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15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार की विवादित इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) योजना को असंवैधानिक बताया और इसे रद्द कर दिया. कोर्ट के आदेश के बाद SBI ने इलेक्टोरल बॉन्ड का डेटा चुनाव आयोग को सौंपा, जिसे 14 मार्च 2024 को आयोग ने अपनी वेबसाइट पर सार्वजनिक किया. हालांकि ये पूरा डेटा नहीं था. सार्वजनिक की गई जानकारी में इलेक्टोरल बॉन्ड के अंदर मौजूद विशेष नंबर का ब्यौरा नहीं था.
16 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अपने नए आदेश में SBI को इलेक्टोरल बॉन्ड के हिडन अल्फा न्यूमेरिक नंबर की भी जानकारी देने को कहा है. इस नंबर के सामने आने से साफ-साफ पता चल जाएगा कि किस कंपनी या व्यक्ति ने किस दल को चंदा दिया है.
इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपे इस अल्फा न्यूमेरिक नंबर का सबसे पहले पता क्विंट हिंदी में पत्रकार रहीं पूनम अग्रवाल ने अप्रैल 2018 में लगाया था. 6 साल बाद वें कोर्ट के फैसले को एक जीत के रूप में देख रही हैं. क्विंट हिंदी के एग्जीक्यूटिव एडिटर शादाब मोइज़ी ने पूनम अग्रवाल से बातचीत की है.
पूनम अग्रवाल को इलेक्टोरल बॉन्ड में छिपे अल्फा न्यूमेरिक नंबर का पता कैसे चला?
"मैंने अप्रैल 2018 में SBI की पार्लियामेंट स्ट्रीट ब्रांच से एक-एक हजार रुपये के दो बॉन्ड खरीदे थे. लेकिन इन पर सिर्फ खरीदने वाले दिन की तारीख लिखी थी और हमारी नंगी आंखो से कुछ और नहीं दिखाई देता था. मैंने और जानकारी के लिए लैब में इसकी जांच करवाई. लैब में जांच के बाद पता चला कि हर बॉन्ड पर एक विशेष नंबर है जिसे सिर्फ अल्ट्रावायलेट लाइट में देखा जा सकता है. ये नंबर यूनिक है और अल्फा नुमेरिक होता है."पूनम अग्रवाल
वित्त मंत्रालय ने माना था कि बॉन्ड पर विशेष नंबर है
क्विंट हिंदी की पड़ताल के बाद 17 अप्रैल 2018 को वित्त मंत्रालय ने माना था कि हर बॉन्ड पर एक विशेष नंबर होता है. हालांकि उन्होंने कहा था कि इसे SBI नोट नहीं करता है. लेकिन सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जल्द ही SBI इन नंबरों को सार्वजनिक करेगा और सब साफ हो जाएगा.
सरकार का दावा था इलेक्टोरल बॉन्ड बलैक मनी पर लगाम लगाएगा?
"इलेक्टोरल बॉन्ड का जो डेटा अभी तक सामने आया है उससे पता चलता है कि कई सारी शेल कंपनियों ने भी राजनीतिक दलों को चंदा दिया है. इसलिए साफ है कि सरकार का ये दावा महज एक भ्रम था इलेक्टोरल बॉन्ड चुनावों में ब्लैक मनी के इस्तेमाल को नहीं रोक सकता था."पूनम अग्रवाल
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