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खरगोन में बुलडोजर से 'कुचली' जिंदगियों की कहानी

जिला प्रशासन ने 'अवैध अतिक्रमण' का हवाला देते हुए खरगोन में कम से कम 16 घरों को ढहा दिया था.

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"मेरा नाम हसीना है और सरकार ने मेरे घर पर बुलडोजर चला दिया है... उन्होंने सब कुछ तबाह कर दिया है": हसीना फकरु, जिसका मकान केंद्र सरकार की प्रमुख योजना प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत मध्यप्रदेश के खरगोन (khargone) में बनाया गया था.

10 अप्रैल को इलाके में सांप्रदायिक हिंसा भड़कने के एक दिन बाद हसीना का घर बुलडोजर से गिरा दिया गया था.

मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा के बयान “जिस घर से पत्थर निकले हैं, उनको ही पत्थरों का ढेर बनाएंगे", के बाद खरगोन जिला प्रशासन द्वारा एक अभियान चलाया गया था.

इसके बाद जिला प्रशासन ने तोड़फोड़ की और 'अवैध अतिक्रमण' का हवाला देते हुए कम से कम 16 घरों और 2 दर्जन से अधिक दुकानों को ध्वस्त कर दिया. भाजपा ने इस अभियान को 'दंगाइयों के खिलाफ कार्रवाई' के रूप में पेश किया.

हसीना फकरू के बेटे अमजद बुलडोजर अभियान के बारे में बात करने से बचते हैं क्योंकि जब भी उनके घर के आसपास कोई चर्चा होती है तो उनकी मां रो पड़ती हैं.

"हमारा घर बहुत अच्छा था. हमने अपना घर बनाने के लिए बहुत मेहनत की थी. इस जगह पर कभी कोई लड़ाई नहीं हुई. लेकिन इस हिंसा के बाद हमारा घर उजड़ गया. मेरे बच्चे पास में काम करते थे और हम खुशी-खुशी रहते थे."
हसीना फकरू, गाल से आंसू पोंछते हुए बोलीं
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काम पर निकलने से पहले अपनी गाड़ी के हैंडल ठीक करने और पोंछने वाले अमजद के लिए दैनिक खर्चों का अनुमान लगाना और भी मुश्किल हो गया है.

अब वह अपने काम की जगह से बहुत दूर रहते हैं, जब हम उसके किराए के दो कमरों वाले घर पर गए, जहाँ परिवार ने लगभग एक महीने तक एक अस्थायी पशुशाला में रात बिताने के बाद शरण ली थी.

जैसे ही हम बैठे, अमजद ने धीरे से कैमरे और रिपोर्टर के बीच अपनी आँखें घुमाते हुए कहा,

"उन्होंने हमारे घर को ध्वस्त कर दिया और तब से, हम टूट गए... क्योंकि कर्फ्यू लगाया गया था और कोई काम भी नहीं था. हम पूरी तरह टूट चुके हैं. अब, बारिश का मौसम है और मुझे इस बात की चिंता है कि हम पैसे कैसे कमाएंगे, किराया देंगे या घर के लिए खाना खरीदेंगे?”

अमजद और उसके तीन भाई हाथ ठेला चलाते हैं और बरसात का मौसम उनकी कमाई पर भारी पड़ता है.

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पीएम ने मंजूर किया, लोकल प्रशासन ने गिराया ?

अमजद कहते हैं, 'हमारा घर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत मंजूर हुआ था इसलिए वहां बनाया गया. जब घर बनाते हैं तो उसमें समय लगता है, यह एक दिन में नहीं बन जाता है.'

अपने ध्वस्त घर की यादों से हकीकत में वापस कदम रखते हुए, अमजद ने कहा कि उनके घर को जिस समय बनाया जा रहा था तब कई अधिकारियों द्वारा दौरा किया गया था. वे उनके घर आते और फोटो खिंचवाते थे. लेकिन किसी ने उन्हें वहां घर न बनाने के लिए नहीं कहा.
“नगरपालिका के अधिकारियों सहित सभी लोग आते थे और तस्वीरें लेते थे. उस समय किसी ने हमें वहां अपना घर न बनाने के लिए नहीं कहा था. योजना के तहत हमें 2.5 लाख रुपये मिले और हमने अपने जीवन की सारी बचत को घर बनाने में लगा दिया था. अब, हम देखेंगे कि सरकार हमारे लिए क्या करती है.
अमजद
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अमजद अकेला नहीं, कई परिवार विध्वंस के बाद निर्वासन में रहने को मजबूर

खरगोन जिला प्रशासन द्वारा नौशाद का घर गिराए जाने के बाद नौशाद खान का 8 सदस्यों वाला परिवार अपनी बकरियों के साथ एक कमरे में रहने को मजबूर है.

“हमारे घर को तोड़े जाने के बाद, हमारे पास रहने के लिए कुछ नहीं था. हमें बहुत सी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.हमारे पास घर नहीं है. हमने एक छोटा 8*8 फीट का कमरा किराए पर लिया है और उसमें आठ लोग रहते हैं. हम इससे बड़ी जगह नहीं ले सकते, और हम 3,000-4,000 रुपये का मासिक किराया नहीं दे सकते.”
नौशाद ने अफसोस जताया.

नौशाद की मां कल्लो खान ने साझा किया कि कैसे परिवार के आठ में से सात सदस्य इतने तंग 8*8 फीट की जगह में सोते हैं. एक बकरी भी पिछले 3 महीने से इस जगह को साझा कर रही है.

प्रशासन का कहना है कि हसीना के परिवार को घर की पेशकश की गई थी लेकिन 'उन्होंने इनकार कर दिया'

खरगोन के सब-डिविजनल मजिस्ट्रेट मिलिंद ढोके ने द क्विंट को बताया कि हसीना के परिवार को एक घर का ऑफर दिया गया था, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया.

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हसीना के परिवार का कहना है कि एक बहुमंजिला इमारत में दिया जा रहा घर शहर के दूसरे हिस्से में था और इससे उसके बेटों के लिए अपनी आजीविका चलाना बहुत मुश्किल हो जाता.

“शुरू में, उन्होंने कहा कि वे हमें धर्मशालाओं (शेल्टर होम) में बसाएंगे. जब हमने कहा कि हम वहां नहीं रह सकते, तो उन्होंने एक बहुमंजिला इमारत (शहर से 3-4 किमी दूर) में जगह देने की पेशकश की. मैंने उनसे कहा कि PMAY योजना के तहत बने मेरे घर को गिरा दिया गया और मैंने उनसे यहां थोड़ी जमीन देने का अनुरोध किया, लेकिन उन्होंने हमें मना कर दिया. हम बाजार से इतनी दूर कैसे रहेंगे और कैसे कुछ भी कमाएंगे?”
अमजद पूछते हैं...

अमजद ने आगे कहा कि अधिकारियों ने उनसे कहा कि बेहतर होगा कि वह अभी घर लेने के लिए राजी हो जाएं, क्योंकि बाद में उन्हें कुछ नहीं मिलेगा.

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घर के मलबे में दबी हैं अनगिनत यादें

नौशाद को याद है कि कैसे उनके परिवार ने चंद मिनटों में ध्वस्त हुए घर में 25 साल गुजारे थे.

नौशाद कहते हैं,“जब मैं पांच साल का था तब मैं यहां आया था और मेरे सभी भाइयों की शादी वहीं हुई. मैं वहां 25 साल रहा. इन सभी वर्षों में हमें कभी किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ा लेकिन यहां हम बहुत सारी समस्याओं का सामना कर रहे हैं. बारिश होने पर हमें बकरियों के साथ सोना पड़ता है, आग के लिए हमारी लकड़ी भीग जाती है. हमें नहीं पता कि क्या करना है.”

अमजद का परिवार, जिन्होंने उस जगह पर लगभग 40 साल बिताए, जहां उन्होंने बाद में घर बनाया, जिसे गिरा दिया गया.अमजद कहते हैं कि उनके पास उस जगह से बहुत सारी यादें जुड़ी हुई हैं और इसे छोड़ना मुश्किल है.

उन्होंने कहा-

“हम असहाय रह गए हैं. उस जगह से बहुत सारी यादें जुड़ी हुई हैं. मैंने वहां अपने पिता और भाई का अंतिम संस्कार किया, और फिर उन्होंने आकर हमारे घर को ध्वस्त कर दिया.

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