कोरोना वायरस के चलते लगे लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों के लिए सैकड़ों ट्रेनें चलाईं गईं. रेलवे ने बताया कि करीब 80 फीसदी ट्रेनों में यूपी और बिहार के लोगों ने सफर किया. लेकिन इस बीच कुछ ऐसी खबरें सामने आईं, जो भारत के इतिहास में शायद ही पहले कभी देखी गईं हों. कई ट्रेनें अपना रास्ता भटक गईं, ट्रेन को पहुंचना था बिहार और वो कर्नाटक पहुंच गई.
इस पूरे मामले को लेकर क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने देश के पूर्व रेलमंत्री और टीएमसी नेता दिनेश त्रिवेदी से बातचीत की. इसके अलावा त्रिवेदी ने केंद्र सरकार के राज्यों के प्रति रवैये को लेकर भी सवालों का जवाब दिया.
चरमरा गया रेलवे काडर सिस्टम
पूर्व रेलमंत्री त्रिवेदी ने बताया कि भागलपुर से एक पैसेंजर 20 मई को ट्रेन में चढ़ा और 24 मई को पहुंचा, रास्ता दो दिन का था, लेकिन पहुंचने में चार दिन कैसे लग गए? मजदूरों को खाना-पीना कुछ नहीं मिल रहा. मुगलसराय जैसे स्टेशन पर 12 घंटे ट्रेन क्यों रुक रही है, इसकी तह तक जाना जरूरी है. रेलवे तो जंग के समय में भी बंद नहीं हुई थी. त्रिवेदी ने कहा कि केंद्र सरकार ने रेलवे का पूरा ढांचा ही बदलकर रख दिया है. उन्होंने कहा,
“जो रेलवे को समझता है वो जानता है कि आपने रेलवे का पूरा ढांचा बदल दिया है. कॉर्पोरेटाइजेशन के चक्कर में जितने भी बोर्ड हैं उनको बदल दिया और चेन ऑफ कमांड तोड़ दी. तो सिर्फ ट्रेन अपना रास्ता नहीं भूली, बल्कि इंडियन रेलवेज अपना रास्ता भूल गई है.”
त्रिवेदी ने बताया कि रेलवे काडर सिस्टम चरमरा चुका है. दो महीने जब ट्रेन बंद हुई तो बोर्ड मेंबर से लेकर गैंगमैन से लेकर सबका मोराल काफी डाउन है. किसी को पता नहीं है कि कल उनकी नौकरी रहेगी या नहीं. इसका नतीजा ये है कि चेन ऑफ कमांड खत्म हो गया. वरना रेलवे कभी भी इतना लचर हो ही नहीं सकता है.
क्या कोई पॉलिटिकल गेम है?
त्रिवेदी से जब पूछा गया कि रेलवे की ऐसी हालत ढांचा टूटने और चेन ऑफ कमांड के टूटने से हुई है, क्या इसमें किसी की कोई खराब नीयत या फिर पॉलिटकल गेम नहीं है, इस सवाल पर त्रिवेदी ने कहा कि,
“जब लोगों को सिर्फ 4 घंटे दिए गए और लॉकडाउन कर दिया गया. कहा गया कि जो जहां है वहीं रहे. इसके बाद कहा गया कि बसों में जा सकते हैं ट्रेनों में नहीं. मैंने मार्च के आखिर में कहा था कि रेलवे को बंद नहीं करना चाहिए. सरकार ने सोचा नहीं कि देश में करोड़ों प्रवासी मजदूर हैं. इन आंकड़ों को नहीं देखकर आपने जो गलतियां कीं, उनका ठीकरा किसी और के सिर पर फोड़ दिया गया. राज्यों पर आरोप लगे. लेकिन इन दिनों स्टेट और सेंटर पॉलिटिक्स नहीं होनी चाहिए.”
हर कोई ये कह रहा है कि राजनीति नहीं होनी चाहिए. लेकिन क्या केंद्र सरकार ने गैर बीजेपी शासित राज्यों को बैकफुट पर डालने का काम किया है? विपक्षी पार्टियों की गलती ज्यादा सामने आ रही है, या वाकई राज्य सरकारों से गलती हो रही है?
गलतियां सबसे होती हैं. गलती के पीछे राजनीतिक नीयत नहीं होनी चाहिए. आज एनडीएमए की पॉलिसी से सरकार चल रही है. इसीलिए केंद्र जो कहेगा वो राज्यों को करना होगा. केंद्र को सिर्फ आदेश देना है, लेकिन राज्य को इसे लागू करना होगा. लेकिन आदेश देने से पहले केंद्र को ये भी सोचना है कि ये संभव है या नहीं. क्वॉरंटीन, टेस्टिंग, कर्फ्यू और प्रवासी मजदूरों की बात हो रही है, लेकिन ये सब ऐसा नहीं चलता. आपको बैठकर सबसे बात करनी चाहिए. ब्लेम गेम नहीं होना चाहिए.
पश्चिम बंगाल सरकार पर लगातार लगते आरोपों को लेकर त्रिवेदी ने कहा, ये काफी दुखद स्थिति है. आज कुछ भी छिपा नहीं सकते हैं. आजकल हर किसी के पास मोबाइल फोन है. आप मौत के आंकड़े नहीं छिपा सकते हैं. पश्चिम बंगाल की अगर बात है तो बीजेपी इस बात को छिपा भी नहीं रही है. वो कह रही है कि 2021 में सरकार बदलनी है. जो चीजें सामने हैं उन्हें छिपाया नहीं जा सकता है. जनता सब कुछ समझती है.
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