दिल्ली में हुई हिंसा से दर-बदर हो चुके लोग पर अब कोरोनावायरस की मार पड़ी है. हिंसा पीड़ित मुस्लिम समुदाय के जो लोग राहत शिविरों में थे, उन्हें वहां से भी हटाया जा रहा है. क्विंट इन लोगों के हालात देखने इन शिविरों में पहुंचा तो लोगों ने कहा कि उनके सामने भारी मुसीबत है. कोरोनावायरस की वजह से प्रशासन कह रहा है कि ये जगह खाली करो. लेकिन हम अपने घरों में भी नहीं जा सकते क्योंकि हिंसक भीड़ ने उन्हें पूरी तरह बरबाद कर दिया है.
‘कुछ नहीं मिला तो सड़कों पर डेरा डालेंगे’
सीआरपीएफ में काम कर चुके गुलाम मोहम्मद ने कहा कि वह शिव विहार में किराये पर रहते थे. हिंसा हुई तो वहां से उखड़ गए. कैंप में है.लेकिन अब कोरोनावायरस की वजह से यहां से भी जाने की नौबत आ गई है. प्रशासन यह जगह जबरदस्ती खाली करवा रहा है. फिलहाल वह दिल्ली वक्फ बोर्ड की ओर से लगाए गए मुस्तफा ईदगाह राहत कैंप में हैं.
हिंसा पीड़ित शिव विहार निवासी शान मोहम्मद ने कहा कि अगर घर मिल जाए तो ठीक है नहीं तो कहां जाएंगे, यहीं सड़कों पर डेरा डालेंगे. कहां जाएंगे?
हिंसा के चलते शिव विहार से ही विस्थापित हुईं रुखसाना कहती हैं , ‘घर कैसे जाएं. हिंसक भीड़ ने पूरा घर तोड़ दिया. कुछ नहीं बचा. मैंने घर की मरम्मत के लिए कुछ पैसे बचाए थे. लेकिन अब वहां जाएं, कैसे. मेरे घर का गेट भी पूरी तरह तोड़ दिया.’
मुस्तफाबाद के आम आदमी पार्टी एमएलए हाजी युनूस ने द क्विंट से कहा कि पूरा कैंप खाली करा दिया है. हिंसा पीड़ितों को सामने के मकानों में ठहराया गया है. जिन लोगों को सरकार से मुआवजा नहीं मिला है उन्होंने 3-3 हजार रुपये दिए गए ताकि वे कहीं आसरा ले सकें. दिल्ली रिलीफ कलेक्टिव और हमारी सदा ट्रस्ट के स्वयंसेवकों ने कैंप में फंसे इन हिंसा पीड़ितों की मदद की ताकि वे यहां से निकल सकें. दिल्ली हिंसा में 52 लोगों की जान चली गई थी और सैकड़ों लोग बेघर हो गए थे.
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