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Telangana Election: रायथु बंधु योजना पर रोक से BRS को झटका, EC ने क्यों लिया फैसला?

रायथु बंधु योजना के तहत लगभग 70 लाख किसान लाभार्थी हैं इसलिए बीआरएस के लिए ये योजना काफी महत्वपूर्ण है.

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तेलंगाना (Telangana Election) में चुनाव आयोग (Election Commission of India) ने सत्तारूढ़ पार्टी भारत राष्ट्र समिति (BRS) को रायथु बंधु योजना के तहत किसानों को जारी करने वाली किस्त को रोकने का आदेश दे दिया है.

बीआरएस के लिए रायथु बंधु योजना चुनाव को लेकर महत्वपूर्ण योजना है. आइए जानते हैं ये योजना क्या है? चुनाव आयोग ने इस योजना को रोकने का आदेश क्यों दिया है? बीआरएस को क्या इससे फायदा होने वाला था?

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रायथु बंधु योजना क्या है?

तेलंगाना की केसीआर सरकार की महत्वपूर्ण योजना रायथु बंधु किसानों को फायदा पहुंचाने के लिए 2018 में लागू की गई थी. योजना के तहत लगभग 58 लाख किसानों को दो बुआई सीजन (रबी और खरीफ) के लिए साल में दो बार 4,000 रुपये प्रति एकड़ देने का वादा किया गया था.

2015 में राज्य सरकार ने अपने बजट में इस योजना के लिए 12,000 करोड़ रुपये आवंटित किए थे. वित्तीय वर्ष 2019-2020 में यह राशि बढ़ाकर 5,000 रुपये प्रति एकड़ कर दी गई थी. 2023 के बजट में, राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 15,075 करोड़ रुपये रखे थे.

जहां 2018 में योजना के लाभार्थियों की संख्या 58 लाख थी, वहीं जुलाई 2023 तक यह बढ़कर 70 लाख हो गई है.

चुनाव आयोग ने योजना पर फिलहाल रोक क्यों लगाई?

25 नवंबर के आदेश में, चुनाव आयोग ने बीआरएस सरकार को योजना के तहत किस्त जारी रखने की अनुमति दी थी, आयोग की शर्त थी कि वह चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक चर्चा में इस योजना का उपयोग नहीं करेगी, कोई लाभार्थी नहीं जोड़ा जाएगा और राशि में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी.

हालांकि, 25 नवंबर को तेलंगाना के वित्त मंत्री हरीश राव ने पालकुर्थी में एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए कहा:

“कांग्रेस 15,000 रुपये प्रति एकड़ देने का वादा कर रही है. हम पहले से ही प्रति एकड़ 10,000 रुपये दे रहे हैं और सत्ता में आने पर इसे बढ़ाकर 16,000 रुपये प्रति एकड़ कर देंगे. भुगतान 27 नवंबर को किया जाएगा. किसानों के चाय-नाश्ता करने से पहले ही उनके खाते में राशि आ जाएगी.”

योजना के तहत किस्त को रोकने के अपने आदेश में चुनाव आयोग ने कहा: "आयोग ने पाया है कि राव, जो सिद्दीपेट से बीआरएस पार्टी के उम्मीदवार हैं... पार्टी के स्टार प्रचारक और तेलंगाना के वित्त मंत्री भी हैं, ने न केवल आदेश का उल्लंघन किया है, आदर्श आचार सहिंता का भी उल्लंघन किया है."

आयोग ने तेलंगाना सरकार को 27 नवंबर दोपहर 3 बजे से पहले रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश भी दिया था.

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चुनाव आयोग के आदेश का राजनीतिक असर क्या हो सकता है?

रायथु बंधु योजना के तहत बीआरएस किसानों के वोट को बटोरने की कोशिश में थी, ये योजना चुनाव के नजरिए से काफी महत्वपूर्ण है. केसीआर और उनकी सरकार चुनावों से पहले इस योजना की "सफलता" का ढिंढोरा पीट रही है और कह रही है कि इससे किसानों का जीवन बदल गया है.

तेलंगाना में लगभग 1.43 करोड़ एकड़ कृषि भूमि है. किसान या कृषि क्षेत्र से जुड़े लोग तेलंगाना की आबादी (लगभग 55%) का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और सरकार बानाने में कृषक समुदाय का समर्थन एक महत्वपूर्ण कारक है.

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चुनाव आयोग के फैसले बीआरएस ने क्या कहा?

बीआरएस ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का आग्रह किया है. पत्र में लिखा है कि, “यह योजना (रायथु बंधु) पिछले साढ़े पांच वर्षों से चल रही है. चूंकि रबी का मौसम आ चुका है, इसलिए सरकार ने 24 नवंबर से योजना के तहत किस्त जारी करने का प्रस्ताव रखा है. इसके बाद आपको सूचित किया गया जिसके बाद 25 नवंबर को अनुमति दी गई." पत्र में कहा गया है कि आचार सहिंता के उल्लंघन को लेकर चुनाव आयोग ने हरीश राव पर सख्त आरोप लगाए हैं जो "गलत तरीके से रखा गया" है.

केसीआर ने अपनी पार्टी के रुख को दोहराया और कहा कि रायथु बंधु कोई नई योजना नहीं है और चुनाव के बाद बीआरएस के सत्ता में लौटने के बाद इसके तहत किस्त का वितरण जारी रहेगा.

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