सुरक्षा मामलों के बड़े जानकार और सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस एंड स्ट्रैटजी के प्रेसिडेंट जयदेव रानाडे का मानना है कि चीन से टकराव की स्थिति अगस्त-सितंबर तक जारी रह सकती है. ये बात उन्होंने क्विंट के एडिटोरियल डायरेक्टर संजय पुगलिया से एक खास बातचीत में कही. रानाडे का मानना है चीन हमें थकाने की रणनीति पर काम कर रहा है.
''चीन हमें थकाने की कोशिश कर रहा''
बातचीत में जयदेव ने कहा कि - ''चीन ने जहां घुसपैठ की थी, वहीं टिका हुआ है, पीछे नहीं हटा है, साथ ही चीन फोकस शिफ्ट कर रहा है. हम गलवान पर ध्यान लगाए हुए थे और चीन ने अब पैंगॉन्ग और देबसांग में भी बढ़त बनानी शुरू कर दी है. दो महीने से चीन ये हरकतें कर रहा है, तो हो सकता है कि चीन बिना युद्ध लड़े हुए भारतीयों और सेना को थकाने की कोशिश कर रहा है. चीन ने गलवान में हमारे साथ जो विश्वासघात किया है, उसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ा है और हो सकता है कि आगे और झड़प हो.
रानाडे ने कहा, “ अगस्त-सितंबर तक चीन की घुसपैठ जारी रह सकती है, उसके बाद सर्दी इतनी बढ़ जाएगी कि अभियान जारी रखना मुश्किल होगा.”
15 जून को चीन को कितना नुकसान हुआ?
''इसकी जानकारी चीन ने अभी तक साफ-साफ नहीं दी है और इसको लेकर चीन सरकर पर दबाव बढ़ रहा है. वहां पहले से रिटायर्ड फौजी कम पेंशन को लेकर नाराज थे, अब फौजियों के परिवार वाले कहेंगे कि भारत ने तो अपने सैनिकों को पूरा सम्मान दिया लेकिन हमारे यहां कोई जानकारी तक बाहर नहीं आई. इसी दबाव के कारण चीन के राजदूत और ग्लोबल टाइम्स ने हताहत होने की बात स्वीकारी है. तो हो सकता है आने वाले समय चीन मौत का आंकड़ा भी सामने लेकर आए.''
रणनीतिक जानकारी शेयर नहीं करना सही रणनीति
''ये बात सही है कि सोशल मीडिया पर निजी सैटेलाइट्स से लिए गए इमेज शेयर हो रहे हैं कि चीन ने सीमा पर तैनाती बढ़ा दी है लेकिन ऐसा नहीं है कि सरकार के पास इसकी जानकारी नहीं है, संभव है सरकार सोच समझकर ये जानकारी शेयर नहीं कर रही क्योंकि ये रणनीतिक रूप से अहम है. जब सरकार ये कहती है कि हमने चीन को करारा जवाब दे दिया है तो वो सिर्फ गलवान के बारे में बात कह रही है. अब सरकार ने साफ कर दिया है कि जब तक चीन पीछे नहीं जाता, तब तक हम झुकेंगे नहीं. हमारी तरफ से संदेश साफ है कि हम शांति चाहते हैं लेकिन शर्त ये है कि चीन हमारी जमीन छोड़े
चीन के साथ भरोसे में कमी नहीं आई है, बल्कि कभी भरोसा था ही नहीं.जयदेव रानाडे
चीन से साइबर अटैक का खतरा कितना बड़ा?
जयदेव चेतावनी देते हैं कि-'' चीन किसी देश पर हमला करने के पहले एक तगड़ा साइबर अटैक करने की रणनीति पर काम करता है. इसमें मिलिट्री में कमांड और कंट्रोल सिस्टम, सरकार से मिलिट्री को जोड़ने वाले सिस्टम नागरिक नेटवर्क-जैसे बिजली, रेलवे, अस्पताल आदि में बाधा डालना शामिल है. भारत ने भी साइबर अटैक से निपटने की क्षमता तैयार की है, हालांकि हमने इसमें देरी की है. चीन अमेरिका तक पर साइबर जासूसी कर रहा है. ''
जयदेव बताते हैं कि- ''हमारे 60-70% मोबाइल चीन से आ रहे हैं लिहाजा वो हमें सुन और देख सकते हैं. ये चीजें हमें खुद से बनाने की कोशिश करनी चाहिए और चीनी कंपनियों को 5G नेटवर्क में नहीं घुसने देना चाहिए.''
चीन से दोस्ती की नीति कितनी कारगर?
जयदेव के मुताबिक-''चीन को खुश करने की नीति तभी कारगर हो सकती है जब उसका कोई मकसद हो. अगर ऐसा होता कि हम चीन से तनाव नहीं बढ़ाएंगे और इस बीच अपनी क्षमता बढ़ाएंगे तब तो ठीक है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.कुछ लोग कहते हैं कि चीन को फेस सेविंग का मौका देना चाहिए, लेकिन हमने तो उन्हें नहीं बुलाया तो हमें उन्हें बिल्कुल फेस सेविंग का मौका नहीं देना चाहिए. चीन में ये बात बहुत पहले से साफ है कि भारत के साथ रिश्ते एक हद से आगे नहीं जाएंगे.
चीन को फेस सेविंक का मौका नहीं देना चाहिए. हमने उन्हें नहीं बुलाया था.
चीन को मात देने के लिए किससे हाथ मिलाए भारत?
''चीन से युद्ध होगा तो हमें अकेले ही लड़ना पड़ेगा. लेकिन कई मुद्दे हैं जिन्हें हमें उठाना चाहिए. साउथ चाइना समुद्र में चीन की घुसपैठ के खिलाफ हमें भी आवाज उठानी चाहिए. चीन और हॉन्गकॉन्ग में मानवाधिकार हनन का मसला हमें विश्व मंच पर उठाना चाहिए. ताईवान ने फिफ्थ जेनरेशन जेट बनाया है, शिप बनाने में उनकी तकनीक उन्नत है, वो कंप्यूटर चिप बनाते हैं, तो उनके साथ सहयोग करना चाहिए. इसी तरह अमेरिका से भी दोस्ती बढ़ानी चाहिए.''
चीन को स्थाई जवाब क्या होगा?
आगे के लिए रानाडे की सलाह है कि- '' हमें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होना पड़ेगा. स्वास्थ्य क्षेत्र में चीन पर निर्भरता घटानी चाहिए. टेली कम्युनिकेशन के क्षेत्र में हमें आत्मनिर्भर बनना चाहिए. और इसके लिए सरकारी कंपनियों पर ही निर्भर नहीं रहना चाहिए. अपने निजी सेक्टर को ये चीजें बनाने देना चाहिए.''
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