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सिस्टम नदारद, ‘आत्मनिर्भर भारत’ कर रहा एक-दूसरे की मदद

देश में कोरोना महामारी के बीच लोग एक दूसरे की मदद के लिए आगे आ रहे हैं

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देश में कोरोना के कहने के बीच वैक्सीन की कमी है, ऑक्सीजन की कमी है, कोविड से मौत में इजाफा हो रहा है. जब 'सिस्टम' गायब है तब 'आत्मनिर्भर भारत' ने कमान संभाल ली है.

मोहम्मद जावेद खान ने अपने ऑटो में ही ऑक्सीजन सिलेंडर फिट कर लिया है.

“किसी गंभीर मरीज को बिना ऑक्सीजन सपोर्ट केअस्पताल नहीं लाया जा सकता. इसलिए मैंने सोचा, क्यों न अपने थ्री-व्हीलर को एंबुलेंस में बदल दूं. इसमें एंबुलेंस की तरह ज्यादा जगह तो नहीं है, लेकिन ये जिंदगियां तो जरूर बचा सकता है.”
खान ने AFP से कहा

प्यारे खान ने कोविड अस्पतालों को 32 टन ऑक्सीजन मुहैया कराने के लिए 1 करोड़ रुपये खर्च कर दिए.

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खालसा एड ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बांटकर दिल्ली को ऑक्सीजन संकट से उबारने में मदद कर रहा है. खालसा एड के वॉलंटियर घर-घर जाकर हर मदद पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं, जितना वो कर सकते हैं.

चंपालाल गुर्जर ने अपनी बेटी की शादी के लिए जमा किए गए 2 लाख रुपये ऑक्सीजन खरीदने के लिए डोनेट कर दिए.

दिल्ली सिख गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमिटी ने दिल्ली के निजामुद्दीन में गुरुद्वारा दमदमा साहिब में ऑक्सीजन लंगर लगाया.

कोलकाता के पार्क स्ट्रीट की होम शेफ, 39 साल की सुजाता रामपुरिया अपने इलाके में कोविड-19 मरीजों को खाना खिला रही हैं. वो लंच और डिनर पकाती हैं और कोविड मरीजों के घर मुफ्त में पहुंचाती हैं.

सोशल मीडिया और उससे बाहर भारत के लोग मदद के लिए साथ आ रहे हैं. आप भी आ सकते हैं!

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