वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा
वीडियो प्रोड्यूसर: मौसमी सिंह
पुलवामा में आत्मघाती आतंकी हमले में 40 CRPF के जवानों की मौत हो गई थी. 14 फरवरी को हुए इस आतंकी हमले के बाद से मेन स्ट्रीम मीडिया में ये जिला काफी चर्चा में आ गया था. मीडिया में ये जिला कुछ इस तरह के नामों से पुकारा जाने लगा ‘आतंक की बस्ती पुलवामा’,’खौफ का गढ़ पुलवामा’. इन हालातों के बीच पुलवामा के लोग चुनाव को लेकर क्या सोचते हैं यही जानने के लिए क्विंट की टीम पहुंची यहां के युवाओं के बीच.
बाकी, अन्य इलाकों की तरह के युवाओं के लिए भी मुख्य मुद्दा विकास और रोजगार ही है. जॉब नहीं मिले की वजह से यहां के युवा काफी परेशान है.
कोई डेवलपमेंट का काम नहीं हुआ है. आज हमारे यहां बेरोजगारी सबसे बड़ा मसला है.आसिफ मुजतबा, स्टूडेंट
नेता आते हैं वोट मांगने, लेकिन अब तक उन्होंने कोई काम नहीं किया है. जो भी मेनस्ट्रीम पार्टियां रही हैं NC, PDP या कांग्रेस कोई भी हो.शुजा सुल्तान, फोटो जर्नलिस्ट
लोग विकास का काम नहीं होने से निराश तो हैं लेकिन कुछ में अब भी उम्मीद बाकी है. यूनिवर्सिटी में पढ़ने वाले मो. शाकिब का मानना है कि-
अगर ये लोग अच्छे से काम करेंगे, अपने कौम की खिदमत करेंगे, हमारे कौम की खिदमत करेंगे, हमारी खिदमत करेंगे, तो हम जरूर वोट करेंगे.
'आतंकी हमले के बाद काफिले के कारण होती हैं दिक्कतें'
14 फरवरी जो हमला हुआ था, उसके बाद बहुत सारी दिक्कतें हुईं थीं. जैसे काफिला जा रहा है तो रुकना पड़ता है. 1-2 घंटे. किसी स्टूडेंट को स्कूल तो किसी को ड्यूटी पर जाना होता है. मरीज होते हैं तो उनको बहुत सारी तकलीफ होती हैं.शाहिद, स्टूडेंट
इन तकलीफों के बीच भी कुछ युवा आने वाले महापर्व में जहां कुछ शर्तों के साथ वोट देने के लिए तैयार है तो कुछ बिल्कुल नाउम्मीद हैं.
मैंने इलेक्शन को लेकर उम्मीद नहीं रखी है ना ही मैं वोट डालूंगा.शाहिद, स्टूडेंट
रोजगार,एजुकेशन, डेवलपमेंट यहां के लिए भी प्रमुख मुद्दे हैं. इन चुनावों से इनके ये मुद्दे हल हो पाएंगे. ये एक बड़ा सवाल है? लेकिन चुनावों में ये सभी हिस्सेदारी लें. क्विंट इनसे यही गुजारिश करता है.
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