ADVERTISEMENTREMOVE AD

PM केयर्स फंड:जनता ने दिए पैसे तो खर्च पर सवाल क्यों नहीं पूछ सकती

PM CARES Fund: प्रवासी मजदूरों की देखभाल के लिए आवंटित 1 हजार करोड़ कहां गए?

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

हम सभी जानते हैं कि COVID-19 के खिलाफ जंग और इस संकट की वजह से मुश्किल में आए लोगों की मदद के लिए 28 मार्च 2020 को PM CARES फंड की स्थापना की गई थी, बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों, सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों ने PM CARES को करोड़ों रुपये का दान दिया कई लोगों ने भी अपनी छोटी-छोटी बचत को PM CARES को अच्छी भावना से दान किया जैसा कि प्रधानमंत्री PM CARES के अध्यक्ष हैं

हमें लगा कि हमारे पैसे का अच्छा इस्तेमाल होगा लेकिन फिर भी, एक आम नागरिक के तौर पर या PM CARES के डोनर के रूप में हम जानना चाहेंगे कि PM CARES ने जो पैसे इकट्ठा किए हैं उसका इस्तेमाल कैसे कर रहा है.

लेकिन PM CARES की वेबसाइट पर जानकारी बहुत ही कम है जो हमें बताया गया है उसके मुताबिक अब तक तीन चीजों के लिए 3100 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. 2000 करोड़ रुपये

  • "केंद्र, राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के सरकारी अस्पतालों में 50,000 मेड-इन इंडिया' वेंटिलेटर की आपूर्ति के लिए"
  • 1000 करोड़ रुपये "प्रवासी मजदूरों की देखभाल के लिए"
  • 100 करोड़ रुपये "वैक्सीन डेवलपमेंट के लिए"
ADVERTISEMENTREMOVE AD

इस जानकारी के आधार पर ट्रांसपेरेंसी एक्टिविस्ट अंजलि भारद्वाज ने श्रम और रोजगार मंत्रालय में एक RTI दायर की जिसमें ये बुनियादी सवाल पूछे गए हैं. प्रवासी मजदूरों की देखभाल के लिए PM CARES फंड से पैसे के इस्तेमाल के बारे में जारी गाइडलाइंस दें.

सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश को आवंटित PM CARES फंड की धनराशि के बारे में बताएं. मंत्रालय से संबंधित फाइल नोटिंग या कॉरेस्पॉन्डेंस की कॉपी दें

जवाब देने के बजाय श्रम और रोजगार मंत्रालय ने RTI के सवालों को प्रधानमंत्री कार्यालय या PMO के पास भेज दिया जो PM CARES फंड का हेड ऑफिस है. जवाब में PMO ने जानकारी देने से इनकार करते हुए कहा "RTI अधिनियम, 2005 की धारा 2(h) के दायरे में PM CARES फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है"

PM CARES पब्लिक अथॉरिटी नहीं है क्योंकि ये केंद्र या राज्य सरकारों के दिए गए पैसे से स्थापित, गठित, स्वामित्व, नियंत्रित या पूरी तरह से फाइनेंस की हुई नहीं है.

इसी तरह के एक मामले में RTI एक्टिविस्ट नीरज शर्मा ने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र या NIC से पूछा "डोमेन pmcares.gov.in के रजिस्ट्रेशन और होस्टिंग के लिए PMO से मिली सभी जानकारी या निर्देशों की सर्टिफाइड कॉपी दें"

यहां फिर से, जानकारी शेयर नहीं की गई थी कारण फिर से यही बताया गया कि PM CARES फंड पब्लिक अथॉरिटी नहीं है. हालाँकि, तब मुख्य सूचना आयुक्त या CIC वजाहत हबीबुल्लाह ने अपने एक आदेश में स्पष्ट रूप से कहा था कि अगर कोई सूचना किसी पब्लिक अथॉरिटी के पास है तो सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत लोगों के साथ शेयर करने के लिए मजबूर हैं. और तथ्य ये है कि प्रधानमंत्री कार्यालय राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र और श्रम और रोजगार मंत्रालय तीनों पब्लिक अथॉरिटी हैं और इसलिए पूर्व CIC हबीबुल्लाह के आदेश के अनुसार आरटीआई के तहत जानकारी शेयर करने के लिए मजबूर हैं और फिर भी, जब PM CARES फंड की बात आती है वो ऐसा करने से मना कर देते हैं

ट्रांसपेरेंसी एक्टिविस्ट कमोडोर लोकेश बत्रा को भी इसी आधार पर कई बार PM CARES फंड से जुड़े RTI जवाब देने से मना किया गया है ये बात साफ करने के लिए कि PM CARES फंड एक पब्लिक अथॉरिटी है या नहीं उन्होंने 28 मई को PMO में एक RTI दायर की और एक सीधा सवाल पूछा

क्या PM CARES फंड एक इंडिपेंडेंट अथॉरिटी है या PMO इसकी गतिविधियों का रिकॉर्ड रखता है? जब उन्हें 30 दिनों के भीतर जवाब नहीं मिला, 17 जुलाई को बत्रा ने उसी RTI में अपील दायर की लेकिन फिर से, PMO ने जवाब नहीं दिया

सवाल है

PMO ये साफ क्यों नहीं कर सकता है कि क्या वो PM CARES फंड से संबंधित रिकॉर्ड रखता है? और चूंकि PMO PM CARES फंड का प्रमुख कार्यालय है क्या इसका रिकॉर्ड PMO कर्मचारी रखते हैं या सीधे PM CARES के नियोजित लोग ही रिकॉर्ड मेंटेन करते हैं?

मुद्दा ये है कि

अगर PMO PM CARES फंड के रिकॉर्ड को रखता है तो वो RTI अधिनियम के तहत उन रिकॉर्डों को शेयर करने के लिए मजबूर है. किसी कारण से, हमें PMO से कोई जवाब नहीं मिल रहा है जो सबसे प्रासंगिक सवाल उठाता है क्या देश के लोग जिन्होंने अपनी छोटी-छोटी बचत से पैसे दान किए हैं. क्या उन्हें ये जानने का अधिकार नहीं है कि उनकी गाढ़ी कमाई का इस्तेमाल PM CARES कैसे कर रहा है?

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×