दो युवा महिलाएं, 25 साल की जर्नलिस्ट सौम्या विश्वनाथन और 28 साल की आईटी प्रोफेशनल जिगीशा घोष की साल 2008 और 2009 में उस वक्त हत्या हो गयी थी, जब वो ऑफिस से लौट रही थीं. 4 जनवरी 2018 को दिल्ली हाई कोर्ट ने जिगीशा मर्डर केस में दो आरोपियों की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया है.
30 सितंबर 2008 को सौम्या की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी, जब वो सुबह करीब 3 बजे ऑफिस से लौट रही थीं. वहीं 18 मार्च 2009 को जिगीशा को ऑफिस कैब ने साउथ दिल्ली के वसंत विहार इलाके में उनके घर के पास सुबह करीब 4 बजे ड्रॉप किया था. उनकी डेडबॉडी 3 दिन बाद हरियाणा के सूरजकुंड से मिली थी.
25 मार्च को पुलिस ने 4 संदिग्धों को पकड़ा था, जो अब जिगीशा मर्डर केस में आरोपी हैं. सौम्या मर्डर केस की सुनवाई अब तक चल रही है.
क्विंट ने सौम्या और जिगीशा के माता-पिता से बात की
जिगीशा की मां सबिता घोष ने कहा कि, वो कोर्ट के फैसले से संतुष्ट नहीं हैं, उन्होंने अपनी बेटी को खो दिया और लीगल सिस्टम से भी उन्हें कोई मदद नहीं मिली है.
ये हाई कोर्ट की तरफ से सही फैसला नहीं है, में कोर्ट के इस फैसले से आहत हूं. ये केस क्या दुर्लभ नहीं है?, ऐसा लगता है कि कोर्ट को आरोपियों से सहानुभूति है. ये लड़ाई दोनों ही परिवारों के लिए एक लंबी लड़ाई साबित हुई है.सबिता घोष, जिगीशा की मां
सौम्या के माता-पिता उसकी मौत के 9 साल बाद भी शोक मना रहे हैं.
वक्त हर जख्म नहीं भर सकता, लेकिन आप एक मुखौटा लगाना सीख जाते हैं.माधवी विश्वनाथन, सौम्या की मां
सौम्या के पिता ने उनकी बेटी की हर खबर को उसी क्रम में एक फाइल में संभाल कर रखा है जो अब तक पेपर में उनके बारे में छपा है.
कोई आम आदमी की मदद के लिए आगे नहीं आता, सारा सपोर्ट अमीरों को मिलता है. खैर, हमने अपनी बेटी खो दी है अब अगर उन आरोपियों को मौत की सजा भी हो जाती है तो हमारी बेटी वापस नहीं आएगी.एमके विश्वनाथन, सौम्या के पिता
जिगीशा और सौम्या के माता-पिता अब एक-दूसरे का सहारा बने हुए हैं. उन्होंने कहा कि - हमें पता था कि कोर्ट उन्हें आजीवन कारावास की सजा देगा.
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