दिल्ली की जामिया मिल्लिया इस्लामिया की कुलपति नजमा अख्तर ने कैंपस में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई की कड़ी आलोचना की थी. अब कुलपति की नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों की सिफारिश करने वाली सर्च कमेटी के एक सदस्य ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को पत्र लिखकर उन्हें पद से हटाने की मांग की है. क्विंट से बातचीत में जामिया छात्रों ने इस विवादित लेटर पर प्रतिक्रिया दी है.
जामिया छात्र अर्जुन रामाचंद्रन ने कहा, पहली बात अगर वो नियुक्त होने के योग्य नहीं थीं तो उन्हें वहां नहीं होना चाहिए. अगर इस नियुक्ति के पीछे कोई पॉवर-प्ले है तो ये तय है कि अगली नियुक्ति भी इस पॉवर-प्ले पर आधारित होगी. इसलिए, छात्र यहां एक तरह से अनिश्चय की स्थिति में हैं."
'पार्टियों को संतुष्ट करने में फेल रहीं VC'
VC नज्मा अख्तर के समर्थन में जामिया छात्र शैली अग्रवाल का कहना है कि वीसी सरकार की कठपुतली न बनने और छात्रों के पक्ष में पूरी तरह न उतरने के बीच एक संतुलन बनाने की कोशिश की. इसलिए, उन्होंने कैंपस की सुरक्षा के लिए कुछ उपाय किए हैं.
उन्होंने 15 दिसंबर को पुलिस की बर्बरता के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने की कोशिश की. लेकिन इसके खिलाफ भी कुछ ठोस काम नहीं किया गया. उन्होंने एक संतुलन बनाने की कोशिश की, इसलिए, मुझे नहीं लगता, वो दोनों पक्षों में से किसी को संतुष्ट करने में सक्षम हो सकीं.शैली अग्रवाल, जामिया छात्र
सर्च कमेटी के सदस्य रामकृष्ण रामास्वामी उस 3 सदस्यों के पैनल का हिस्सा थे, जिसने 2018 में राष्ट्रपति से 3 नामों की सिफारिश की थी. उनका दावा है कि सीवीसी की ओर से जनवरी 2019 में क्लीयरेंस न देने के बावजूद अप्रैल 2019 में अख्तर की वीसी के तौर पर नियुक्ति हुई थी.
बता दें, 15 दिसंबर 2019 को नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने कार्रवाई की थी. विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया था कि पुलिस ने "बिना अनुमति के परिसर में प्रवेश किया था और छात्रों को बर्बरता से मारा था." एटीआर में, पुलिस ने दावा किया कि "फंसे हुए छात्रों और दंगाइयों के बीच अंतर करना मुश्किल था, जबकि वहां लोगों के पास पेट्रोल बम पाए गए थे."
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