वीडियो एडिटर: आशुतोष भारद्वाज
‘वो(मणिपुर) ऑडियंस की तरह हैं, जैसे स्टेज पर लोग नाटक कर रहे हैं और ये देख रहे हों, शुरू से ही हजारों-लाखों लोग मुझे देख रहे हैं.’इरोम शर्मिला, एक्टिविस्ट
मणिपुर की आयरन लेडी इरोम शर्मिला ने बहुत कुछ झेला लेकिन, अब उनकी जिंदगी बदल चुकी है. साल 2000 से ही इरोम शर्मिला मणिपुर के लोगों के लिए नागरिक अधिकार, मानवाधिकार का उल्लंघन करने वाली गतिविधियों के खिलाफ कैंपेन कर रही हैं.
इरोम चाहती हैं कि नाॅर्थ-ईस्ट में खासकर मणिपुर में स्पेशल पॉवर एक्ट जो आर्मी को सर्च, अरेस्ट करने के साथ ही 'खतरनाक' पावर इस्तेमाल करने का विशेष अधिकार देता है, उसे हटाया जाए.
2016 में, उन्हें जबरन 16 साल तक लंबे चले भूख हड़ताल को खत्म करना पड़ा. उनकी भूख हड़ताल AFSPA और सेना को दिए अन्य विशेष पावर के खिलाफ थी. दुनिया में सबसे लंबी चली भूख हड़ताल.
14 मार्च को जन्मीं इरोम से क्विंट उनके 47वें जन्मदिन के मौके पर मुलाकात की. लगभग 2 साल पहले 2017 में मणिपुर छोड़कर बंगलुरु में रह रहीं इरोम शादी और आगे की जिंदगी को लेकर काफी उत्साहित हैं. इरोम कहती हैं- उन्हें जुड़वा बच्चे पसंद हैं.
मातृत्व पर उनका कहना है, ‘ये एक ऐसा अनुभव है, जो जिंदगी के सफर में कुदरती पहलू का अनुभव कराता है’.
नहीं चाहिए सेलिब्रिटी जैसा ट्रीटमेंट: इरोम
इरोम कहती हैं, उन्हें सेलिब्रिटी की तरह पेश आना पसंद नहीं है. मैं बस दूसरों को ये दिखाना चाहती हूं कि एक लोकतांत्रिक देश में ऐसा कानून है, ऐसा कानून जो समाज, भावनाओं, लोगों को प्रभावित करता है. लोग अपने स्तर पर ऐसे कानूनों से आजादी दिलाने की कोशिश करें. मैं चाहती हूं कि “वे मुझसे प्रेरित हों लेकिन सेलिब्रिटी की तरह नहीं, जैसे, 'अच्छा, ये वही है जिसने 16 साल की उम्र में हड़ताल की थी!', और सिर्फ सेल्फी लेना चाहते हैं ... इस तरह नहीं.”
उन्होंने कहा है कि नार्थ-ईस्ट के सांसदों को आम नागरिकों की परेशानियों को राष्ट्र के सामने लाना चाहिए, बजाए उन सांसदों के जो बड़े राज्य से आते हैं और बहस में डोमिनेट करते हैं.
‘वो (सांसद) संसद में लोगों को रिप्रजेंट नहीं करते हैं, वो बस सरकार के हाथों की कठपुतली बन गए हैं. बड़े राज्यों के मामले में जैसे यूपी या ऐसे ही कुछ बड़े राज्य जहां से 100 सांसद आते हैं, वो संसद में अपना राज चलाते हैं’
इरोम की 16 साल की उम्र में भूख हड़ताल ने उन्हें दुनिया भर में मशहूर कर दिया था. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने उन्हें 'प्रिजनर ऑफ कंसाइंस' की उपाधि दी. इसका मतलब- वे लोग जो अपना मत अहिंसक तरीके से जाहिर करते हैं जिनकी वजह से उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ता है.
मणिपुर छोड़ने के बाद इरोम पति डेस्मंड के साथ बंगलुरु में रहने लगी हैं. वापस जाने के सवाल पर इरोम कहती हैं कि उन्हें मणिपुर वापस जाने की इच्छा नहीं है.
अब इरोम बंगलुरु में अच्छा जीवन बिता रही हैं, वो कहती हैं कि- फुर्सत और घर के काम में समय बिताती हूं.
कभी-कभी, हम स्क्रैबल खेलते हैं. हम एक साथ पजल बनाते हैं. इवेंट में भाग लेती हूं, मुझे प्रेरणा के सिंबल के तौर पर लोग बुलाते हैं, जो मेरे बारे में जानना चाहते हैं. समय ऐसे ही बीत रहा है.इरोम शर्मिला, एक्टिविस्ट
पति डेसमंड के साथ अपने रिश्तों पर उन्होंने खुल कर अपनी भावनाएं जाहिर की. मणिपुर में जेल में रहने के दौरान डेस्मंड के साथ उनके रिश्ते को लेकर काफी भला-बुरा कहा गया था. उन्होंने अपने ब्रिटिश प्रेमी डेसमंड कुटान्हो के साथ साल 2017 में शादी की थी.
ये कोई आसान बात नहीं थी. हमारा परिचय पहले खत के जरिये था. मणिपुर में लोगों ने डेस्मंड को ‘भारतीय जासूस’, सेक्स जासूस समझा. उनमें से कोई भी उन पर विश्वास नहीं करना चाहता था और हमारे रिश्ते के शुरू होने के बाद वो वहां आए थे. बहुत सी बुरी चीजें हुईं.इरोम शर्मिला, एक्टिविस्ट
लेकिन काफी कुछ झेल चुकी मणिपुर की इस ‘आयरन लेडी’ को विश्वास है कि आगे की जिंदगी बांहे फैलाए उनका स्वागत कर रही है.
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