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Fact Check: राजा अनंगपाल ने लाल किला नहीं, लाल कोट बनवाया था

दावा है कि लाल किला मुगल शासक शाहजहां ने नहीं बल्कि हिंदू शासक अनंगपाल ने बनवाया था

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एंकर : सिद्धार्थ सराठे

कैमरा : कुशाग्र श्रीवास्तव

वीडियो : राजबीर सिंह

सोशल मीडिया पर आए दिन ये दावा किया जाता है कि दिल्ली का लाल किला (Red Fort) पृथ्वीराज चौहान के दादा अनंगपाल तोमर ने साल 1052 में बनवाया था, न की मुगल बादशाह शाहजहां ने.

क्या है दावा ? : दावा करने वालों का कहना है कि मुगलों ने इतिहास बदलते हुए ये कहा कि लाल किला शाहजहां ने बनवाया था, ,जबकि असल में ये ऐतिहासिक इमारत हिंदू शासक ने बनवाई है.

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कई सोशल मीडिया पोस्ट्स पर ये दावा किया गया है, अर्काइव यहां देख सकते हैं.

सच क्या है ? : ये दावा गलत है. हमने पाया कि अनंगपाल तोमर ने आठवीं शताब्दी में लालकोट नाम का एक किला बनवाया था. हालांकि, ये किला शाहजहां के बनवाए गए लाल किले से बिल्कुल अलग था. लालकोट (किला राय पिथौरा) और लाल किले के बीच की दूरी पूरी 23 किलोमीटर है.

लाल किला किसने बनवाया ? 

लाल किला या किला-ए-मुबारक दिल्ली के सातवें शहर शाहजहानाबाद में मुगल शासक शाहजहां ने बनवाया था.

आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (ASI) के मुताबिक, लाल किले का निर्माण 1639 में शुरू हुआ था और 16 अप्रैल 1648 में ये निर्माण खत्म हुआ था. इस इमारत से भारत के प्रधानमंत्री हर साल स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र के नाम अपना संबोधन देते हैं. लाल किला वर्ल्ड हेरिजेट साइट में भी शुमार है.

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कौन थे राजा अनंगपाल तोमर और लालकोट ? 

ASI की किताब 'Delhi and Its Neighbourhood' के मुताबिक, 8वीं से 12वीं शताब्दी के बीच तोमर साम्राज्य का शासन वर्तमान के दिल्ली और हरियाणा के हिस्सों में था.

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 The Hindu के आर्टिकल में इतिहासकार राना सफवी बताती हैं कि राजा अनंगपाल ने लाल कोट का निर्माण कराया था.
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लाल कोट बाद में किला राय पिथौरा के नाम से जाना जाने लगा, जो कि दिल्ली के महरौली में स्थित है और दिल्ली का पहला शहर माना गया. जबकि लाल किला दिल्ली के सातवें शहर शाहजहानाबाद में स्थित है. राना सफवी के मुताबिक शाहजहांनाबाद किला राय पिथोरा से पूरे 23 किलोमीटर दूर है.

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हमने अशोका यूनिवर्सिटी में इतिहास के प्रोफेसर प्रत्यय नाथ से संपर्क किया. उन्होंने बताया कि दोनों ही किले लाल कोट और लाल किले का अंग्रेजी में ट्रांसलेशन रेड फोर्ट ही होता है.

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आगे इस बारे में विस्तार से बताते हुए प्रोफेसर प्रत्यय नाथ ने द क्विंट को बताया कि लाल कोट दिल्ली का पहला ऐसा पहला किला है, जिसके बारे में लोगों को पता चला था. इसका निर्माण कार्य 11वीं सदी के आसपास हुआ ता. पृतथ्वीराज चौहान ने इसके बाद लाल कोट पर कब्जा किया और इसका विस्तार किया. इसके बाद लाल कोट और नए किले को मिलाकर किला राय पिथौरा कहा जाने लगा, इसे राजा पृथ्वी का किला भी कहा जाता था.

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प्रोफेसर नाथ के मुताबिक दोनों ही किले दिल्ली के दक्षिण पश्चिम इलाके महरौली में स्थित हैं. ये किले यमुना से थोड़ा दूर स्थित हैं.

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दिल्ली पर्यटन की वेबसाइट पर लाल कोट से जुड़ी और जानकारी देखी जा सकती है. मतलब साफ है कि लाल कोट और लाल किला अलग हैं और इन्हें दो अलग शासकों ने बनवाया था. गौर करने वाली बात ये है कि ये दोनों किले अलग-अलग सदी में बने हैं. ये सच है कि अंग्रेजी में दोनों का अनुवाद रेड फोर्ट होगा पर दोनों में कई अंतर हैं, जो कि स्पष्ट हैं.

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