वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
क्या Election Commission ने एक सोशल मीडिया मैनेजमेंट कंपनी को 2019 General Election में काम दिया. जिसने धोखे से BJP के मंत्रियों, यहां तक कि प्रधानमंत्री कार्यालय को अपने क्लाइंट के रूप में शामिल किया था? 1 अगस्त 2020 को इस कंपनी की वेबसाइट TSD कॉरपोरेशन के पास BJP मंत्रियों की ये तस्वीरें थीं, जिसमें साफ तौर पर उन्हें क्लाइंट बताया गया था.
यहां तक कि पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी को अपना क्लाइंट और एक दूसरे पेज पर अपनी खासियत "पीएमओ के साथ काम करना" बताया गया था. लेकिन 8 अगस्त को, क्विंट हिंदी ने एक आर्टिकल '2019 चुनाव: BJP नेताओं के सोशल मीडिया मैनेजर ने संभाला EC का हैंडल’ पब्लिश किया था. और उसके ठीक बाद ये पेज TSD कॉरपोरेशन की वेबसाइट से गायब हो गए!
इसके बदले, पेज कुछ बदलाव के साथ दिखाई देने लगे - सबसे पहला, "पीएमओ के साथ काम करने" को "MyGov के साथ काम करने" में बदल दिया गया.
‘क्लाइंट्स - सरकार ’को उस पेज से हटा दिया गया था जिसमें BJP के केंद्रीय मंत्रियों की तस्वीरें थीं. इसे इन पंक्तियों के साथ बदल दिया गया - “हमने कई सरकारी विभागों के साथ डिजिटल इवेंट्स को आयोजित किया है. जिसमें ये सम्मानित व्यक्ति कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रवक्ता के रूप में शामिल हुए है ” तो, ये दावा कि ये मंत्री उनके क्लाइंट थे, चुपचाप उनकी वेबसाइट से हटा दिया गया है.
TSD कॉरपोरेशन ने एक केंद्रीय मंत्री की तस्वीर भी हटा दी है जिसने हमारा आर्टिकल पब्लिश होने के बाद हमें नोटिस भेजा था.
TSD कॉरपोरेशन PMO और कई वरिष्ठ BJP मंत्रियों और नेताओं के नाम का गलत इस्तेमाल कर रहा था. उन्हें अपने क्लाइंट्स के रूप में पेश कर रहा था, शायद चुनाव आयोग के साथ असाइनमेंट समेत दूसरे प्रेस्टीजियस और लुक्रेटीव असाइनमेंट हासिल करने के लिए
8 अगस्त को आर्टिकल पब्लिश करने से पहले - हमने TSD कॉरपोरेशन से ये सवाल पूछे थे:
- Q1. आपकी वेबसाइट के मुताबिक, आप "PMO के साथ काम करते हैं" क्या आप अभी भी PMO के साथ काम करते हैं और अन्य BJP नेता आपके क्लाइंट हैं, जैसा आपकी वेबसाइट पर बताया गया है?
- Q2. क्या आपने BJP के अलावा किसी अन्य राजनीतिक पार्टी के साथ काम किया है?
- Q 3 .क्या आपने चुनाव आयोग को बताया किया कि आप BJP नेताओं के साथ काम करते हैं?
लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला. हमने चुनाव आयोग को भी लिखा था, पूरे एक हफ्ते तक इंतजार किया, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. आर्टिकल पब्लिश होने के बाद, हमें चुनाव आयोग से प्रतिक्रिया मिली. और हमें केंद्रीय मंत्री के कार्यालय से एक लीगल नोटिस भी मिला, जिसमें कहा गया था कि मंत्री कभी TSD कॉरपोरेशन के क्लाइंट नहीं थे, 'हमारे क्लाइंट (केंद्रीय मंत्री) ने कभी भी TSD Corp की सेवाएं नहीं ली हैं'
ये नोटिस हमारे लिए एक सरप्राइज की तरह आया. हमें उम्मीद नहीं थी कि चुनाव आयोग जिस कंपनी से काम ले रहा है.. वो किसी संभावित धोखाधड़ी वाली गतिविधि में शामिल होगी. हमने अपनी वेबसाइट से स्टोरी हटा दी और नई जानकारी जुटानी शुरू कर दी
जबकि EC ने हमारे सवाल का जवाब दिया- क्या TSD कॉरपोरेशन ने EC को बताया था कि एक विशेष राष्ट्रीय पार्टी के बड़े नेता उनके क्लाइंट थे ...
EC का जवाब था:
सम्मानित एजेंसी में कई वर्टिकल और .. ग्राहकों की अलग-अलग लिस्ट है, जिसमें सरकार के मंत्रालय / विभाग, सार्वजनिक क्षेत्र के संस्थान शामिल हो सकते हैं. यहां तक कि राजनीतिक संस्थाएं भी. अगर कोई एजेंसी ECI के लिए काम करते समय किसी राजनीतिक इकाई के हित में काम करती पाई जाती है तो ... ब्लैकलिस्टिंग के लिए इनबिल्ट प्रक्रियाएं हैं ... “
EC के जवाब में ये भी कहा गया - "अगर सरकार में या उसके लिए काम करने वाला कोई भी व्यक्ति सत्ताधारी के पक्ष में होगा, तो लोकसभा और विधानसभा चुनाव जीतने वाले अलग-अलग राजनीतिक दल नहीं होंगे"
हमने चुनाव आयोग से ये भी पूछा कि 2019 लोकसभा चुनावों के लिए चुनाव आयोग के सोशल मीडिया के मैनेजमेंट की संवेदनशील जिम्मेदारी TSD कॉरपोरेशन को देने से पहले कुछ छानबीन की गई थी ? क्या BJP के वरिष्ठ नेताओं के नाम का गलत इस्तेमाल करने के लिए चुनाव आयोग ने TSD कॉरपोरेशन के खिलाफ धोखाधड़ी का आपराधिक मामला दर्ज किया है?
जवाब में चुनाव आयोग ने नेशनल फिल्म डेवेलपमेंट कॉरपोरेशन या NFDC पर ये कहते हुए मामला डाल दिया कि NFDC ने "TSD कॉरपोरेशन से पेशेवर रूप से अनुभवी अधिकारियों" को उपलब्ध कराया था
लेकिन अगर चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए जवाबदेह है - तो निश्चित रूप से चुनाव आयोग को सीधे ये तय करना होगा कि कोई भी कंपनी या व्यक्ति जो चुनाव प्रक्रिया में शामिल हो, अपना काम निष्पक्षता से करे, जिसमें कोई हितों का टकराव न हो. निश्चित रूप से जवाबदेही EC के साथ है किसी और के साथ नहीं
क्या चुनाव आयोग इस तरह के रवैये से कॉन्स्टीट्यूशन मैंडेट के लिए बिना किसी उचित गाइडलाइन और फिल्टर के सरकारी विभागों को ऐसे काम देकर स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कर सकता है
हमारे पास अब और सवाल हैं -
- क्या चुनाव आयोग के पास पर्याप्त जानकारी नहीं है कि TSD कॉरपोरेशन ने अपनी गतिविधियों के बारे में गलत जानकारी शेयर की है?
- अगर हां, तो चुनाव आयोग TSD कॉरपोरेशन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई क्यों नहीं कर रहा है?
- चुनाव आयोग ने दावा किया है कि "कंपनियों को ब्लैक लिस्ट करने के लिए इनबिल्ट प्रक्रियाएं हैं" - तो फिर इन प्रक्रियाओं को क्यों नहीं अपनाया गया?
हमने पीएमओ और अन्य बीजेपी मंत्रियों को भी लिखा है कि क्या वे जानते हैं कि TSD कॉरपोरेशन ने उन्हें अपनी वेबसाइट पर क्लाइंट के रूप में डाला था, और कंपनी ने उनके साथ काम किया था? अब तक हमें कोई जवाब नहीं मिला है. लेकिन PMO और जिन BJP मंत्रियों का नाम दिया गया है, उनके नाम के गलत इस्तेमाल के लिए TSD कॉरपोरेशन के खिलाफ कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए?
हमने TSD कॉरपोरेशन को भी फिर से लिखा है, उनकी वेबसाइट में अचानक बदलाव के बारे में पूछा है .. उन्होंने BJP मंत्रियों और नेताओं को क्लाइंट के रूप में क्यों हटा दिया, PMO के साथ मिलकर काम करने का जिक्र क्यों हटा दिया ? हमें अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है, लेकिन हम इस इंपॉर्टेंट स्टोरी पर नजर रखेंगे और अधिक जानकारी मिलने पर आपको अपडेट करेंगे
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