किसान आंदोलन (Farmers Protest) में पिछले 11 महीने से हिस्सा ले रहे और कोर कमेटी के सदस्य योगेंद्र यादव (Yogendra Yadav) को संयुक्त किसान मोर्चा ने 1 महीने के लिए सस्पेंड किया है. यादव के सस्पेंशन को लेकर तमाम तरह की बातें हो रही थीं. हमने इस मामले पर खुद योगेंद्र यादव से बातचीत की और जाना कि आखिर क्या वो वजह थी, जिसके चलते SKM ने उन्हें सस्पेंड कर दिया. साथ ही लखीमपुर मामले पर भी योगेंद्र यादव ने क्विंट हिंदी से एक्सक्लूसिव बातचीत की.
आपको संयुक्त किसान मोर्चा से सस्पेंड कर दिया गया है, ये क्यों हुआ और इसकी वजह क्या-क्या है?
सबसे बड़ी बात ये है कि इस देश में किसान मोर्चा कई सालों बाद आशा की एक किरण लेकर आया है. इस मोर्चे की एकता सबसे बड़ी चीज है और इससे किसी भी हाल में समझौता नहीं किया जा सकता. लखीमपुर खीरी में जब मैं गया तो वहां किसानों की श्रद्धांजलि सभा में गया. इस बीच वापसी में आते हुए मुझे लगा कि बीजेपी कार्यकर्ता शुभम मिश्र जिनकी इस घटना में मौत हुई, उनके घर भी कम से कम अफसोस जाहिर करने जाना चाहिए. क्योंकि ये मेरा स्वभाव है.
हमारी परंपरा भी यही सिखाती है. महाभारत में सूर्यास्त के बाद लोग एक दूसरे पक्ष का कुशल पूछने जाते थे. सिख ट्रेडिशन में भी ये कहानी है कि दुश्मन के घायल सिपाहियों को पानी पिलाया जाता था. जिसे गुरु गोविंद सिंह ने कहा था कि ऐसा ही करना चाहिए ये हमारी परंपरा है. लेकिन जब आप एक आंदोलन में रहते हैं तो आप जो कुछ करते हैं वो पर्सनल नहीं रह जाता है.
इसीलिए संयुक्त किसान मोर्चा के सदस्यों ने एक साथ मुझे सस्पेंड करने का फैसला किया. जो फैसला लिया गया है वो मेरे सिर माथे पर है.
क्या आपको लगता है कि आपने कोई गलती की है? जिसके बाद आपको सस्पेंड किया गया.
मुझसे दरअसल दो गलतियां हुईं, पहली ये कि जब ऐसा कुछ करते हैं तो वो पर्सनल नहीं रह जाता है. मुझे खुद महसूस होता है कि वहां जाने से पहले मुझे एक बार अपने साथियों से बातचीत कर लेनी चाहिए थी. दूसरा कि ये सब होने के बाद आंदोलन के साथियों पर जो असर हुआ, उसका मुझे दुख हुआ और हैरानी भी है. उसका खेद भी मन में है कि ऐसा हुआ.
अगर आप अचानक कुछ अच्छा कर दें को सार्वजनिक जीवन में उसके कई मतलब निकाले जाते हैं. मैंने उसके लिए जरूर खेद व्यक्त किया है.
लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलकर मारा गया, लेकिन जो इस दौरान हुआ उसके बाद कहा गया कि ये एक्शन का रिेएक्शन है. इस पर भी आपका स्टैंड अलग था. ऐसा क्यों?
मैंने दिल्ली में सबके सामने ये बोला था. मैंने कहा था कि किसी भी इंसान की हत्या को सही नहीं ठहराया जा सकता है. हत्या गलत है. हत्या के अलग-अलग पैमाने होते हैं, कानून भी उसे स्वीकार करता है. एक आदमी है जो कार से कुचलकर किसानों को मार देता है, वहीं दूसरा है जो उसके जवाब में रोष के चलते हुई हत्या होती है. दोनों अलग हैं. लेकिन हमें किसी भी मौत को जस्टिफाई नहीं करना चाहिए.
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