वीडियो एडिटर: मोहम्मद इरशाद आलम
एंकर: ईश्वर रंजना
आरे कॉलोनी मामले पर नेता और उनकी पार्टियों का ढोंग छिपाए नहीं छिप रहा. आरे कॉलोनी में पेड़ों पर चली आरी से जुड़े कुछ फैक्ट आपके लिए जानना जरूरी है.
BMC की ट्री अथॉरिटी ने 29 अगस्त, 2019 को मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो प्रोजेक्ट के लिए कार शेड बनाने की योजना को मंजूरी दी थी. इस शेड के लिए करीब 2600 पेड़ काटे जाने थे.
हम आपको बताते हैं कि BMC की उस बैठक में क्या हुआ था, जिसमें आरे में पेड़ों को काटने पर वोटिंग होनी थी. 4 बीजेपी सदस्य, 3 एक्सपर्ट और एकलौते एनसीपी कॉरपोरेटर पेड़ गिराने के पक्ष में थे. 6 शिवसेना कॉरपोरेटर प्रस्ताव के खिलाफ थे, 2 कांग्रेस के कॉरपोरेटर ने वोट का बहिष्कार करने का फैसला किया था.
इस प्रपोजल के सपोर्ट में 8 वोट पड़े और 6 विरोध में. इस तरह ये प्रपोजल पास हो गया. अब कांग्रेस और एनसीपी पेड़ की कटाई के खिलाफ बोलकर जुबानी जमा-खर्च या घड़ियाली आंसू बहा रहे हैं. लेकिन अगर वो सही वक्त पर वोटिंग में हिस्सा लेकर इसके खिलाफ वोट करते, तो 9 वोट सपोर्ट में होते और प्रपोजल के खिलाफ 7 वोट. मतलब प्रपोजल की हार होती.
फिर इस तरह आरे के पेड़ों पर सरकारी आरी नहीं चलती. कांग्रेस के दो मेंबर ने पेड़ काटने के विरोध में शिवसेना को समर्थन देने का वादा किया था, लेकिन फिर भी वोट करने के वक्त वॉकआउट किया और वोटिंग से खुद को दूर कर लिया. इसलिए जब कांग्रेस नेता मिलिंद देवड़ा कहते हैं कि पेड़ों को काटने का फैसला 'अपने फेफड़ों में खुद छुरा घोंपने' जैसा है, तो उन्हें यह याद रखना चाहिए कि चीजें बेहतर हो सकती थीं, अगर उनकी अपनी पार्टी के कॉरपोरेटर ठीक से जिम्मेदारी निभाते.
यहां तक कि एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने भी शिवसेना और बीजेपी पर तंज कसते हुए कहा:
अब जब पेड़ गिर रहे हैं, तो पर्यावरण प्रेमी कहां हैं, जिन्होंने प्लास्टिक पर बैन लगाया है?नवाब मलिक, प्रवक्ता, एनसीपी
एनसीपी के सीनियर लीडर जितेंद्र अवध आरे में विरोध करने की वजह से 5 अक्टूबर को हिरासत में लिए गए थे. लेकिन एनसीपी की आलोचना और विरोध सिर्फ खोखली लगती है, क्योंकि एनसीपी के अकेले कॉरपोरेटर ने ट्री अथॉरिटी के सामने पेड़ को काटने के सपोर्ट में वोट किया था!
बीजेपी-शिवसेना गठबंधन पर एक नजर
2017 से दोनों पार्टी आरे मुद्दे पर एक-दूसरे के विरोध में हैं. पेड़ की कटाई शुरू होने के बाद, शिवसेना चीफ उद्धव ठाकरे ने कहा, "जब हमारी सरकार सत्ता में आएगी, तो हम यह सुनिश्चित करेंगे कि आरे के हत्यारों से निपटा जाए."
लेकिन यहां हम ठाकरे के बयान को उनके फेस वैल्यू पर नहीं ले सकते हैं. बीजेपी ने सभी को साथ लेकर पेड़ गिराने का जोरदार समर्थन किया. आपको बता दें कि बीजेपी महाराष्ट्र सरकार में सीनियर पार्टनर है.
बीएमसी जनरल बॉडी में बहुमत रखने वाली शिवसेना ने 2017 में आरे जंगल में मेट्रो कार शेड के लिए जमीन देने का विरोध किया था. लेकिन उस फैसले को महाराष्ट्र सरकार ने तुरंत पलट दिया. शिवसेना सरकार में जूनियर पार्टनर है. पर्यावरण मंत्री रामदास कदम शिवसेना से आते हैं, लेकिन फिर भी कुछ नहीं हुआ.
उद्धव ठाकरे कैसे 'आरे के हत्यारों' के खिलाफ कार्रवाई करेंगे?
आदित्य ठाकरे को प्रो-एनवायरनमेंट, प्रो-यूथ लीडर के रूप में पेश किया जा रहा है, लेकिन इस मुद्दे पर बीजेपी को टक्कर देने के लिए शिवसेना कितनी गंभीर है? इसे समझने के लिए लोकसभा चुनाव से पहले रत्नागिरि जिले में नाणार तेल रिफाइनरी प्रोजेक्ट को लेकर दोनों पार्टियों के बीच हुई उठा-पटक पर नजर डालते हैं.
अभी आरे मामले में शिवसेना जैसा रुख दिखा रही है, ठीक वैसे ही शिवसेना ने पर्यावरण के नुकसान और स्थानीय विरोध के आधार पर नाणार तेल रिफाइनरी प्रोजेक्ट का जमकर विरोध किया था.
लोकसभा चुनाव से पहले शिवसेना ने बीजेपी के साथ गठबंधन के लिए शर्त रखी थी. शिवसेना ने मांग रखी कि नाणार से तेल रिफाइनरी को हटाया जाए. आखिरकार, बीजेपी सहमत हो गई और नाणार प्रोजेक्ट को खत्म कर दिया गया.
अगर लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन के लिए नाणार की शर्त रखी जा सकती है, तो फिर विधानसभा चुनाव के लिए गठबंधन की शर्त ये क्यों नहीं रख सकते थे कि आरे में पेड़ नहीं कटने चाहिए?
लिहाजा महाराष्ट्र के चुनावी शोर में आरे पर राजनीतिक दलों के दावों और वादों से पहले यह जरूरी है कि हम उनके कामों को देखें, न सिर्फ उनके शब्दों को.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)