वीडियो एडिटर: संदीप सुमन
वीडियो प्रोडूसर: कनिष्क दांगी
नादिया निघात ने 2010 में पहली बार नेशनल टूर्नामेंट खेला. उसके बाद नादिया ने कभी पलटकर नहीं देखा. आज वो जम्मू-कश्मीर की पहली महिला फुटबॉल कोच हैं और महाराष्ट्र के ठाणे की U-13 टीम की हेड कोच के रूप में काम कर रही हैं.
लेकिन 20 साल की नादिया का ये सफर काफी उतार-चढ़ाव वाला रहा.
जब भी मैं फुटबॉल खेलने निकली, उस वक्त घर वालों को पता नहीं था, क्योंकि मैं चोरी-छुपे निकली थी. जब वापस आई, तो घरवालों को पता चला. मम्मी ने डांटा, घर तक पीटते हुए लाई, फिर एक-दो-दिन ऐसे ही हो गया, तो मैं चोरी-छुपे निकलने लगी, फिर मैंने पापा को बोला कि मुझे फुटबॉल खेलना है तो उन्होंने कहा, ‘फुटबॉल खेल कर क्या करोगी? इसमें कोई भविष्य नहीं है. यहां पर लड़कियां खेलती ही नहीं हैं’ फिर मैंने पापा को कहा, ‘आप थोड़ा सपोर्ट करो, फिर मैं खेलूंगी’. उन्होंने सपोर्ट किया, फिर उन्होंने मम्मी को समझाया, तो अब मुझे सपोर्ट मिल रहा है.नादिया निघात, फुटबॉल कोच
फुटबॉल में नादिया की रुचि बचपन से ही थी. 2007 में अपने पड़ोसी लड़कों को फुटबॉल खेलता देख उनकी रुचि और बढ़ गयी. फुटबॉल सीखने के लिए उन्होंने अमर सिंह कॉलेज में एडमिशन लिया और वो 40-50 लड़कों में अकेली लड़की थीं.
क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लिओनल मेसी की फैन नादिया ने अपने क्लब का नाम JJ7 रखा है. जाहिर है कि ये नाम रोनाल्डो की जर्सी नंबर CR7 से इंस्पायर्ड है.
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