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CRPF जवान को नक्सलियों से ऐसे बचाकर लाए पत्रकार

CRPF के जवान की रिहाई में 11 मध्यस्थों ने क्या भूमिका निभाई?

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वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम

वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी

इनपुट: मोहम्मद सरताज आलम

छत्तीसगढ़ में 3 अप्रैल को हुए नक्सली हमले में 22 CRPF जवान शहीद हो गए, वहीं एक जवान नक्सलियों के कब्जे में था, उसे 8 अप्रैल को बीजापुर गांव के लोगों के सामने छोड़ा दिया गया. अगवा हुए CRPF जवान राकेश्वर सिंह मन्हास को सुरक्षित घर पहुंचाने में 11 लोगों की मध्यस्थता टीम की अहम भूमिका रही.

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क्विंट हिंदी से खास बातचीत में 11 मध्यस्थों की टीम के कुछ सदस्यों ने बताया कि नक्सलियों ने राकेश्वर सिंह को बिना किसी शर्त और मानवीय आधार पर छोड़ा है.

मध्यस्थों की टीम में शामिल थे ये लोग

सामाजिक कार्यकर्ता धर्मपाल सैनी, गोंडवाना समाज के नेता तेलम बोरिया, पूर्व सरपंच और आदिवासी नेता सुखमती आपका, सामाजिक नेता गुरु रूद्र खरे, पत्रकार गणेश मिश्रा (बीजापुर), पत्रकार मुकेश चंद्राकर (बीजापुर), पत्रकार युकेश चंद्राकर (बीजापुर), पत्रकार रंजिश दाश (बीजापुर), पत्रकार चेतन कपवार (बीजापुर), पत्रकार के शंकर (सुकमा), पत्रकार रवि रुंजे (सुकमा)

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बीजापुर के पत्रकार गणेश मिश्रा ने क्विंट हिंदी को बताया कि- 'नक्सलियों ने कहा था कि जवान सुरक्षित है और उसे रिहा भी कर दिया जाएगा, लेकिन नक्सलियों ने मध्यस्थता टीम की मांग की जिसके आधार पर टीम बनाई गई, साथ ही नक्सलियों ने ये भी कहा कि अगर इस प्रक्रिया में जवान को कुछ नुकसान होता है तो वो उनकी नहीं बल्कि आईजी की गलती होगी.'

मैंने उनसे जवान की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तस्वीर मांगी जो उन्होंने मुझे भेजी थी, उसके बाद हम उसे छुड़ाने की पूरी प्रक्रिया में लग गए, 8 अप्रैल को सुबह हम उस जगह पहुंचे जहां जवान को रिहा किया जाना था, वहां कुछ देर के इंतजार के बाद जवान को लाया गया और गांव वालों के सामने छोड़ दिया गया. 
गणेश मिश्रा, पत्रकार, बीजापुर

गणेश मिश्रा पहले भी कई जवानों को बचाकर ला चुके हैं, वो बताते हैं कि- '2012 में नक्सलियों ने 4 जवानों का अपहरण कर लिया था मुठभेड़ में तब उन्हें भी बचाकर लाया था और कुछ महीने पहले ही एक पुलिसकर्मी को नक्सलियों ने अगवा किया था, जिसके बाद जन अदालत लगाया गया था और वहीं से मैं जवान को सुरक्षित छुड़ा लाया था'

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