3 कृषि कानून (3 Farm Laws) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों (Protesting Farmers) ने 26 जनवरी (Republic Day) को ट्रैक्टर रैली निकाली, प्रदर्शनकारी किसानों ने इस रैली का नाम दिया था 'किसान गणतंत्र परेड' (Farmers Republic Parade). इस परेड के दौरान प्रदर्शनकारी किसानों पर आंसू गैस के गोले दागे गए. दिल्ली के ITO और इंद्रप्रस्थ में प्रदर्शनकारी किसान और दिल्ली पुलिस (Delhi Police) के बीच झड़प भी हुई.
अचानक प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर रैली ने हिंसक मोड़ ले लिया. लाल किले पर तिरंगे के नीचे निशान-साहिब फहराया गया, जिसको लेकर प्रदर्शनकारी किसानों की आलोचना हो रही है.
हिंसा और हंगामे के बाद सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) पर स्थिति जानने पहुंचा द क्विंट. सिंघु बॉर्डर पर वॉलेंटियर सरबजीत कौर का कहना है कि उन्हें काफी दुख हो रहा है कि कुछ गलत लोगों की वजह से किसानों के प्रदर्शन पर काफी बुरा असर पड़ा है.
सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी किसान और स्लोगन राइटर सिमरजीत सिंह का कहना है कि कुछ शरारती लोगों के कारण प्रदर्शन को बदनाम किया जा रहा है.
जो लोगों ने हंगामा किया है वो लोग हमारे किसान आंदोलन को खराब और बदनाम करने के उद्देश्य से आए थे, हमें सभी शरारती लोगों से बच के रहना है, हमें माहौल खराब नहीं करना है, हमें शांति से हमारा प्रदर्शन जारी रखना हैसिमरजीत सिंह, प्रदर्शनकारी किसान और स्लोगन राइटर
प्रदर्शनकारी एमी गिल का कहना है कि किसानों की ट्रैक्टर रैली शांति से निकली जानी थी, हमारे एक भाई शहीद हो गए, पुलिस का भी काफी नुक्सान हुआ, कई लोग घायल हुए, ये नहीं होना चाहिए था, हम शांति से ही प्रदर्शन करना चाहते थे, हम दो महीने से शांति से प्रदर्शन कर रहे थे तो हैं उस दिन भी सब्र बनाए रखना चाहिए था
'हमें मीडिया आतंकी कहता है'
प्रदर्शनकारी किसान विक्रमजीत सिंह का कहना है कि 'गोदी मीडिया' हमेशा उन्हें और उनके प्रदर्शन को बदनाम करती आई है.
गोदी मीडिया को हमें आतंकी कहती है, उन्हें दिखाई नहीं दिया कि हम तीन महीने से किसान बैठे हैं, हमारा काम रुका पड़ा है, ठंड में खुले में सो रहे हैं, कितने किसान मर गए इसकी वजह से, उन्हें सोचना चाहिए.विक्रमजीत सिंह, प्रदर्शनकारी किसान
प्रदर्शनकारियों का कहना है कि 'मीडिया ने उन्हें सिर्फ बदनाम किया है, मीडिया को देखना चाहिए था कि हर ट्रैक्टर पर तिरंगा लगा था, लालकिले पर तिरंगे के नीचे ही झंडे लगाए गए, तिरंगा किसी ने नहीं छुआ, इसमें बस मीडिया का फायदा हुआ है, जो वो दो महीने से चाह रहे थे कि उन्हें मसाला मिले वो उन्हें मिल गया.'
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)