दिल्ली के मुंडका मेट्रो स्टेशन (Delhi Mundka Fire) के पास 13 मई शुक्रवार को एक इमारत में लगी भीषण आग में जीवित बचे लोगों में से एक पुष्पा पंवार द क्विंट से कहती हैं "हम मुख्य द्वार से बाहर नहीं निकल सके, इसलिए हमें अपनी जान बचाने के लिए कूदना पड़ा."
शुक्रवार शाम करीब 4:40 बजे मेट्रो स्टेशन के पिलर नंबर 544 के पास की इमारत में आग लगने के बाद घटनास्थल से 27 शव बरामद किए गए.
पुष्पा पंवार ने आगे कहा कि वह भाग्यशाली थी कि वह बच गई, लेकिन उसके पीछे रह गई 15-16 महिलाएं जीवित नहीं निकल पाईं. उन्होंने यह भी कहा कि इमारत में लगभग 300 लोग काम करते थे.
'हममें से किसी के पास मदद के लिए फोन नहीं था'
आग के दौरान चौथी मंजिल पर एक बैठक में भाग ले रही शाज़िया परवीन नाम की एक महिला ने क्विंट को बताया , "हम डेढ़ घंटे तक मदद के लिए चिल्लाते रहे, लेकिन किसी ने हमें नहीं सुना. हमने छत तक पहुंचने के लिए शीशा तोड़ने की भी कोशिश की, लेकिन ऐसा नहीं कर पाए."
"कंपनी ने हमें अपने फोन जमा करने के लिए कहा था क्योंकि परिवार के सदस्य हमें काम के घंटों के दौरान अक्सर फोन करते हैं, लंच ब्रेक के दौरान केवल 10 मिनट के लिए फोन मिलता था, जिसके बाद हमसे फिर जमा करने के लिए कहा जाता."शाज़िया परवीन, चश्मदीद
नसीम की पत्नी बिल्डिंग में काम करती थी और शुक्रवार दोपहर से लापता है, वह शुक्रवार रात से उसकी तलाश कर रहा है.
नसीम ने कहा कि वह संजय गांधी अस्पताल के अलावा अन्य अस्पतालों में भी गया था, लेकिन उसकी पत्नी नही मिली. नसीम और उसकी पत्नी के दो बच्चे है.
अब तक हुई 7 शवों की पहचान
संजय गांधी अस्पताल के एमएस एसके अरोड़ा ने कहा कि उन्हें 27 शव मिले हैं, जिनमें से अब तक सात की पहचान हो चुकी है.
घटना के आरोप में दो लोगों हरीश गोयल और वरुण गोयल को भी गिरफ्तार किया गया है. पुलिस के अनुसार, इमारत के मालिक के मनीष लकड़ा फिलहाल फरार है.
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