वीडियो प्रोड्यूसर: कनिष्क दांगी
वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
CAA से लेकर Coronavirus तक पर अपने फैसलों से यूपी सरकार (UP Govt.) को कठघरे में खड़ा करने वाले जस्टिस गोविंद माथुर (Justice Govind Mathur) ने क्विंट हिंदी से खास बातचीत में कहा है कि ‘Lockdown को लेकर Allahabad High Court) के फैसले को चुनौती देने में राज्य सरकार (UP Govt.) ने जल्दबाजी की’
14 अप्रैल 2021 को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश में बढ़ते कोरोना वायरस के मामले को देखते हुए राज्य सरकार को लॉकडाउन लगाने का निर्देश दिया था, जिसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार निर्देश को चुनौती देते हुए सप्रीम कोर्ट पहुंची थी.
जस्टिस गोविंद के मुताबिक अगर कोरोना महामारी के दौरान लापरवाही से जान की हानि हो रही है तो ये कहा जा सकता है की राज्य सरकार ने भारतीय संविधान के आर्टिकल 21 की अवहेलना की है.
लॉकडाउन लगाने को लेकर इलाहाबाद HC के निर्देश को यूपी सरकार ने चुनौती दी थी, क्या कहेंगे?
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बढ़ते कोरोना के मामलों को देखते हुए राज्य सरकार को ये निर्देश दिया था की राज्य में पूर्णतः लॉकडाउन लगाना चाहिए. लेकिन ये यूपी सरकार को ये दखलंदाजी लगा. आगे ये भी बात सामने आई कि सरकार ने निर्देश को ठीक से नहीं पढ़ा और उसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जो एक जल्दबाजी थी. लेकिन एक दिन बाद ही राज्य सरकार ने कुछ क्षेत्रों में लॉकडाउन लगाया. जब लॉकडाउन लगाया ही जाना था तो हाई कोर्ट के निर्देश को चुनौती क्यों दी गई?
उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव को टाला जा सकता था?
हमें आश्वासन दिया गया था की चुनाव प्रक्रिया के दौरान कोरोना से सुरक्षा का हर प्रोटोकॉल का पालन किया जाएगा. इससे पहले राजस्थान में भी पंचायत चुनाव हुए थे, लेकिन ऐसी स्थिति वहां नहीं थी. उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव को लेकर हमें आश्वासन दिया गया था तो पैनल ने भी सुरक्षा नियमों को लेकर कुछ निर्देश दिए थे. जाहिर है उसका पालन नहीं हुआ.
कोरोना से सुरक्षा के नियम ठीक से लागू नहीं होने से कई लोगों की गई जान, कैसे मिलेगा इंसाफ?
हम उन लोगों को वापस नहीं ला सकते लेकिन उनके लिए दो काम किए जा सकते हैं, पहला ये कि उनके परिवार को मुआवजा दिया जा सकता है. और दूसरा ये कि कोरोना से सुरक्षा के नियमों को ठीक से लागू न करने को लेकर जो जिम्मेदार शख्स है उस पर कार्रवाई की जा सकती है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)