वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास/संदीप सुमन
साल 2019 में राम मंदिर के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद अयोध्या में मंदिर निर्माण और उससे संबंधित गतिविधियों ने रफ्तार पकड़ी है. धर्म और अध्यात्म का केंद्र माने जाने वाले अयोध्या में श्रद्धालुओं की भीड़ भी लगातार बढ़ती जा रही है.
मंदिर ट्रस्ट से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि मंदिर दिसंबर 2023 तक बनकर तैयार हो जाएगा लेकिन राम मंदिर कार्यशाला में काम कर रहे कारीगरों का कहना है कि मंदिर को अपने प्रस्तावित भव्य रूप में बनने में 5 से 6 साल तक का समय लग सकता है.
मंदिर निर्माण के लिए जमीन की खरीद-फरोख्त में हुए कथित घोटालों के आरोपों उसे घिरी ट्रस्ट का बचाव करते हुए विश्व हिंदू परिषद के स्थानीय नेता शरद शर्मा का कहना है कि ट्रस्ट की कार्यप्रणाली बिल्कुल पारदर्शी है.
उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि राजनीतिक हितों को साधने के लिए ट्रस्ट की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
जो अंगूर नहीं खा पाते हैं वो ही उसे खट्टा बताते हैं. जिन लोगों ने ये आरोप लगाए उन्होंने एक मानसिकता के तहत ये सब किया है ताकि उनका वोटबैंक तैयार हो सके. ऐसे लोगों को समाज कहीं भी महत्व नहीं देने वाला है.शरद शर्मा प्रवक्ता, विश्व हिंदू परिषद, अयोध्या
प्रदेश की मौजूदा बीजेपी सरकार ने अयोध्या में परियोजनाओं की झड़ी लगा दी है. सालाना उत्सव "दीपोत्सव" में लेजर लाइट, संगीत और लाखों दीए जलाकर सरकार कीर्तिमान स्थापित करने का दावा कर रही है.
वहीं दूसरी तरफ अयोध्या के धन्नीपुर गांव में मस्जिद का निर्माण अभी शुरू भी नहीं हुआ है. राम जन्मभूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में फैसला सुनाते हुए मस्जिद निर्माण के लिए सरकार को 5 एकड़ जमीन मुहैया कराने का निर्देश दिया था. मस्जिद निर्माण के लिए इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम की एक ट्रस्ट का गठन हुआ है. ट्रस्ट द्वारा जारी मस्जिद के नक्शे में मस्जिद के अलावा एक 300 बेड का अस्पताल, म्यूजियम और कम्युनिटी किचन का प्रस्ताव दिया गया है. ट्रस्ट के सेक्रेटरी अथर हुसैन का कहना है कि कागजी कार्रवाई में हो रही देरी की वजह से निर्माण का कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है.
नमाज पढ़ने के लिए मस्जिद तो बहुत हैं. कमी नहीं है. एक अच्छा हॉस्पिटल बन रहा है. लोगों को अच्छी सुविधाएं यहीं मिल जाएंगी. वरना लोगों को लखनऊ तक भागना पड़ता था.शोहराब खान, निवासी धन्नीपुर, अयोध्या
मंदिर राजनीति का केंद्र अयोध्या आने वाले राज्य चुनाव में सक्रिय भूमिका निभा सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि ध्रुवीकरण की राजनीति से हमेशा बीजेपी को सबसे ज्यादा फायदा मिला है लेकिन विपक्षी पार्टियों ने भी अब अयोध्या में बीजेपी से सीधी टक्कर लेनी शुरू कर दी है.
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