5 अगस्त को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के साथ उसको दो हिस्सों में बांटने का भी फैसला लिया गया था. आज से ये फैसला लागू हो गया है. एक हिस्सा है जम्मू-कश्मीर और दूसरा हिस्सा है लद्दाख.
इस फैसले से राज्य का कितना विकास होगा? राष्ट्रीय स्तर पर राजनीति कितनी बदलेगी? इन तमाम विषयों पर द क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया ने चर्चा की.
क्या कश्मीर में सब कुछ सामान्य हो गया है? इस पर संजय पुगलिया ने कहा कि सरकार भले ही कहते रहे कि जम्मू-कश्मीर में हालात सामान्य हो गए हैं. लेकिन सरकार के एक्शन से पता चल रहा है कि वहां स्थिति अभी सामान्य नहीं हुई है. अभी तक सराकार सारे प्रतिबंध नहीं हटा सकी है. हिंसा की घटनाएं भी हो रही हैं. इसका मतलब हालात अभी सामान्य नहीं हुए हैं.
उन्होंने कहा कि 370 एक तरह की दीवार थी, जिसे अब तोड़ दिया गया. अब जम्मू-कश्मीर भारत के साथ जुड़ गया है. जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म हो गया. अब आज से यहां उपराज्यपाल का राज होगा, क्योंकि असेंबली यहां पर नहीं है.
उपराज्यपाल का क्या काम होगा?
संजय पुगलिया ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की कानून-व्यवस्था और पुलिस के अधिकार केंद्र सरकार के पास होंगे. लेकिन जमीन के अधिकार राज्य सरकार के पास होंगे. इसके अलावा रूरल डवलपमेंट, एजुकेशन, हेल्थ के अधिकार भी राज्य सरकार के पास होंगे. उपराज्यपाल जम्मू-कश्मीर में एक तरीके से रूल करेंगे. लेकिन फिर भी वह केंद्र के अंतर्गत आएंगे.
उन्होंने कहा कि केंद्र ने तकनीकी जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक बिल को लागू कर दिया है, लेकिन प्रेक्टिकली अभी ये लागू नहीं हुआ है. ये प्रेसिडेंशियल ऑर्डर से ही मालूम चल रहा है.
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