया. एक बात और भारत में कोरोना को लेकर कोई स्थिति नहीं बदली है. भारत को चीन की स्थिति से घबराने की जरूरत नहीं है.

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भारत की स्थिति चीन, अमेरिका से कैसे अलग है?

भारत में 90% आबादी को इंफेक्शन हो चुका है. भारत कोरोना की तीन लहर सह चुका है और इसके बाद लगभग 97 फीसदी आबादी ने वैक्सीन की पहली डोज ली हुई है और लगभग 90 फीसदी आबादी ने वैक्सीन की दूसरी डोज ली है. कई लोग अब बूस्टर डोज भी ले रहे हैं.

बता दें कि, भारत में पहले भी ओमिक्रॉन का BF.7 वेरिएंट पाया गया था लेकिन वो तेजी से नहीं फैला. इसलिए इस बार भी डरने की जरूरत नहीं है.

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क्या भारत में मास्क युग लौटने वाला है?

फिलहाल मास्क की कोई बड़ी भूमिका नहीं है. पहले मास्क की काफी ज्यादा जरूरत थी क्योंकि तब वायरस फैलना शुरू ही हुआ था. अब वायरस पहले ही बाहर, सबके बीच फैला हुआ है. मास्क का उद्देश्य है कि खुद को किसी संक्रमित से बचाना और संक्रमित कहीं किसी दूसरे को वायरस पास ना कर दे. लेकिन अभी तो वायरस सबके बीच फैल चुका है. इसलिए मास्क बहुत कुछ करने के सक्षम नहीं है.

हां, वरिष्ठ लोग और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोग मास्क पहनें. उनके लिए मास्क जरूर मददगार साबित हो सकता है. मास्क वहां लगाएं जहां आपको लग रहा हो कि बाहर से लोग आए हैं और भीड़भाड़ वाला इलाका हो. अगर बड़े स्तर पर संक्रमण फैलेगा तब मास्क की जरूरत पड़ सकती है.

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अगर डरने की जरूरत नहीं तो सरकार के स्तर पर अलार्मिंग स्थिति क्यों है?

प्रधानमंत्री के स्तर पर बैठक होने का मतलब अलार्मिंग स्थिति होना नहीं है. इस समय दुनिया महामारी के दौर से गुजर रही है, इसलिए इस तरह की समीक्षा बैठक होती रहनी चाहिए. ये तो नियमित रूप से स्वास्थ्य मंत्री को करते रहना चाहिए.

बैठक इसलिए हो रही है ताकि दुनिया में कोरोना को लेकर क्या हो रहा है इसपर नजर रखी जा सके और हमारे देश में क्या स्थिति है ये देख पाए. फिलहाल स्थिति देखकर लगता है कि भारत में कोविड नीति में बदलाव की जरूरत नहीं है. यहां तक कि इंटरनेशनल ट्रेवल नीति में भी बदलाव की जरूरत नहीं है.

सरकार को तीन कदम उठाने की जरूरत है-

  • नए वेरिएंट को पहचानने के लिए जीनोम सिक्वेंसिंग की जानी चाहिए

  • वायरस कहीं लोगों के बीच ना फैल जाए इसका ध्यान रखाना चाहिए

  • अफवाहों की रोकथाम के लिए कदम उठाने की जरूरत है

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भारतीयों को निजी तौर पर क्या सावधानियां बरतनी चाहिए?

अगर कोई व्यक्ति स्वस्थ है तो कोरोना को ध्यान में रखकर कोई खास सावधानियां बरतने जैसी चीज नहीं दिखती है. बस नियमित रूप से जैसे आप अपना ख्याल रखते हैं वैेसे ही रखें. वरिष्ठ लोग बूस्टर डोज लगवाएं. वयस्क जिन्हें कोमोर्बिडिटी है जैसे डाइबिटिज या कोई अन्य गंभीर बीमारी है उन्हें बूस्टर डोज जरूर लेनी चाहिए. कोरोना के लिए कुछ अतिरिक्त करने की जरूरत नहीं है, बस अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें.

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