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कर्नाटक: बिहार के मजदूरों का इंतजार, थानों के आगे लगाते कतार  

कई मजदूर हफ्तों से कर रहे इंतजार, कुछ को डर- ‘अब लेबर कैंप के दरवाजे भी हो जाएंगे बंद’

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वीडियो एडिटर: कुणाल मेहरा

देशभर में प्रवासी मजदूरों के लये श्रमिक ट्रेंस जरूर शुरू हो गई हैं, लेकिन अब अभी कई प्रवासी मजदूर देश के कई इलाकों में फंसे हुए हैं, उनकी सिर्फ एक ही मांग है कि 'उन्हें घर पहुंचना हैं'

बेंगलुरु लॉकडाउन के बाद कई मजदूरों ने पैदल ही घर जाने का फैसला किया, तो कई मजदूरों ने ट्रेंन शुरू होने का इंतजार किया. लेकिन जो मजदूर ट्रेन के इंतजार में रुके हैं उन्हें ट्रेन के टिकट लेने की प्रक्रिया की जानकारी के आभाव के चलते काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है.

‘हम बस यहां बैठे हैं है नहीं पता है कि कैसे ट्रेन का टिकट मिलेगी, हमने सोचा था कि हम यहां आएंगे और पुलिस स्टेशन की लाइन में लगकर टिकट लेलेंगे. लेकिन हम एक स्टेशन से दुसरे स्टेशन ही भटक रहे हैं.’
संजय, प्रवासी मजदूर, झारखंड 

सेवा सिंधु ऐप पर रजिस्टर करने के बाद भी प्रवासी मजदूर हफ्तों से कोई कॉल या मैसेज नहीं मिला है. प्रवासी मजदूर पुलिस स्टेशनों पर लाइन लगा कर खड़े हैं और उन्हें पुलिस से सिर्फ यही सुनने को मिलता है कि जब तक उन्हें सेवा सिंधु ऐप से कोई मैसेज या कॉल नहीं आ जाता तब तक वो पुलिस स्टेशन न आएं.

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'अगर हमें ट्रेन नहीं मिली तो मजबूरन पैदल ही घर जाना होगा'

फोन कॉल या मैसेज के इंतजार में बैठे प्रवासी मजदूर अब थक चुके हैं, कई मजदूरों का कहना है कि उन्हें प्रशासन से कोई जवाब नहीं मिल रहा है, अगर उनके पास कोई रास्ता नहीं बचता है तो उन्हें मजबूरन पैदल ही घर निकलना होगा.

‘अगर सरकार ने हमें ट्रेन के टिकट नहीं दिए तो हम पैदल ही घर चले जाएंगे, यहां रुके तो भूख से मर जाएंगे, पैदल निकले तो शायद रास्ते में मर जाएंगे.
कुंदन मंडल, प्रवासी मजदूर, बिहार

बेंगलुरु में समाज सेवकों का कहना है कि हजारों की संख्या में मजदूर BBMP शेल्टर में आ रहे हैं, जैसे मंफो कंवेंशन सेंटर और टेनिस पवेलियन में जहां BBMP मजदूरों को रहने के लिए जगह और खाना, बिजली आदि दे रहा है.

मरथाहल्ली पुलिस स्टेशन के पुलिस अफसर का कहना है कि जो लोग पुलिस स्टेशन के बाहर ही सो रहे हैं और जो अपने परिवार के साथ यहां हैं उनका काफी ध्यान रखा जा रहा है साथ ही उनके रहने की व्यवस्था भी की जा रही है.

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