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नरेंद्र गिरि की हत्या हुई या सुसाइड? जांच के दायरे में कुछ नेता और पुलिस वाले भी

नरेंद्र गिरि के उत्तराधिकार को लेकर एक बार फिर से विवाद खड़ा हो सकता है

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बागम्बरी मठ के महंत नरेंद्र गिरि की मौत का रहस्य सुलझाने का जिम्मा अब सीबीआई को दिया गया है. उनकी मौत पर बने रहस्य से पर्दा कब उठ पाएगा इस बात का पता तो जांच के दौरान ही चलेगा लेकिन संत समाज का एक बड़ा गुट का यह मानता है कि महंत नरेंद्र गिरि की हत्या हुई है. अपने तर्क के समर्थन में महंतो का कहना है कि महंत नरेंद्र गिरि को लिखना नहीं आता था तो 13 पन्नों के सुसाइड नोट का सवाल ही नहीं उठता है. वही उनके कुछ शिष्यों का दावा है कि महंत नरेंद्र गिरि कक्षा 10 तक पढ़े हुए थे और उन्हें पढ़ना लिखना आता था.

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नरेंद्र गिरि को किस बात का डर था?

इस कथित सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने अपने वसीयतनामे के अलावा अपने शिष्य आनंद गिरि समेत तीन लोगों पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सुसाइड नोट में एक आपत्तिजनक फोटो का जिक्र है. लिखा गया है कि कंप्यूटर से छेड़छाड़ कर ये तस्वीर बनाई गई और आनंद गिरि इसे ही सार्वजनिक करने वाला था. एक आपत्तिजनक वीडियो से ब्लैकमेल किए जाने की बात भी सूत्र करते हैं. इस कथित ब्लैकमेल के पीछे उनके शिष्य आनंद गिरि का नाम सबसे ऊपर आ रहा है जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है. महंत नरेंद्र गिरि के निजी सुरक्षाकर्मी, कुछ स्थानीय नेता और पुलिस वाले भी जांच के दायरे में आ गए हैं जिन से प्रयागराज पुलिस ने पूछताछ भी की है लेकिन पुलिस अभी तक सच्चाई की तह तक नहीं पहुंच पाई है.

क्यों नरेंद्र और आनंद में ठनी?

महंत नरेंद्र गिरि और उनके शिष्य आनंद गिरी के रिश्तो में बहुत पहले ही खटास आ गई थी जब दोनों ने एक दूसरे के ऊपर कई आरोप लगाए थे. आनंद गिरि ने अपने गुरु के ऊपर मठ की जमीन बेचने से लेकर 2019 में निरंजनी अखाड़े के सचिव की हत्या तक का आरोप लगाया था. बाद में संतों की मध्यस्थता के बाद आनंद गिरि ने अपने गुरु से माफी मांगी थी लेकिन इन दोनों के रिश्तो में तनाव खत्म नहीं हुए थे. एक समय नरेंद्र गिरी के उत्तराधिकारी माने जाने वाले आनंद गिरि इस समय जेल में हैं.

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उत्तराधिकार पर फिर घमासान?

अब मसला महंत नरेंद्र गिर के उत्तराधिकार का भी है. अपने कथित सुसाइड नोट में महंत नरेंद्र गिरि ने अपने शिष्य बलवीर गिरी को उत्तराधिकारी बना दिया है लेकिन महंत समाज का एक तबका उन्हें उत्तराधिकारी मानने को तैयार नहीं. बागम्बरी गद्दी मठ का अगला महंत कौन होगा इसको लेकर भी मंथन शुरू हो गया है और आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या बलवीर गिरी को उत्तराधिकारी घोषित किया जाएगा या इसको लेकर भी घमासान होगा. उत्तराधिकार का मसला आध्यात्म के अलावा संपत्ति, जमीन और पैसे से जुड़ा है, ऐसे में फिर से हंगामा हुआ तो मठ और साधु संतों की साख पर फिर बट्टा लगेगा. वैसे भी महंत नरेंद्र गिरी की मौत के पीछे जिन चीजों का जिक्र हो रहा है उनसे कम से कम संन्यास को तो जोड़ कर नहीं देखा जा सकता.

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