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लखीमपुर खीरी का अहिराना गांव, जिसको निगल गई शारदा नदी, सरकारी स्कूल भी जमींदोज

Lakhimpur Kheri Flood: गांव के लोग अपने आशियाने को तोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर पलायन कर रहे हैं.

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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के लखीमपुर खीरी (Lakhimpur Kheri) जिले में शारदा और घाघरा नदी कहर बरपा रही हैं. श्रीनगर विधानसभा के अहिराना गांव में पिछले एक हफ्ते से नदी तेजी से कटान कर रही है. अब तक करीब दो दर्जन घर नदी में समा चुके हैं. यहीं के करदहिया मानपुर का प्राथमिक स्कूल भी गुरुवार को देखते ही देखते शारदा नदी में समा गया. एक दिन पहले ही इस स्कूल के शिक्षकों और बच्चों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया था. गांव वालों का कहना है कि स्कूल और गांव को बचाने के लिए प्रशासन ने कोई भी कोशिश नहीं की.

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गांव के लोग अपने आशियाने को तोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर पलायन कर रहे हैं. उधर घाघरा नदी धौरहरा इलाके में जमीनों को निगल रही है.

नदी के उफान से खत्म हुआ गांव का वजूद

लखीमपुर खीरी की सदर तहसील का एक गांव, जो सिर्फ नक्शे पर ही बचा है. ना अब वहां कोई घर है और न वहां रहने वाला. चारों तरफ सिर्फ पानी ही पानी नजर आ रहा है.

Lakhimpur Kheri Flood: गांव के लोग अपने आशियाने को तोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर पलायन कर रहे हैं.

नदी के उफान का गांव पर बुरा असर

(फोटो- क्विंट हिंदी)

जिले के फूलबेहड़ क्षेत्र में आने वाले अहिराना गांव का वजूद अब खत्म हो गया है. शारदा नदी का तेज बहाव इस पूरे गांव को अपनी आगोश में ले लिया है. इस गांव में 200 से ज्यादा परिवार और करीब 1500 की आबादी थी, लेकिन शारदा नदी का रुख इस कदर बदला कि इस पूरे गांव का खात्मा हो गया.

शारदा नदी से करीब 8 से 10 किलोमीटर दूर बसा यह गांव आजादी के बाद 1950 के आस-पास बसा था. धीरे-धीरे नदी का रुख इस गांव की तरफ हुआ और पूरा गांव नदी में समा चुका है. इस ग्राम पंचायत का इकलौता स्कूल भी नदी की चपेट में तेज बहाव में बह गया.

Lakhimpur Kheri Flood: गांव के लोग अपने आशियाने को तोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर पलायन कर रहे हैं.

नदी की कटान से बगल में बने भवनों पर बुरा असर

(फोटो- क्विंट हिंदी)

पिछले 4 सालों में करीब 200 से ज्यादा घरों को नदी निगल गई और इस साल करीब 45 घर कटने के बाद पूरा गांव अब सिर्फ नक्शे पर ही है.
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बर्बादी से बेहाल ग्रामीण-"कोई सरकारी मदद नहीं"

गांव वालों ने आरोप लगाया है कि ऐसे हालात में सरकारी स्तर पर कोई भी बचाव का प्रयास नहीं हुआ. अहिराना गांव में नदी के कटान होने के बाद, इसकी जद में आए घरों को लोग खुद ही तोड़ने में लगे हुए हैं. घरों के मलबे सहित अन्य घरेलू सामान को लेकर लोग पलायन कर रहे हैं. गांव के कई परिवार ऐसे हैं, जिनका सब कुछ नदी में समा गया. अब वो खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं.

Lakhimpur Kheri Flood: गांव के लोग अपने आशियाने को तोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर पलायन कर रहे हैं.

घर को खुद ही तोड़ने में लगे गांव के लोग

(फोटो- क्विंट हिंदी)

250 मकानों वाले अहिराना गांव में अब सिर्फ 10 घर बचे हैं. शारदा नदी इस गांव से पहले काफी दूर थी लेकिन धीरे-धीरे शारदा नदी गांव तक पहुंच गई. एक-एक करके लोगों के घरों को निगलती चली गई.

गांव वालों का कहना है कि

उनको सरकारी मदद नहीं मिली है. उनके पास अभी तक कोई नहीं आया है. वह अब भी इस इंतजार में हैं कि कोई अधिकारी कर्मचारी उनके पास आए और उनकी परेशानी दूर करे.
गांव में परेशानियों को लेकर एक अजीब सा सन्नाटा देखने को मिल रहा है.
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Lakhimpur Kheri Flood: गांव के लोग अपने आशियाने को तोड़कर सुरक्षित जगहों की ओर पलायन कर रहे हैं.

"सरकार से खफा हैं ग्रामीण"

अहिराना गांव के संजय, राधेश्याम, कमलकिशोर, राम बचन गौतम, राजेश और संतोष अपने घरों को तोड़कर मलवा सुरक्षित स्थानों को ले जा रहे हैं. वहीं अन्य लोग भी गांव से पलायन कर सुरक्षित स्थानों को जा रहे हैं.

संजय कहते हैं कि

जिस घर को बनाया था, उसी को तोड़ते वक्त आंखों से आंसू आ जाते हैं, लेकिन क्या करें. दिन रात करके सभी लोग मकानों को तोड़कर मलबा निकाल रहे हैं, जिससे दूसरी जगह कहीं घर बनाएं तो यह मलवा काम आ सके. पूरे गांव में नदी की दहशत है. गांव को बचाने के लिए प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई है, इससे लोगों में आक्रोश बढ़ रहा है.

प्रशासन ने क्या कहा?

प्रशासन का कहना है कि "सभी प्रभावित परिवारों के रहने की व्यवस्था की जा रही है." SDM सदर श्रद्धा सिंह ने कहा कि इस साल 12 परिवार प्रभावित हुए हैं, जिसमें से 10 परिवारों को हमने बसाया है. वहीं 10 और परिवारों को बसाने की व्यवस्था की जा रही है.

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